Wednesday, November 20, 2024
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हार के बाद उत्तर-पूर्व से दक्षिण तक कॉन्ग्रेस में भगदड़, 13 बड़े नेताओं का इस्तीफा

लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी में इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है। ख़बर आई थी कि राहुल गाँधी ने भी अपने इस्तीफे की पेशकश की, जिसे कॉन्ग्रेस वर्किंग कमिटी ने नकार दिया। राहुल गाँधी द्वारा इस्तीफा देने की ख़बरों के बीच पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो कार्यकर्ता आत्महत्या कर लेंगे। कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी व पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने भी राहुल को इस्तीफा न देने के लिए मनाया। इसके बाद तो जैसे कई राज्यों से इस्तीफों की झड़ी लग गई है। अलग-अलग राज्यों में कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर अन्य पदाधिकारी तक, अपना इस्तीफा आलाकमान को भेज रहे हैं।

नवभारत टाइम्स की ख़बर के मुताबिक, अब तक 13 बड़े कॉन्ग्रेस नेता इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर को 5 लाख के क़रीब मतों के अंतर से बुरी हार का सामना करना पड़ा। वह अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। अपने शहर की बेरुखी और राज्य में कॉन्ग्रेस के ख़राब प्रदर्शन से नाराज़ बब्बर ने आलाकामन को अपना इस्तीफा भेज दिया। महाराष्ट्र में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने भी प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है। उधर पंजाब में पार्टी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ से भी अपना इस्तीफा भेज दिया है। गुरदासपुर में सनी देवल ने जाखड़ को 82,459 मतों से हराया।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ भी नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने की बात कह चुके हैं। उनके ख़िलाफ़ राज्य में बाग़ी स्वर उठने भी शुरू हो गए हैं। झारखण्ड में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार ने भी इस्तीफा दे दिया है। राज्य में पार्टी को सिर्फ़ 1 सीट पर जीत मिली। जमशेदपुर के सांसद रह चुके अजय कुमार ने झारखण्ड में कॉन्ग्रेस की हार की ज़िम्मेदारी स्वीकार की है। असम में कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रिपुन बोरा ने भी पार्टी हाईकमान को इस्तीफा भेज दिया है। बता दें कि 21 ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं, जहाँ ताज़ा लोकसभा चुनाव में पार्टी का खाता तक नहीं खुला।

ओडिशा कॉन्ग्रेस कमेटी के अध्यक्ष निरंजन पटनायक, ओडिशा कॉन्ग्रेस कैंपेन कमिटी के अध्यक्ष भक्त चरण दास और कर्नाटक कॉन्ग्रेस कैंपेन कमिटी के अध्यक्ष एच के पाटिल समेत कई छोटे-बड़े नेताओं ने भी अपने पद से इस्तीफा दिया है। अमेठी में स्मृति ईरानी के हाथों राहुल गाँधी की हुई हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए जिलाध्यक्ष योगेंद्र मिश्र ने अपने इस्तीफा सौंप दिया है। अमेठी में कई अन्य कॉन्ग्रेस पदाधिकारियों ने भी इस्तीफे की पेशकश की है। पूर्वोत्तर में असम से लेकर दक्षिण में कर्णाटक तक, कॉन्ग्रेस पार्टी में लगी इस्तीफों की झड़ी से कार्यकर्ताओं में भगदड़ की स्थिति है।

आज सोमवार (मई 27, 2019) कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता के सी वेणुगोपाल और अहमद पटेल ने पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी से मुलाक़ात की। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कॉन्ग्रेस अध्यक्ष जल्द ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ भी बैठक कर सकते हैं। कॉन्ग्रेस में मंथन का दौर चालू है और आने वाले दिनों में संगठनात्मक बदलाव होना तय लग रहा है। अब देखना यह है कि राहुल गाँधी किन नेताओं पर भरोसा जताते हैं और किनका पत्ता कटता है।

माँ और महादेव से लेकर आडवाणी और पटेल तक: PM मोदी के ताज़ा दौरों से मिल रहे संकेत

देश की राजनीति अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोबारा के इर्द-गिर्द घूम रही है और वे दोबारा शपथ लेने के लिए तैयार हैं। ताज़ा लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के बाद भाजपा का उत्साह चरम पर है और मोदी के भाषणों की तमाम व्याख्याएँ की जा रही हैं। पत्रकारों, विश्लेषकों और मीडिया द्वारा पीएम मोदी द्वारा कही गई हर बातों की काफ़ी जाँच-परख करके उनके कई अर्थ निकाले जा रहे हैं, जिससे पता चले कि उनके अगले कार्यकाल के दौरान 5 वर्षों के लिए भारत आकार का रुख़ क्या रहेगा? नेताओं के बयानों से हवा का रुख़ भाँपने वाली मीडिया ने पीएम मोदी की गतिविधियों को नज़रअंदाज़ कर दिया। चुनाव के समापन के बाद से ही मोदी के क्रियाकलापों पर हम यहाँ एक एक नज़र डालेंगे।

यहाँ हम ये बात नहीं करेंगे कि मोदी क्या खाते, पहनते और ओढ़ते हैं बल्कि यहाँ हम प्रधानमंत्री के ताज़ा दौरों व स्थलों के चुनाव का विश्लेषण करेंगे। प्रधानमंत्री का व्यक्तिगत जीवन भी है और उन्होंने ख़ुद अपनी माँ से आशीर्वाद लेते हुए फोटो सोशल मीडिया पर साझा की, इसीलिए हम उस पर भी बात करेंगे। सबसे पहले शुरू करते हैं केदारनाथ से। प्रधानमंत्री ने समुद्र तल से क़रीब 12000 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित केदारनाथ में जाकर पूजा-अर्चना की। क्या आपको पता है, जिस दिन पीएम मोदी ने रुद्राभिषेक किया और ध्यान धरा, उस दिन का क्या महत्व था?

दरअसल, उस दिन बौद्धों का सबसे बड़ा त्यौहार यानि बुद्ध पूर्णिमा का दिन था। क़रीब 2 दर्जन देशों में बौद्धों द्वारा मनाए जाने वाले इस त्यौहार के दिन चीन और कोरिया सहित दुनिया भर के कई देशों के लोग छुट्टियाँ भी मनाते हैं। पीएम मोदी ने 18 मई को जब केदारनाथ का दौरा किया, उस दिन प्राचीन भारत के सबसे बड़े आध्यात्मिक पुरोधा भगवान बुद्ध की जयंती थी। भगवान बुद्ध ध्यान के लिए जाने जाते थे, यही कारण है कि बौद्ध धर्म में मैडिटेशन यानि ध्यान का बड़ा महत्त्व है। हिन्दू धर्म में भगवान शिव को अधिकतर ध्यानावस्था में दिखाया जाता रहा है। यही वो क्रिया है जो भगवान बुद्ध और शिव को जोड़ती है। एक पीपल के पेड़ के नीचे ध्यानमग्न दिखाए जाते हैं तो दुसरे कैलाश पर्वत के एकांत में ध्यानमग्न होते हैं।

बुद्ध पूर्णिमा के दिन प्रधानमंत्री द्वारा केदारनाथ की गुफा में ध्यान धरना इन्हीं सांकेतिक पहलुओं का मिलन था, बुद्ध और शिव को एक साथ देखने की चेष्टा के अलावा उनके द्वारा दिखाए गए ध्यान के मार्ग पर चलने के लिए एक तत्परता थी। जब प्रधानमंत्री के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की घोषणा होने के बाद भारत सहित दुनिया भर में योग के प्रति लोगों की खोई जागृत हो सकती है, आयुर्वेदिक उत्पादों की बिक्री में अभूतपूर्व वृद्धि हो सकती है, योग प्रशिक्षकों को नौकरी के नए अवसर मिल सकते हैं, तो ध्यान करना और मैडिटेशन का अभ्यास करना भी जनता के लिए एक नए सन्देश लेकर आ सकता है। ये थी केदारनाथ की बात।

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में जनता ने फिर से विश्वास जताया और मोदी के नेतृत्व में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला। पिछली बार की तरह इस बार भी गुजरात में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया और कॉन्ग्रेस का राज्य में खाता तक नहीं खुला। संसद भवन में राजग की बैठक हुई, जिसमें भाजपा के दोनों पुरोधाओं, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की उपस्थिति में मोदी को सर्वसम्मति से राजग संसदीय दाल का नेता चुना गया, जिसके बाद उनके फिर से प्रधानमंत्री बनने का औपचारिक मार्ग प्रशस्त हो गया। इससे एक दिन पहले भाजपा के दोनों पूर्व अध्यक्षों, जोशी और अडवाणी के यहाँ मोदी और शाह ने जाकर उनसे आशीर्वाद लिया।

जोशी ने बाद में कहा कि भाजपा में जीत के बाद बड़ों की शुभकामनाएँ व आशीर्वाद लेने का चलन रहा है, और मोदी ने उसे बखूबी निभाया। राजग की तरफ से सबसे पहले प्रकाश सिंह बादल ने मोदी को संसदीय दल का नेता घोषित किए जाने का प्रस्ताव पेश किया, जिसका अन्य नेताओं ने अनुमोदन किया। वाराणसी में नामांकन के दौरान भी मोदी ने बादल के पाँव छू कर आशीर्वाद लिया था। अडवाणी, जोशी और बादल- तीनों ही भाजपा व राजग के सबसे बड़े नेताओं में से रहे हैं, और मोदी-शाह ने इनका सम्मान करते हुए यह दिखाया कि भाजपा आज भी वही संस्कार लेकर चल रही है, जो इसमें दशकों से समाहित है।

लेकिन, संसद भवन में मोदी को नेता चुने जाने के दौरान एक और चीज हुई, जिसकी ख़ूब चर्चा हुई। पिछली बार 2014 में मोदी ने जीत के बाद पहली बार संसद में कदम रखते हुए संसद भवन की सीढ़ियों पर झुक कर प्रणाम किया था। संसद भवन को लोकतंत्र का मंदिर बताने वाले मोदी ने सदन के भीतर भी कई बार सांसदों को उनकी ज़िम्मेदारियाँ याद दिलाई। इस बार मोदी अपने भाषण से पहले माइक की तरफ जाने की बजाए किसी अन्य तरफ चल निकले। दरअसल, उन्होंने भारतीय संविधान के पास जाकर अपना सर झुकाया और उसे प्रणाम किया। संविधान को सर नवाने वाले मोदी ने कोशिश की कि लोकतंत्र में यही सबसे बड़ा है और शासन-प्रशासन इसके अनुरूप होना चाहिए।

भगवान शिव और महात्मा बुद्ध के संगम को प्रदर्शित करने के बाद मोदी ने पार्टी के अभिभावकों का आशीर्वाद लिया और फिर वे गुजरात अपनी माँ से मिलने पहुँचे। पीएम मोदी ने अपनी माँ के चरणों में शीश झुका कर उनका आशीर्वाद लिया और अन्य परिवारजनों से मुलाक़ात की। अपने घर गए मोदी ने गुजरात की जनता का अभिनन्दन किया और सरदार पटेल की प्रतिमा को पुष्पहार पहनाया। पीएम मोदी जानते हैं कि आज वह जो भी हैं, उसके मूल में कहीं न कहीं गुजरात ही है, जिसनें उन्हें तीन चुनावों में जीत दिलाई। दंगों के बाद हुए चुनावों में जब उनकी प्रतिष्ठा दाँव पर थी, गुजरात ने मोदी को फिर से सीएम बनाया। इसके बाद मोदी की छवि बदल गई। अब वह सिर्फ़ पार्टी आलाकमान द्वारा चुने गए मुख्यमंत्री ही नहीं थे, अपितु जनता का भी विश्वास जीत चुके थे।

2007 विधानसभा चुनाव में उनकी जीत के बाद यह विश्वास और पक्का हुआ। 2012 में मोदी के प्रधानमंत्री मटेरियल होने की चर्चा ज़ोर हुई और यही वो विधानसभा चुनाव था, जिसनें मोदी को सीधा राष्ट्रीय पटल पर मजबूती से लाकर रख दिया। गुजरात की जनता ने 2012 में मोदी को जीता कर उनका क़द बढ़ा दिया। 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी के गृह राज्य में भाजपा ने सारी सीटें जीत ली। इसके बाद 2017 में भाजपा को गुजरात में हार दिख रही थी, तब मोदी ने इतनी मेहनत की कि बोलते-बोलते उनका गला तक बैठ गया। ताज़ा लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अपना 2014 वाला प्रदर्शन दोहराया। हारती हुई भाजपा को गुजरात में जीत मिली। प्रधानमंत्री उसी एहसान के लिए धन्यवाद देने गुजरात पहुँचे और जनता को सम्बोधित किया।

गुजरात के बाद पीएम मोदी अपनी नई राजनीतिक कर्मभूमि वाराणसी पहुँचे, जहाँ वह नामांकन के बाद नहीं गए थे। मोदी ने वाराणसी में रोड शो के अलावा कोई चुनाव-प्रचार नहीं किया और उन्हें भारी जीत मिली। वाराणसी पहुँचे मोदी ने काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस दौरान मंदिर में रुद्राष्टकम का भी पाठ होता रहा, जिसे गोस्वामी तुलसीदास द्वारा शिव की स्तुति करते हुए रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में लिखा गया है। केदारनाथ में शिव और बुद्ध के संगम को प्रदर्शित करने वाले मोदी ने द्वारकाधीश श्रीकृष्ण की धरती से लौट कर महादेव की धरती पर राम और शिव के संगम को प्रदर्शित किया। इनमें से अधिकतर दौरों में अमित शाह उनके साथ रहे।

कुल मिलाकर देखें तो मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा के दिन केदारनाथ जाकर गुफा में ध्यान किया। फिर उन्होंने भाजपा के अभिभावकों से आशीर्वाद लिया। उसके बाद वह अपनी माँ के चरणों में थे, परिवारजनों से मुलाक़ात की। फिर उन्होंने अपने गृह राज्य की जनता को धन्यवाद करते हुए सरदार पटेल को याद किया और मूर्ति पर माल्यार्पण किया। तत्पश्चात मोदी वापस बाबा की नगरी काशी पहुँचे। सरदार पटेल की मूर्ति को लेकर काफ़ी विवाद भी हुआ था लेकिन मोदी को शायद पता है कि प्रतीक चिह्नों का राजनीति व संस्कृति में क्या महत्व है। संविधान को शीश नवाने वाले मोदी काशी विश्वनाथ में महादेव की पूजा अर्चना करते हैं, यानी अगले पाँच वर्ष जो भी काम होंगे, लोकतंत्र के अनुरूप होंगे और भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक आस्था का सम्मान करते हुए होंगे।

3 मासूमों की हत्या, 3 मुस्लिम अभियुक्त… फिर भी मोदी के नाम पर सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा जहर

बुलन्दशहर में तीन मासूम बच्चों की हत्या के मामले में जहाँ एक तरफ पुलिस ने तीन में से दो आरोपियों इमरान और बिलाल को गिरफ्तार कर लिया है और यह बात खुल कर सामने आ रही है कि हत्याकांड को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ही आपसी रंजिश के चलते अंजाम दिया, उसके बाद भी कुछ लोग इसे जबरदस्ती हिन्दू-मुस्लिम विवाद का रूप देने से लेकर ‘मोदी का न्यू इंडिया’ तक को घसीटने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसे में क्षेत्र और प्रदेश में बेवजह का साम्प्रदायिक तनाव फैलने का खतरा मंडरा रहा है।

सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा जहर

सोशल मीडिया पर आधे सच का भ्रामक झूठ बोला जा रहा है। मारे गए बच्चों की तो मजहबी पहचान बताई जा रही है लेकिन हत्यारोपियों की छिपाई जा रही है।

कुछ लोग तो इसे भोपाल और गुरुग्राम (गुड़गाँव) में प्रकाश में आए तथाकथित साम्प्रदायिक दुर्भावना से की गई हिंसा के मामलों से जोड़ रहे हैं, जबकि न केवल इस मामले की प्रकृति न केवल उन मामलों के कथित परिप्रेक्ष्य से अलग है बल्कि उन मामलों की तो अभी जाँच भी नहीं पूरी हुई है।

बुलंदशहर पुलिस भी ट्विटर पर लगातार मामले के अपडेट्स यथाशीघ्र दे रही  है, ताकि भ्रम न फैले।

रोजा इफ्तार में न बुलाया जाना आ रहा है कारण के तौर पर

रोजा इफ्तार में न बुलाए जाने के कारण बुलंदशहर, मेरठ (उत्तर प्रदेश) के सलेमपुर क्षेत्र में मेज़बान परिवार के तीन बच्चों की गोली मार कर निर्ममता से हत्या कर दी गई थी। मृतक बच्चे अब्दुल, आसमा और अलीबा क्रमशः 8, 7 और 8 वर्ष के थे। हत्या के बाद बच्चों के शव घटनास्थल से 15 किलोमीटर दूर ले जाकर सलेमपुर थाने के अंतर्गत आने वाले धतूरी गाँव के एक कुएँ में फेंक दिए गए। हत्या का खुलासा तब हुआ जब बच्चों की लाशों को शनिवार सुबह पुलिस ने कुएँ से बरामद किया।

पुलिस हालाँकि यह दावा कर रही है कि मामले की सूचना ही पुलिस को देर से दी गई, पर प्रथम दृष्टया पुलिस की ओर से भी कुछ ढिलाई हुई देखते हुए एसएसपी एन कोलांचि ने त्वरित कार्रवाई की- नगर कोतवाल ध्रुव भूषण दूबे और मुंशी अशोक कुमार शर्मा को निलंबित कर दिया। कुछ मीडिया रिपोर्टों  में यह भी कहा जा रहा था कि मुख्य आरोपी सलमान मलिक ने कुछ दिन पहले भी पिस्तौल दिखाकर पीड़ित परिवार को धमकी दी थी। मलिक पीड़ित परिवार का ही रिश्तेदार भी बताया जा रहा है

गुरुग्राम में मुस्लिम युवक पर कथित हमले में गंभीर को काटा सेकुलरिज्म के कीड़े ने!

गुरुग्राम में एक 25 वर्षीय युवक ने अपने साथ ज्यादती किए जाने का आरोप लगाया। अपने आरोप में मुस्लिम युवक ने कहा कि उसे कुछ लोगों ने जबरन “जय श्री राम” बोलने को कहा और ऐसा न करने पर पिटाई की। उक्त मुस्लिम युवक ने अपने आरोप में कहा कि उन लोगों ने उसकी इस्लामी टोपी भी फेंक दी। मोहम्मद बरकत आलम ने अपने आरोप में कहा कि ये घटना शनिवार (मई 25, 2019) की रात को तब हुई, जब वह अपने घर जा रहा था। युवक के अनुसार, उसे परेशान करने वाले लोगों ने कहा कि इस क्षेत्र में इस्लामी स्कल कैप पहन कर घूमने की अनुमति नहीं है।

गौतम गंभीर ने इस घटना की कड़ी निंदा की। क्रिकेटर से सांसद बने गंभीर ने हाल ही में पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से कॉन्ग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली को 3,91,000 से भी अधिक मतों से हराया है। भाजपा के टिकट पर संसद पहुँचे गंभीर ने ट्विटर पर गुरुग्राम वाली घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “गुरुग्राम में एक मुस्लिम व्यक्ति को उसका स्कल कैप हटाने को कहा गया, उसे जबरन ‘जय श्री राम’ बोलने का नारा लगाने को कहा गया। यह निंदनीय है। गुरुग्राम प्रशासन द्वारा कार्रवाई करते हुए अनुकरणीय उदाहरण पेश करना चाहिए। हम एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र हैं, जहाँ जावेद अख्तर ‘ओ पालन हारे, निर्गुण और न्यारे’ जैसे गीत लिखते हैं और राकेश ओमप्रकाश मेहरा ‘अर्जियाँ’ (‘दिल्ली 6’ फ़िल्म में) जैसे गाने बनाते हैं।

गौतम गंभीर के इस ट्वीट के बाद लोगों ने उनसे भाजपा कार्यकर्ताओं की हो रही हत्यापर भी बोलने को कहा। लोगों ने उन्हें बिना मामले के तह तक गए हुए किसी भी घटना को सांप्रदायिक करार देने वाले ट्रेंड को लेकर आगाह किया। बता दें कि हाल ही में ऐसी कई घटनाएँ हुई हैं, जिसे पहले मीडिया ने सांप्रदायिक रंग दिया लेकिन बाद में पता चला कि ये आम आपराधिक घटनाएँ थीं। अपने पहले ट्वीट के 2 घंटे बाद गंभीर ने दूसरा ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने अपने बयान का बचाव करते हुए लिखा,

सेकुलरिज्म पर मेरे विचार का उद्भव माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन्त्र ‘सबका साथ-सबका विकास’ से होता है। मैं यहाँ सिर्फ़ गुरुग्राम वाली घटना की बात नहीं कर रहा, जाति और धर्म को लेकर की गई कोई भी ज्यादती निंदनीय है। सहिष्णुता और समवेशी विकास- इन दोनों विचारों पर हमारा देश आधारित है।

लोगों ने गंभीर को जवाब देते हुए कहा कि किसी बुरी घटना की निंदा करना ग़लत बात नहीं है, लेकिन एक छोटी घटना के कारण पूरे देश के लिए आम राय बना लेना ही मोदी-विरोधी प्रोपेगंडा का हिस्सा है, जिसके जाल में सेलिब्रिटी को फँसा लिया जाता है।

गौतम गंभीर को लोगों ने अमेठी में स्मृति ईरानी के ख़ास रहे भाजपा कार्यकर्ता की हत्या को लेकर ट्वीट करने को कहा। कई लोगों ने ट्विटर पर लिखा कि अब गंभीर को भी सेकुलरिज्म के कीड़े ने काट लिया है। कई लोगों ने उन्हें मीडिया की ख़बरों पर आँख बंद कर के विश्वास न करने की सलाह दी क्योंकि मीडिया द्वारा हमेशा किसी ख़ास समुदाय के लोगों को ही विक्टिम बता कर पेश किया जाता है। एक ट्विटर यूजर ने गंभीर को पीएम मोदी के भाषण की उस पंक्ति से घेरा जिसमें उन्होंने कहा था कि कुछ लोग जब तक सुबह उठ कर राष्ट्र के नाम सन्देश नहीं देते, उन्हें चैन नहीं मिलता है।

ऐतिहासिक गुरू नानक महल में तोड़-फोड़: पाकिस्तानियों ने बेच दीं बेशक़ीमती खिड़कियाँ-दरवाज़े

पाकिस्तान में ऐतिहासिक गुरू नानक महल के कुछ हिस्सों को कुछ शरारती तत्वों ने तोड़ दिया। ख़बर के अनुसार, नानक महल में बेशक़ीमती खिड़कियाँ और दरवाज़े लगे हुए थे, उन्हें भी तोड़कर कर बेच दिया गया। यह महल चार मंज़िला बिल्डिंग है और इसकी दीवार पर सिख धर्म के संस्थापक गुरू नानक के अलावा हिन्दू शासकों और राजकुमारों की तस्वीरें बनी थीं। बाबा गुरू नानक महल 400 साल पहले बनवाया गया था। इस जगह पर लाखों की संख्या में तीर्थयात्री आते हैं, इनमें भारत और विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या भी शामिल है।

लाहौर से क़रीब 100 किलोमीटर की दूरी पर नारौवल शहर में स्थित गुरू नानक महल में कुल 16 कमरे हैं और हर कमरे में तीन-तीन दरवाज़े लगे हुए हैं। इसके अलावा हर कमरे में कम से कम 4 रोशनदान भी लगे हुए थे। ख़बर के अनुसार, एक रिपोर्ट में बताया गया कि औकाफ़ विभाग के अधिकारियों की कथित मौन सहमति से स्थानीय लोगों के एक समूह ने गुरू नानक महल को आंशिक रूप से क्षति पहुँचाई।

महल के नज़दीक एक गाँव में रहने वाले मोहम्मद असलम ने बताया, “इस पुरानी इमारत को बाबा गुरू नानक महल कहा जाता है और हमने उसे महलान नाम दिया है। भारत समेत दुनियाभर से सिख यहाँ आया करते थे।” उन्होंने बताया, “कुछ साल पहले यहाँ कनाडा से एक शिष्टमंडल आया जिसमें एक महिला भी थी, वो सब यहाँ आकर काफ़ी ख़ुश हुए थे।”

एक अन्य स्थानीय निवासी मोहम्मद अशरफ़ ने बताया, “औकाफ़ विभाग को इस बारे में बताया गया है कि कुछ प्रभावशाली लोग इमारत में तोड़-फोड़ कर रहे हैं, लेकिन किसी अधिकारी ने कोई कार्रवाई नहीं की और न ही कोई यहाँ पहुँचा।” अशफ़ाक ने कहा, “प्रभावशाली लोगों ने औकाफ़ विभाग की मौन सहमति से इमारत को ध्वस्त कर दिया और उसकी क़ीमती खिड़कियाँ, दरवाज़े, रोशनदान और लकड़ी बेच दी।”

डॉन अख़बार के अनुसार, इस महल पर मालिकाना हक़ किसका है और इसकी देखभाल की ज़िम्मेदारी किसकी है, इस बारे में कुछ नहीं पता। नारौवल के उपायुक्त वहीद असगर ने बताया, “राजस्व रेकॉर्ड में इस इमारत का कोई ज़िक्र नहीं है। यह इमारत ऐतिहासिक प्रतीत होती है और हम नगरपालिका समिति के रेकॉर्ड की जाँच कर रहे हैं।” ईटीबी सियालकोट क्षेत्र के रेंट कलेक्टर राणा वहीद के मुताबिक़ उनकी टीम इस संबंध में जाँच कर रही है। उन्होंने इस बात की जानकारी भी दी कि गुरू नानक महल में तोड़-फोड़ करने वालों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी।

वीरू देवगन का निधन: वो शख्स जिसने बदल दी थी बॉलीवुड में एक्शन और स्टंट की परिभाषा

बॉलीवुड फ़िल्मों में एक्शन और स्टंट की परिभाषा बदल कर रख देने वाले वीरू देवगन नहीं रहे। वीरू देवगन को बॉलीवुड के सबसे बड़े स्टंट और एक्शन निर्देशकों में से एक माना जाता है। क़रीब 150 फिल्मों को अपने एक्शन और स्टंट निर्देशन से सँवारने वाले वीरू देवगन का निधन आज सोमवार (मई 27, 2019) की सुबह को हुआ।प्रसिद्ध फ़िल्म समीक्षक तरन आदर्श ने ट्विटर पर इस बात की जानकारी दी। वीरू देवगन बॉलीवुड सुपरस्टार अजय देवगन के पिता थे।

वीरू देवगन ने अपने बेटे अजय देवगन की फ़िल्म ‘हिंदुस्तान की कसम’ का निर्देशन भी किया था। ढलती उम्र और स्वास्थ्य कारणों से आजकल वह सार्वजनिक मंचों पर कम ही दिखते थे। एक अवॉर्ड समारोह में वह अपनी बहु और लोकप्रिय अभिनेत्री काजोल के साथ दिखे थे। राम तेरी गंगा मैली, सत्यम शिवम् सुंदरम, मिस्टर नटवरलाल, दिलवाले, मिस्टर इंडिया और इंक़लाब जैसी फिल्मों के स्टंट और एक्शन दृश्य डिज़ाइन कर चुके वीरू देवगन के निधन के बाद कई फ़िल्मी हस्तियों ने शोक प्रकट किया।

‘बेवकूफ है गौतम गंभीर, उसमें अक्ल नहीं है फिर भी लोगों ने चुन लिया है’

भारतीय क्रिकेट टीम के सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर अब सांसद बन चुके हैं। गंभीर ने पूर्वी दिल्ली में भारी बहुमत से जीत हासिल की है जिसकी चर्चा हर जगह हो रही है। लोग गंभीर की जीत पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तानी क्रिकेट ख़िलाड़ी शाहिद अफरीदी ने उनकी जीत पर बधाई देने की जगह उन्हें बेवकूफ़ कह डाला। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शाहिद ने गौतम की जीत पर बोलते हुए कहा कि गौतम को अक्ल नहीं हैं फिर भी लोगों ने उन्हें वोट दे दिया है।

दरअसल, प्रेस कॉन्फ्रेंस में शाहिद से पत्रकार ने पूछा कि गौतम इलेक्शन जीत गए हैं और हाल ही में उन्होंने (पुलवामा हमले के बाद) कहा था कि पाकिस्तान से इंडिया को नहीं खेलना चाहिए, अगर कोई प्वाइंट्स जाते हैं तो जाने देना चाहिए, सेना के जवान ज्यादा अहम हैं। पत्रकार ने जब गौतम के इस बयान पर शाहिद की राय पूछी तो शाहिद की लहजा बिलकुल बदल गया। शाहिद ने पूछा कि क्या गौतम की इस बात से लग रहा है उसने कोई अक्ल की बात की है। शाहिद ने गौतम को बेवकूफ बताया और कहा कि क्या पढ़े-लिखे कौम के लोग इस तरह की बात करते हैं। शाहिद ने भारतीय जनता के वोट पर सवाल उठाए और कहा, “उन लोगों ने ऐसे लोगों को वोट दे दिया है जिसमें अक्ल ही नहीं है “

गौरतलब है शाहिद अफरीदी के मन में गौतम गंभीर के लिए इस तरह की खटास पहली बार देखने को नहीं मिली है। इससे पहले भी शाहिद अपनी ऑटोबॉयोग्राफी ‘गेम चेंजर’ में गंभीर को एक नेगेटिव इंसान के रूप में दर्शा चुके हैं जो मैदान पर आते ही भड़क जाता है। न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक शाहिद अपनी किताब में वो लिखते हैं, ”गंभीर ऐसा व्‍यवहार करते मानो वह डॉन ब्रेडमैन और जेम्‍स बॉन्‍ड का मिश्रण हैं। कराची में हम ऐसे लोगों को सड़ि‍यल बुलाते हैं। सीधी बात है मुझे खुश, सकारात्‍मक लोग पसंद हैं। फिर फर्क नहीं पड़ता कि वह गुस्‍सैल है या प्रतिस्‍पर्धी लेकिन आप पॉजीटिव होने चाहिए और गंभीर वैसे नहीं थे।”

हालाँकि शाहिद अफरीदी के इन आरोपों पर गौतम गंभीर ने उन्हें बहुत करारा जवाब दिया था, “शाहिद अफरीदी तुम बहुत मजाकिया हो। वैसे हम अभी भी पाकिस्तान के लोगों को इलाज कराने के लिए भारत का वीजा दे रहे हैं। मैं तुम्हें खुद मनोचिकित्सक के पास ले जाऊँगा।”

एक और लव-जिहाद: मेरठ से नाबालिग अगवा, देवबंद में कलमा पढ़ाया, प्रयागराज में निकाह

मेरठ में एक और लव-जिहाद का मामला प्रकाश में आया है, वह भी नाबालिग के साथ। एसएसपी नितिन तिवारी से मिल रही जानकारी के अनुसार लड़की को पहले अगवा कर मेरठ से देवबंद ले जाया गया, फिर वहाँ जबरन मज़हब बदलवाने के बाद उसे प्रयागराज ले जाकर निकाह कर दिया गया। मामला तूल पकड़ने पर पुलिस को किशोरी के साथ ‘शौहर’, शौहर का भाई और जीजा भी बरामद हुए। लड़की चार मई से लापता चल रही थी।

क्षेत्र में तनाव, भीड़ थाने के सामने जमा

लता (बदला हुआ नाम) के बयान के मुताबिक प्रयागराज में निकाह के बाद मंसूर (सांकेतिक नाम) ने उसे कभी हैदराबाद तो कभी मुंबई में रखा। उसे चंडीगढ़ के होटल में भी रखा गया था। मंसूर उसे लेकर प्रयागराज इसलिए लौटा क्योंकि वह उच्च न्यायालय में अपनी सुरक्षा के लिए रिट डालने की तैयारी कर रहा था। लेकिन वह अपनी तैयारी को अंजाम दे पाता, उसके पहले ही लता के पीछे लगी क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे धर दबोचा।

मंसूर के घर के 12 लोग और उसके रिश्तेदारों को पुलिस ने पहले ही जेल भेज दिया था, लेकिन लता का कोई सुराग नहीं मिला था। लता को पत्रिका की खबर के मुताबिक मेरठ के ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र के एक कारोबारी की बेटी बताया जा रहा है। मामले के मज़हबी रंग के चलते क्षेत्र में तनाव है और भीड़ थाने के आगे जमा है।

अभी संसद का मुँह देखा भी नहीं था कि लटकने लगी गिरफ्तारी की तलवार

उत्तर प्रदेश की घोसी सीट से सपा-बसपा और रालोद गठबंधन के नव निर्वाचित सांसद अतुल राय को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। दुष्कर्म समेत कई अन्य मामलों के आरोपी अतुल राय ने गिरफ्तारी से राहत की माँग करते हुए याचिका दाखिल की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा सोमवार (मई 27, 2019) को एक बार फिर से खारिज कर दिया गया।

जानकारी के मुताबिक, यूपी कॉलेज की एक पूर्व छात्रा ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाते हुए केस दर्ज करवाया था। छात्रा का आरोप है कि अतुल सिंह ने उसे पत्नी से मिलाने के लिए घर पर बुलाया था और इसके बाद मौके का फायदा उठाकर उसके साथ दुष्कर्म किया था। केस पर सुनवाई करते हुए न्यायिक मैजिस्ट्रेट ने अतुल राय की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। जिसके बाद से ही वो फरार चल रहे हैं।

उनके घर पर पुलिस ने कई बार छापेमारी भी की, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला। अतुल जमानत के लिए हाई कोर्ट तक गए, लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिली। अतुल राय के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया है। हालाँकि चुनाव प्रचार के दौरान वह अपने क्षेत्र में मौजूद नहीं थे, फिर भी उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी से लगभग 1 लाख 22 हजार वोटों से जीत हासिल की।

इससे पहले कोर्ट ने 8 मई को गिरफ्तारी से छूट का अनुरोध करने वाली याचिका को ठुकरा दी थी। इस याचिका में अतुल राय ने 23 मई तक राहत देने की माँग की थी। इस दौरान न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और संजीव खन्ना की अवकाश पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा था कि यह रद्द करने वाला मामला नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि वो चुनाव भी लड़ें और साथ ही मुकदमा भी। जिसके बाद सोमवार (मई 27, 2019) को सुनवाई होनी थी, जहाँ कोर्ट ने फिर से अतुल राय की याचिका दोबारा खारिज कर दी।

अमेठी हत्‍याकांड: 24 घंटों में ताबड़तोड़ छापेमारी, 3 नामजद आरोपित गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश के अमेठी से नवनिर्वाचित सांसद स्मृति ईरानी के करीबी माने जाने वाले भाजपा कार्यकर्ता और बरौलिया गाँव के पूर्व प्रधान सुरेंद्र सिंह की हत्या मामले में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। इंडिया टीवी की खबर के मुताबिक 24 घंटे लगातार छापेमारी करने के बाद पुलिस ने 3 नामजद आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है जबकि दो अभी फरार हैं। गिरफ्तार आरोपितों के नाम नसीम (झोलाछाप डॉक्टर), धर्मनाथ गुप्ता (पूर्व प्रत्याशी ग्राम प्रधान बरौलिया) और रामचंद्र (वर्तमान में बीडीसी) हैं। आरोपित वसीम और गोलू की गिरफ्तारी के लिए कुछ लोगों को हिरासत में लेकर दबिश दी जा रही है।

गौरतलब है शनिवार (मई 25, 2019) की रात सोते हुए सुरेंद्र सिंह पर अज्ञात बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोली बरसा कर हत्या कर दी थी। गोली लगने से घायल सुरेंद्र सिंह को लखनऊ ट्रामा सेंटर ले जाया जाने लगा लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। मृतक सुरेंद्र सिंह के परिवार ने कहा कि उन सभी ने मिल कर ‘दीदी’ को जिताने के लिए प्रचार किया था, इसी का बदला लिया गया है।

मृतक की पत्नी रुक्मिणी देवी ने कहा कि स्मृति ईरानी ने उनसे मिल कर उनके बच्चों का अपने बच्चों की तरह ख्याल रखने की बात कही है। रुक्मिणी देवी ने बताया कि स्मृति ईरानी ने उनके बच्चों को सुरक्षा देने का भी आश्वासन दिया। स्मृति ईरानी ने अमेठी के बरौली गाँव के पूर्व प्रधान मृतक सुरेंद्र सिंह के शव को कंधा दिया और परिवार से मिल कर उन्हें ढाँढस बँधाया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मैंने सुरेंद्र सिंह जी के परिवार के सामने ये कसम खाई है कि जिसने उन्हें गोली मारी है और जिसने मरवाई है, उसे मैं मृत्युदंड दिलाकर रहूँगी, चाहे इसके लिए मुझे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़े।”

इंडिया टीवी की खबर के मुताबिक लखनऊ में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने इस मामले पर कहा है कि उन्हें मामले में पुरानी रंजिश का पता चला है। और अभी वे यह भी पता कर रहे हैं कि कहीं कोई राजनीतिक दुश्मनी तो नहीं थी। यूपी पुलिस टीम की सघन जाँच चालू है। उनके मुताबिक अब तक 7 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इसके साथ ही उन्हें इलेक्ट्रानिक सर्विलांस से भी कुछ महत्वपूर्ण तथ्य भी मिले हैं।