Wednesday, November 20, 2024
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एक और लव-जिहाद: मेरठ से नाबालिग अगवा, देवबंद में कलमा पढ़ाया, प्रयागराज में निकाह

मेरठ में एक और लव-जिहाद का मामला प्रकाश में आया है, वह भी नाबालिग के साथ। एसएसपी नितिन तिवारी से मिल रही जानकारी के अनुसार लड़की को पहले अगवा कर मेरठ से देवबंद ले जाया गया, फिर वहाँ जबरन मज़हब बदलवाने के बाद उसे प्रयागराज ले जाकर निकाह कर दिया गया। मामला तूल पकड़ने पर पुलिस को किशोरी के साथ ‘शौहर’, शौहर का भाई और जीजा भी बरामद हुए। लड़की चार मई से लापता चल रही थी।

क्षेत्र में तनाव, भीड़ थाने के सामने जमा

लता (बदला हुआ नाम) के बयान के मुताबिक प्रयागराज में निकाह के बाद मंसूर (सांकेतिक नाम) ने उसे कभी हैदराबाद तो कभी मुंबई में रखा। उसे चंडीगढ़ के होटल में भी रखा गया था। मंसूर उसे लेकर प्रयागराज इसलिए लौटा क्योंकि वह उच्च न्यायालय में अपनी सुरक्षा के लिए रिट डालने की तैयारी कर रहा था। लेकिन वह अपनी तैयारी को अंजाम दे पाता, उसके पहले ही लता के पीछे लगी क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे धर दबोचा।

मंसूर के घर के 12 लोग और उसके रिश्तेदारों को पुलिस ने पहले ही जेल भेज दिया था, लेकिन लता का कोई सुराग नहीं मिला था। लता को पत्रिका की खबर के मुताबिक मेरठ के ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र के एक कारोबारी की बेटी बताया जा रहा है। मामले के मज़हबी रंग के चलते क्षेत्र में तनाव है और भीड़ थाने के आगे जमा है।

अभी संसद का मुँह देखा भी नहीं था कि लटकने लगी गिरफ्तारी की तलवार

उत्तर प्रदेश की घोसी सीट से सपा-बसपा और रालोद गठबंधन के नव निर्वाचित सांसद अतुल राय को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। दुष्कर्म समेत कई अन्य मामलों के आरोपी अतुल राय ने गिरफ्तारी से राहत की माँग करते हुए याचिका दाखिल की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा सोमवार (मई 27, 2019) को एक बार फिर से खारिज कर दिया गया।

जानकारी के मुताबिक, यूपी कॉलेज की एक पूर्व छात्रा ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाते हुए केस दर्ज करवाया था। छात्रा का आरोप है कि अतुल सिंह ने उसे पत्नी से मिलाने के लिए घर पर बुलाया था और इसके बाद मौके का फायदा उठाकर उसके साथ दुष्कर्म किया था। केस पर सुनवाई करते हुए न्यायिक मैजिस्ट्रेट ने अतुल राय की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। जिसके बाद से ही वो फरार चल रहे हैं।

उनके घर पर पुलिस ने कई बार छापेमारी भी की, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला। अतुल जमानत के लिए हाई कोर्ट तक गए, लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिली। अतुल राय के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया है। हालाँकि चुनाव प्रचार के दौरान वह अपने क्षेत्र में मौजूद नहीं थे, फिर भी उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी से लगभग 1 लाख 22 हजार वोटों से जीत हासिल की।

इससे पहले कोर्ट ने 8 मई को गिरफ्तारी से छूट का अनुरोध करने वाली याचिका को ठुकरा दी थी। इस याचिका में अतुल राय ने 23 मई तक राहत देने की माँग की थी। इस दौरान न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और संजीव खन्ना की अवकाश पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा था कि यह रद्द करने वाला मामला नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि वो चुनाव भी लड़ें और साथ ही मुकदमा भी। जिसके बाद सोमवार (मई 27, 2019) को सुनवाई होनी थी, जहाँ कोर्ट ने फिर से अतुल राय की याचिका दोबारा खारिज कर दी।

अमेठी हत्‍याकांड: 24 घंटों में ताबड़तोड़ छापेमारी, 3 नामजद आरोपित गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश के अमेठी से नवनिर्वाचित सांसद स्मृति ईरानी के करीबी माने जाने वाले भाजपा कार्यकर्ता और बरौलिया गाँव के पूर्व प्रधान सुरेंद्र सिंह की हत्या मामले में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। इंडिया टीवी की खबर के मुताबिक 24 घंटे लगातार छापेमारी करने के बाद पुलिस ने 3 नामजद आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है जबकि दो अभी फरार हैं। गिरफ्तार आरोपितों के नाम नसीम (झोलाछाप डॉक्टर), धर्मनाथ गुप्ता (पूर्व प्रत्याशी ग्राम प्रधान बरौलिया) और रामचंद्र (वर्तमान में बीडीसी) हैं। आरोपित वसीम और गोलू की गिरफ्तारी के लिए कुछ लोगों को हिरासत में लेकर दबिश दी जा रही है।

गौरतलब है शनिवार (मई 25, 2019) की रात सोते हुए सुरेंद्र सिंह पर अज्ञात बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोली बरसा कर हत्या कर दी थी। गोली लगने से घायल सुरेंद्र सिंह को लखनऊ ट्रामा सेंटर ले जाया जाने लगा लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। मृतक सुरेंद्र सिंह के परिवार ने कहा कि उन सभी ने मिल कर ‘दीदी’ को जिताने के लिए प्रचार किया था, इसी का बदला लिया गया है।

मृतक की पत्नी रुक्मिणी देवी ने कहा कि स्मृति ईरानी ने उनसे मिल कर उनके बच्चों का अपने बच्चों की तरह ख्याल रखने की बात कही है। रुक्मिणी देवी ने बताया कि स्मृति ईरानी ने उनके बच्चों को सुरक्षा देने का भी आश्वासन दिया। स्मृति ईरानी ने अमेठी के बरौली गाँव के पूर्व प्रधान मृतक सुरेंद्र सिंह के शव को कंधा दिया और परिवार से मिल कर उन्हें ढाँढस बँधाया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मैंने सुरेंद्र सिंह जी के परिवार के सामने ये कसम खाई है कि जिसने उन्हें गोली मारी है और जिसने मरवाई है, उसे मैं मृत्युदंड दिलाकर रहूँगी, चाहे इसके लिए मुझे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़े।”

इंडिया टीवी की खबर के मुताबिक लखनऊ में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने इस मामले पर कहा है कि उन्हें मामले में पुरानी रंजिश का पता चला है। और अभी वे यह भी पता कर रहे हैं कि कहीं कोई राजनीतिक दुश्मनी तो नहीं थी। यूपी पुलिस टीम की सघन जाँच चालू है। उनके मुताबिक अब तक 7 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इसके साथ ही उन्हें इलेक्ट्रानिक सर्विलांस से भी कुछ महत्वपूर्ण तथ्य भी मिले हैं।

कॉन्ग्रेस के 22 में से 21 नेताओं की जमानत जब्त: सलमान खुर्शीद को मिले मात्र 5% वोट

लोकसभा चुनाव के दौरान आई मोदी सुनामी ने देश के मुख्य विपक्षी दल कॉन्ग्रेस को तबाह कर दिया। राहुल गाँधी की अध्यक्षता में चुनाव में उतरी कॉन्ग्रेस प्रियंका गांधी के सहारे बेहतर परिणामों की उम्मीद कर रही थी, मगर आलम यह रहा कि दिग्गजों को भी हार का मुँह देखना पड़ा और राहुल गाँधी तो अपनी परंपरागत सीट अमेठी तक को गंवा बैठे। उत्तर प्रदेश में पार्टी के खाते में केवल 1 सीट ही आई, वो भी यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी की। सोनिया गाँधी ने रायबरेली की सीट जीतकर पार्टी का खाता तो खोल दिया मगर पार्टी की हालत बेहद खराब रही।

पार्टी ने इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश से 22 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जिसमें से 21 उम्मीदवार ना सिर्फ चुनाव हारे, बल्कि उनकी जमानत भी जब्त हो गई। इन 21 उम्मीदवारों में कॉन्ग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद भी शामिल हैं। सिर्फ सहारनपुर से चुनाव लड़ने वाले इमरान मसूद ही अपनी जमानत बचा पाए। मसूद को 16.81% वोट मिले। चुनाव आयोग के नियम के अनुसार, नामांकन के वक्त प्रत्याशी को ₹25 हजार की जमानत राशि जमा करनी होती है और यदि किसी प्रत्याशी को कुल वोटों का 1/6 यानी 16.66 फीसदी वोट नहीं मिलता है, तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है।

पश्चिमी उत्तरप्रदेश की 28 सीटों में से कॉन्ग्रेस ने 22 पर चुनाव लड़ा था। कॉन्ग्रेस ने इन 28 सीटों में से 4 पर महागठबंधन के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारे थे। ये चार सीट हैं- मुजफ्फरनगर, बागपत, मैनपुरी और फिरोजाबाद। जिसमें से मुजफ्फरनगर सीट से आरएलडी प्रमुख अजीत सिंह, बागपत से अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी, मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव और फिरोजाबाद से मुलायम सिंह यादव के भतीजे अक्षय यादव मैदान में थे। इसके अलावा बची हुई दो सीटों पीलीभीत और ऐटा पर कॉन्ग्रेस समर्थित प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे थे और इन दोनों प्रत्याशियों की भी जमानत जब्त हो गई।

राज बब्बर और सलमान खुर्शीद के अलावा आगरा, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, बरेली, बदायूं, आँवला, शाहजहांपुर, गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, मुरादाबाद, संभल, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, रामपुर, कैराना से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों की भी जमानत जब्त हो गई।

राज बब्बर की जमानत फतेहपुर सीकरी में जब्त हुई। उन्हें भाजपा प्रत्याशी राज कुमार चाहर ने मात दी। राजकुमार चाहर को 6.67 लाख वोट मिले, जबकि राज बब्बर को सिर्फ 1.72 लाख यानि 16.56 फीसदी वोट मिले थे। वहीं सलमान खुर्शीद की बात करें, तो उन्हें फर्रुखाबाद से भाजपा उम्मीदवार मुकेश राजपूत के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। सलमान को सिर्फ 5.51 फीसदी यानि 55,258 वोट मिले। जबकि भाजपा उम्मीदवार को 5.69 लाख वोट मिले थे। राज्य में पार्टी की बुरी तरह हार की जिम्मेदारी लेते हुए राज बब्बर ने कॉन्ग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश भी की है और साथ ही उन्होंने ट्वीट भी किया था।

‘राम का काम करना है और राम का काम होकर रहेगा, करनी होगी निगरानी’: मोहन भागवत

लोकसभा चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद राष्ट्रीय सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का बयान आया है। उन्होंने संघ के एक कार्यक्रम में कहा कि राम का काम करना है और राम का काम होकर रहेगा। हालाँकि उन्होंने स्पष्ट नहीं किया कि उनका ये बयान किस संदर्भ में था, लेकिन फिर भी कयास लगाए जा रहे हैं कि वो राम मंदिर के बारे में बात कर रहे थे।

दरअसल, उदयपुर में चल रहे संघ शिक्षा वर्ग प्रशिक्षण में मोहन भागवत 4 दिन तक रहे। इस शिविर में 300 के करीब स्वयंसेवक भाग ले रहे हैं। यहाँ मोहन भागवत ने मंच से संबोधित करते हुए कहा, ”राम का काम करना है और राम का काम होकर रहेगा। राम का काम करना है तो अपना काम करना है, अपना काम खुद करेंगे तो ठीक होता है। सौंप देते हैं तो किसी को निगरानी करनी होती है।” बता दें आरएसएस प्रमुख से पहले ऐसा बयान मुरारी बापू की ओर से भी आ चुका है। मुरारी बापू ने कहा था कि राम का काम सबको करना है जिसको आगे बढ़ाते हुए मोहन भागवत ने कहा कि राम का काम होकर रहेगा।

गौरतलब है कि चुनाव से पहले भैय्या जी जोशी ने केंद्र सरकार पर भरोसा जताते हुए कहा था कि अभी भी सरकार की निष्ठा पर हमें कोई संदेह नहीं है। उन्होंने कहा “हम मानते हैं कि सत्ता में बैठे हुए लोगों में अभी राम मंदिर का विरोध नहीं है। उनकी प्रतिबद्धता को लेकर हमारे मन में कोई शंका नहीं है।”

इससे पहले मार्च 10, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या स्थित रामजन्मभूमि मामले पर सुनवाई करते हुए मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया था। न्यायालय के इस निर्णय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। संघ ने अयोध्या मामले को मध्यस्थता के लिए भेजने के निर्णय को ‘आश्चर्यजनक’ बताया था। बता दें, फिलहाल राम मंदिर का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

ओरछा के ‘राजा’ श्रीराम के धाम को मिली नई पहचान, UNESCO विश्व धरोहर में होगा शामिल

मध्यप्रदेश में भगवान राम के धाम ओरछा को दुनिया में नई पहचान मिलने जा रही है। मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में स्थित ओरछा की ऐतिहासिक धरोहर को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) के प्रस्ताव पर यूनेस्को ने विश्व धरोहरों की ‘अस्थायी’ सूची में शामिल कर लिया है। एएसआई ने यह प्रस्ताव एक माह पहले यानी 15 अप्रैल को भेजा था। 16वीं सदी में बुंदेला राजवंश द्वारा बनवाए गए स्थापत्य कला के उत्कृष्ट नमूने देखने के लिए देश-दुनिया से पर्यटक और श्रद्धालु यहाँ आते हैं और अब यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल होने के बाद सभी आवश्यक प्रकिया पूरी करके यूनेस्को के पास भेजा जाएगा। दरअसल, किसी भी ऐतिहासिक स्थल, भवन या धरोहर को विश्व धरोहर की सूची में शामिल होने के लिए पहले विश्व धरोहरों की अस्थायी सूची में शामिल होना पड़ता है।

ओरछा स्थित रामराजा मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहाँ भगवान राम को भगवान के रूप में पूजने के साथ ही राजा के रूप में भी पूजा जाता है। इनको दिन में पांचों पहर सशस्त्र गार्डों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर (सलामी) दी जाती है। गार्ड ऑफ ऑनर देने के लिए मंदिर के प्रवेश द्वार पर मध्य प्रदेश की स्पेशल आर्म्ड फ़ोर्स (SAF) के 11 जवान तैनात रहते हैं, जो तीन-तीन घंटे के अंतराल से ड्यूटी देते हैं। यह परंपरा तकरीबन 400 साल से चली आ रही है। मान्यताओं के अनुसार, यह मूर्ति मधुकर शाह के राज्यकाल के दौरान उनकी महारानी गणेश कुंवर अयोध्या से लाई थीं।

मंदिर बनने से पहले इसे कुछ समय के लिए इसे महल में स्थापित किया गया। लेकिन मंदिर बनने के बाद कोई भी मूर्ति को उसके स्थान से हिला नहीं पाया। जिसके बाद इसे ईश्वर का चमत्कार मानते हुए महल को ही मंदिर का रूप दे दिया गया और इसका नाम राम राजा मंदिर रख दिया गया। यहाँ के लोगों का मानना है कि भगवान राम हर दिन अदृश्य रूप में इस मंदिर में आते हैं। ओरछा अपने रामराजा मंदिर, शीश महल, जहाँगीर महल, बाग-बगीचे, खुले गलियारे, पत्थरों वाली जाली का काम, वास्तुशिल्प आदि की वजह से आकर्षण का केंद्र बना हुआ है और आने वाले दिनों में इसके विश्व धरोहरों की सूची में शामिल होने की संभावना है।

गरीबी रेखा नहीं रोक सकी हौसलों की उड़ान: BPL कार्ड धारक बने सांसद


पिछले कुछ समय से ऐसा माना जाने लगा था कि चुनाव लड़ना सिर्फ़ अमीरों तक ही सीमित रह गया है लेकिन 2019 चुनावी नतीजों में कुछ ऐसा देखने को मिला जिससे ये धारणा खारिज होती दिख रही है। आँध्र प्रदेश में वाईएसआर कॉन्ग्रेस पार्टी के 22 सासंदों में से किसान, सर्किल इंस्पेक्टर, फिजिकल एजुकेशन टीचर और ग्रुप 1 ब्यूरोक्रेट भी शामिल हैं। इन्हीं जीते हुए सांसदों में एक नाम नंदीगम सुरेश का भी है। बापटला लोकसभा क्षेत्र से चुने गए नए सांसद नंदीगम सुरेश बीपीएल कार्ड धारक हैं जो अमरावती क्षेत्र उड्डानडरायुनीपालेम गाँव में केले की खेती करते हैं।

नवभारत टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक सुरेश संयुक्त परिवार से आते हैं। उनके परिवार के पास केवल 2 एकड़ जमीन है जो उनकी आजीविका का साधन है। सुरेश पार्ट टाइम फोटोग्राफर के रूप में काम करते हैं और अपने परिवार का सहयोग भी करते हैं।

साल 2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के निधन के बाद सुरेश जगमोहन रेड्डी (वाईएस राजशेखर रेड्डी के बेटे) के समर्थक बन गए थे। जब जगन ने वाईएसआर कॉन्ग्रेस का गठन किया तो सुरेश को यूथ विंग का नेता बनाया गया। इसके बाद पिछले वर्ष जगन ने सुरेश को बापटला लोकसभा क्षेत्र का इंचार्ज बना दिया।हालाँकि हिंदी और अंग्रेजी न जानने के कारण उन्होंने जगनमोहन से आग्रह किया कि उन्हें ये पोस्ट न दी जाए लेकिन फिर भी जगन को इंचार्ज बनाए रखा और उन्हें क्षेत्र से उम्मीदवार बना दिया।

सुरेश बताते हैं, “जगन अन्ना ने मुझसे हाथ जोड़कर लोगों से मिलने के लिए कहा और विधानसभा के उम्मीदवारों के साथ सहयोग रखने की सलाह दी। बाकी जो हुआ वह इतिहास है।” बता दें सुरेश ने पूर्व आईटी कमिश्नर और टीडीपी सांसद माल्याद्री श्रीराम को लोकसभा चुनाव में करारी हार का मुँह दिखाया।

नियमों का उल्लंघन होने पर बल्लेबाजी पक्ष पर 7 रन का जुर्माना लगना चाहिए: सचिन तेंदुलकर

क्रिकेट की दुनिया के दिग्गज बल्लेबाज़ सचिन तेंदुलकर का कहना है कि गेंदबाजी करने वाली टीम की तरह बल्लेबाजी करने वाली टीम पर भी मैच के दौरान खेल के नियमों का उल्लंघन करने पर सात रन का जुर्माना लगाया जाना चाहिए। तेंदुलकर की यह टिप्पणी मुंबई टी-20 लीग के सेमीफाइनल मैच (शनिवार, 25 मई) में सोबो सुपरसोनिक और आकाश टाइगर्स मुंबई वेस्टर्न सबर्ब के बीच हुए एक विवाद के बाद सामने आई।

ख़बर के अनुसार, तेंदुलकर ने कहा, “जो भी मैंने देखा, वो मैंने पहली बार देखा है और फिर मैंने सोचना शुरू किया कि क्या किया जा सकता है? यह एक डेड बॉल नहीं हो सकती। लेकिन नियम इस तरह के हैं कि जो कुछ भी हुआ, वो उस समय सही चीज थी।” उन्होंने कहा, “लेकिन मैं सोच रहा था कि बदलाव के लिए क्या किया जा सकता है जो आने वाले समय में लागू किया जा सकता है।”

सचिन तेंदुलकर ने कहा, “मुझे लगता है कि अगर सर्कल के अंदर तीन फील्डर हैं तो अंपायर उन्हें कभी नहीं कहता कि आपको चौथा फील्डर रिंग में लगाने की ज़रूरत है और अगर नो बॉल होती है और इसके लिए फ्री हिट है। इसलिए, क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम को इसके लिए जुर्माना लगाया जाता है। लेकिन जब बल्लेबाज अपने छोर पर नहीं पहुँचते तो बल्लेबाजी करने वाली टीम पर जुर्माना क्यों नहीं लगता? मुझे लगता है कि बल्लेबाजी करने वाली टीम को भी सजा मिलनी चाहिए और एक गेंद पर अधिकतम कितने रन बना सकता है, जो 7 रन हैं (जिसमें एक पिछली नो बॉल और फ्री हिट पर रन हैं)। इसलिए, शायद यहाँ पर बल्लेबाजी करने वाली टीम पर 7 रन का जुर्माना लगना चाहिए।”

शनिवार को इस मैच में 15वें ओवर की समाप्ति पर सोबो सुपरसॉनिक 158 रन बिना विकेट गँवाए खेल रही थी, जब हर्ष टैंक को ऐंठन (क्रैंप) की वजह से चिकित्सा लेनी पड़ी। 15वें ओवर की आख़िरी गेंद पर जय बिस्टा ने सिंगल रन लिया, लेकिन अगले ओवर की शुरुआत में किसी भी खिलाड़ी या अंपायर को यह महसूस नहीं हुआ कि जो टैंक स्ट्राइक छोर पर थे न कि बिस्टा।

ग़लत तरीके से स्ट्राइक लेने के बाद पहली गेंद पर टैंक आउट हो गए। यह देखते हुए कि बल्लेबाजों ने बदलाव नहीं किया, अंपायरों ने इसे डेड बॉल करार दिया जिससे आकाश टाइगर्स को विकेट नहीं मिला जबकि ग़लती पूरी तरह से बल्लेबाजों की थी। तेंदुलकर ने कहा कि ऑन-फील्ड अंपायरों की ग़लती को इंगित करना ऑफ-फील्ड मैच अधिकारियों का कर्तव्य था। उन्होंने कहा, “अंपायरों ने बल्लेबाजों को नहीं बताया। आज की तकनीक के साथ तीसरा या चौथा अंपायर लेग-अंपायर के साथ संवाद करने की स्थिति में होना चाहिए और उसे बताना चाहिए कि स्ट्राइकर को गैर-स्ट्राइकर के अंत में होना चाहिए।”

तेंदुलकर ने कहा, “बल्लेबाजी पक्ष को इसके लिए दंडित किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नियमानुसार छोर बदल दिए जाएँ।”

पश्चिम बंगाल में एक और BJP कार्यकर्ता की गोली मारकर हत्या, छानबीन शुरू

पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमलों का दौर लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद भी थमा नहीं हैं। प्रदेश के उत्तर 24 परगना के काकीनाडा में कल रात भाजपा कार्यकर्ता चंदन शॉ की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी।

इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल है। सुरक्षाबलों को भारी संख्या में तैनात कर दिया गया है। घटना के बाद से पुलिस छानबीन में जुट गई है। खबर के मुताबिक रात 10:30 बजे के करीब चंदन अपने घर लौट रहे थे, जब उन्हें 4 अज्ञातों ने रोका और उनपर गोली चलाई।

भाजपा कार्यकर्ताओं पर ऐसे हमले अब आम होते जा रहे हैं। कल (मई 26, 2019) उत्तर प्रदेश के अमेठी में भाजपा कार्यकर्ता सुरेंद्र सिंह की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इससे पहले पश्चिम बंगाल के चकदाहा में भाजपा कार्यकर्ता शांतु घोष को शुक्रवार रात उनके घर के बाहर गोली मारी गई थी। उन्हें अस्पताल भी लेकर जाया गया लेकिन वे बच न सके।

जानकारी के मुताबिक शांतु रात के करीब 9 बजे घर लौटे थे। उसके बाद उन्हें कुछ युवक घर से बुलाकर ले गए और एक मैदान में ले जाकर गोली मार दी और फरार हो गए। इस मामले में पुलिस ने कल एक 25 वर्षीय युवक को हिरासत में लिया है। उससे पूछताछ जारी है।

‘चतुर लोमड़ी’ केजरीवाल ने कहा: लोकसभा के अंगूर खट्टे थे, विधानसभा वाले खाऊँगा

चुनाव में मिली करारी हार के बाद अरविंद केजरीवाल जनता से आँख भी नहीं मिला पा रहे हैं। उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान पूरे देश में एक अलग ही माहौल बना हुआ था जिससे दिल्ली की जनता भी अछूती नहीं थी। इसीलिए भाजपा जीत गई और AAP को कोई सीट नहीं मिली। उनके मुताबिक दिल्ली की जनता ने उनसे खुद यह बात कही कि ये बड़े चुनाव थे। छोटे चुनाव जब आएँगे तब दिल्ली की जनता उनके साथ होगी।

उनका कहना है कि दिल्ली की जनता उन्हें एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाएगी। इन चुनावों में पूरी दिल्ली के अंदर यह सुनने को मिल रहा था कि यह बड़ा चुनाव है यह नरेंद्र मोदी और राहुल गाँधी का चुनाव है, केजरीवाल का चुनाव नहीं है।

पंजाबी बाग में आयोजित सम्मेलन के दौरान केजरीवाल ने अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया। केजरीवाल ने कार्यकर्ताओं का संबोधन ‘हाउ इज जोश’ कहकर शुरू किया। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को यकीन दिलाया कि भले ही चुनाव के परिणाम उनके आशा के अनुरूप नहीं हैं, लेकिन जनता के मन में पार्टी लिए कोई नकारात्मक भाव नहीं है।

केजरीवाल ने आने वाले विधानसभा चुनावों के बारे में भी बात की। उन्होंने संबोधन के दौरान कार्यकर्ताओं से कहा, “मायूस होने की आवश्यकता नहीं है, जनता दिल्ली सरकार की तारीफ़ कर रही है। अपना कॉलर ऊपर करो और जनता के बीच जाओ और कहो कि बड़े चुनाव में जो किया सो किया, अब छोटा चुनाव आ रहा है आप को वोट करे।”

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की मानें तो पिछली बार उन्हें 54% वोट मिला था और अगले विधानसभा चुनाव में यह रेकॉर्ड टूटेगा। लेकिन इसके लिए उन्होंने पार्टी के लोगों से एक शर्त रखी कि वो सब अपनी मायूसी को खत्म करें और चेहरे पर स्माइल लेकर आएँ।

इस सम्मेलन के अवसर पर केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने की बधाई दी और कहा कि उम्मीद है अगली केंद्र सरकार दिल्ली सरकार के साथ मिलकर काम करेगी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इन चुनावों में उन्होंने ही सबसे बेहतरीन उम्मीदवार खड़े किए थे। केजरीवाल का मानना है कि सबसे अच्छा चुनाव उन्होंने लड़ा और दिल्ली की जनता उन्हें विधानसभा चुनावों में जरूर जिताएगी। उनका कहना है कि उनकी पार्टी में कोई बदलाव नहीं आया है।