Wednesday, November 20, 2024
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पश्चिम बंगाल में एक और BJP कार्यकर्ता की गोली मारकर हत्या, छानबीन शुरू

पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमलों का दौर लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद भी थमा नहीं हैं। प्रदेश के उत्तर 24 परगना के काकीनाडा में कल रात भाजपा कार्यकर्ता चंदन शॉ की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी।

इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल है। सुरक्षाबलों को भारी संख्या में तैनात कर दिया गया है। घटना के बाद से पुलिस छानबीन में जुट गई है। खबर के मुताबिक रात 10:30 बजे के करीब चंदन अपने घर लौट रहे थे, जब उन्हें 4 अज्ञातों ने रोका और उनपर गोली चलाई।

भाजपा कार्यकर्ताओं पर ऐसे हमले अब आम होते जा रहे हैं। कल (मई 26, 2019) उत्तर प्रदेश के अमेठी में भाजपा कार्यकर्ता सुरेंद्र सिंह की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इससे पहले पश्चिम बंगाल के चकदाहा में भाजपा कार्यकर्ता शांतु घोष को शुक्रवार रात उनके घर के बाहर गोली मारी गई थी। उन्हें अस्पताल भी लेकर जाया गया लेकिन वे बच न सके।

जानकारी के मुताबिक शांतु रात के करीब 9 बजे घर लौटे थे। उसके बाद उन्हें कुछ युवक घर से बुलाकर ले गए और एक मैदान में ले जाकर गोली मार दी और फरार हो गए। इस मामले में पुलिस ने कल एक 25 वर्षीय युवक को हिरासत में लिया है। उससे पूछताछ जारी है।

‘चतुर लोमड़ी’ केजरीवाल ने कहा: लोकसभा के अंगूर खट्टे थे, विधानसभा वाले खाऊँगा

चुनाव में मिली करारी हार के बाद अरविंद केजरीवाल जनता से आँख भी नहीं मिला पा रहे हैं। उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान पूरे देश में एक अलग ही माहौल बना हुआ था जिससे दिल्ली की जनता भी अछूती नहीं थी। इसीलिए भाजपा जीत गई और AAP को कोई सीट नहीं मिली। उनके मुताबिक दिल्ली की जनता ने उनसे खुद यह बात कही कि ये बड़े चुनाव थे। छोटे चुनाव जब आएँगे तब दिल्ली की जनता उनके साथ होगी।

उनका कहना है कि दिल्ली की जनता उन्हें एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाएगी। इन चुनावों में पूरी दिल्ली के अंदर यह सुनने को मिल रहा था कि यह बड़ा चुनाव है यह नरेंद्र मोदी और राहुल गाँधी का चुनाव है, केजरीवाल का चुनाव नहीं है।

पंजाबी बाग में आयोजित सम्मेलन के दौरान केजरीवाल ने अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया। केजरीवाल ने कार्यकर्ताओं का संबोधन ‘हाउ इज जोश’ कहकर शुरू किया। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को यकीन दिलाया कि भले ही चुनाव के परिणाम उनके आशा के अनुरूप नहीं हैं, लेकिन जनता के मन में पार्टी लिए कोई नकारात्मक भाव नहीं है।

केजरीवाल ने आने वाले विधानसभा चुनावों के बारे में भी बात की। उन्होंने संबोधन के दौरान कार्यकर्ताओं से कहा, “मायूस होने की आवश्यकता नहीं है, जनता दिल्ली सरकार की तारीफ़ कर रही है। अपना कॉलर ऊपर करो और जनता के बीच जाओ और कहो कि बड़े चुनाव में जो किया सो किया, अब छोटा चुनाव आ रहा है आप को वोट करे।”

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की मानें तो पिछली बार उन्हें 54% वोट मिला था और अगले विधानसभा चुनाव में यह रेकॉर्ड टूटेगा। लेकिन इसके लिए उन्होंने पार्टी के लोगों से एक शर्त रखी कि वो सब अपनी मायूसी को खत्म करें और चेहरे पर स्माइल लेकर आएँ।

इस सम्मेलन के अवसर पर केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने की बधाई दी और कहा कि उम्मीद है अगली केंद्र सरकार दिल्ली सरकार के साथ मिलकर काम करेगी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इन चुनावों में उन्होंने ही सबसे बेहतरीन उम्मीदवार खड़े किए थे। केजरीवाल का मानना है कि सबसे अच्छा चुनाव उन्होंने लड़ा और दिल्ली की जनता उन्हें विधानसभा चुनावों में जरूर जिताएगी। उनका कहना है कि उनकी पार्टी में कोई बदलाव नहीं आया है।

कई रडार बादलों के पार नहीं देख पाते: बालाकोट एयर स्ट्राइक पर खुल कर बोले जनरल रावत

सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने बालाकोट एयर स्ट्राइक से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए। साथ ही जनरल रावत ने मोदी के रडार वाले बयान पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान एक टीवी न्यूज़ चैनल को इंटरव्यू देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था, “मैं विज्ञान की उतनी समझ नहीं रखता हूँ। लेकिन मेरी जो थोड़ी-मोड़ी समझ है, उस हिसाब से, एयर स्ट्राइक के पहले मैंने कहा कि अगर बादल हैं और बारिश हो रही है तो हमें इसका लाभ लेना चाहिए। मैंने कहा कि अगर बादल हैं तो हमारे विमान पाकिस्तानी रडार से बच सकते हैं।” जनरल रावत ने इससे जुड़े सवालों के भी जवाब दिए।

जनरल रावत ने जानकारी देते हुए कहा कि कई तरह के रडार होते हैं, जो अलग-अलग तकनीक से कार्य करते हैं। जनरल रावत ने बताया कि कुछ रडार ऐसे होते हैं जिनके पास बादलों के पार देखने की क्षमता होती है, जबकि कुछ ऐसे भी रडार होते हैं जो बादलों के पार नहीं देख पाते। जनरल रावत ने कहा कि कभी ऐसा होता है और कभी ऐसा नहीं होता क्योंकि विभिन्न रडार विभिन्न प्रकार की तकनीकों पर आधारित होते हैं। बता दें कि पीएम मोदी के रडार वाले बयान के बाद सोशल मीडिया पर बड़ी बहस छिड़ गई थी और लोगों ने मीम बनाना शुरू कर दिया था।

जनरल रावत ने आतंकवाद पर बात करते हुए कहा,

“देश आजादी के बाद से ही आतंकवाद का सामना कर रहा है और सुरक्षा बल एवं उनका समर्थन कर रही सभी एजेंसियाँ इस चुनौती का डटकर मुकाबला कर रही हैं। हम यह सुनिश्चित करने में सफल रहे हैं कि आतंकवाद पर काबू पाया जाए। निश्चित तौर पर, कश्मीर घाटी में हम आतंकवाद में उतार-चढ़ाव देखते रहे हैं। इसका एक कारण यह है कि उन्हें हमारे पश्चिमी पड़ोसी (पाकिस्तान) से समर्थन मिलता है। वहीं, कई लोग आतंकवादियों की ओर से चलाए जा रहे दुष्प्रचार अभियान के कारण भी भटक जाते हैं. लेकिन हमने हालात को काबू में किया है।”

जनरल रावत ने कहा कि सेना लगातार यह प्रयास कर रही है कि आतंकियों तक पहुँचने वाले वित्तीय संसाधनों पर रोक लगाया जाए और इस कार्य में एनआईए से लेकर प्रवर्तन निदेशालय तक भी जुटी हुई है। उन्होंने कहा कि बालाकोट एयर स्ट्राइक इसीलिए की गई क्योंकि सीमा पार भारत के ख़िलाफ़ कदम उठाने वाले आतंकी बचे ही नहीं।

अरुण जेटली के स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया में उड़ी अफवाह निराधार, PIB ने कहा, वह स्वस्थ हैं

पिछले कई दिनों से केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के खराब स्वास्थ्य को लेकर सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों को सरकारी प्रवक्ता ने खारिज कर दिया है।

प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) के प्रधान महानिदेशक और केंद्र सरकार के प्रवक्ता सितांशु कार ने ट्विटर पर ऐसी सभी रिपोर्ट्स को आधारहीन और कोरी अफ़वाह बताया। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ”मीडिया के एक तबके में अरुण जेटली की स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ने को लेकर जो खबरें चल रही हैं, वह पूरी तरह गलत और निराधार है।”

PIB के प्रवक्ता ने बताया, “23 मई को जब पार्टी मुख्यालय में बीजेपी बंपर जीत की ख़ुशी में जश्न मना रही थी, तब अरुण जेटली AIIMS से डिस्चार्ज हुए थे। और 24 मई को उन्होंने नई सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले 2019-20 के पूर्ण बजट को लेकर वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ अपने घर पर बैठक की थी।”

अफवाह यह भी उड़ी थी कि अरुण जेटली इस बार वित्त मंत्रालय नहीं संभालेंगे। उनके पिछले तीन सप्ताह से दफ्तर भी नहीं आने के कारण ऐसी अटकलों को आधार मिल गया था।

बता दें कि अरुण जेटली नरेंद्र मोदी सरकार के सबसे अहम नेता हैं और कई मौकों पर वह सरकार के लिए संकट मोचक साबित हुए हैं। लेकिन, खराब स्वास्थ्य के कारण वह अंतरिम बजट भी पेश नहीं कर पाए थे। तभी से उनके ख़राब स्वास्थ्य की ख़बरें लगातार आ रही थी। उस दौरान पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था। इसलिए इस बार पियूष गोयल के वित्तमंत्री बनने की कई अफवाहें उड़ रही थीं। जो अभी तक कि ख़बरों के अनुसार निराधार हैं।

चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू ने RJD की हार के सदमे में छोड़ा दोपहर का खाना, रहते हैं चुप

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की तबियत बिगड़ गई है। चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू राँची स्थित बिरसा मुंडा कारावास में अपनी सजा काट रहे हैं। फिलहाल स्वास्थ्य ख़राब होने के कारण वह कई महीनों से रिम्स अस्पताल में भर्ती हैं। ताज़ा लोकसभा चुनाव में राजद को एक भी सीट नहीं मिली। कई पार्टियों के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन करने के बावजूद पार्टी का खाता तक नहीं खुला। बिहार में विपक्षी गठबंधन की बात करें तो कॉन्ग्रेस के खाते में सिर्फ़ 1 सीट आई। ख़ुद लालू यादव की बेटी मीसा भारती को पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र से रामकृपाल यादव के हाथों हार का सामना करना पड़ा। तेज प्रताप यादव की बग़ावत से भी पार्टी को ख़ासा नुक़सान पहुँचा।

ख़बरों के अनुसार, लोकसभा में राजद के सफाई और पारिवारिक कलह की वजह से पार्टी सुप्रीमो लालू यादव ने दिन का खाना भी छोड़ दिया है। वह अब ख़ामोश रहते हैं और कम बातें करते हैं। लालू का इलाज कर रहे डॉक्टर उमेश प्रसाद ने कहा,

“बीते दो-तीन दिन में लालू प्रसाद की दिनचर्या बदल गई है। वह नाश्ता करते हैं, रात का खाना खाते हैं, लेकिन दोपहर में खाना नहीं खाते। खाने-पीने का काेई टाइम टेबल नहीं है। इससे इंसुलिन देने में भी दिक्कत आ रही है। अगर जल्दी ही दिनचर्या में सुधार नहीं हुआ ताे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में उनकी काउंसलिंग की जा रही है। उन्हें समझाया जा रहा है कि समय पर भाेजन करें।

चारा घोटाले में 14 वर्षों की सजा काट रहे लालू को रोज 3 इन्सुलिन दी जाती है। उनके खाना न खाने के कारण उन्हें पहले की तरह दवाओं की डोज देने में भी दिक्कतें आ रही हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी लोकसभा चुनाव में राजद को एक सीट भी न मिली हो। पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद पार्टी 4 सीटें जीतने में कामयाब रही थी।

लालू यादव दर्जनभर बीमारियाें से पीड़ित हैं। उन्हें बहुत दिनों से हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज है। उनकी कार्डियक सर्जरी भी हो चुकी है। उनके हार्ट का वाॅल्व बदला जा चुका है। इसके अलावा वह क्राेनिक किडनी फेल्याेर (स्टेज थ्री) से भी पीड़ित हैं। इसके अलावा उन्हें प्राेस्टेट, हाइपर यूरीसिमिया, पेरिनियल इंफेक्शन, किडनी स्टाेन और फैटी लीवर की समस्या भी है। डॉक्टरों ने उनकी दिनचर्या को लेकर आगाह किया है कि इससे उनकी स्थिति और बिगड़ सकती है।

हाल ही में राजद के प्रदेश अध्यक्ष अभय सिंह और उनकी बायोग्राफी लिखने वाली नलिन वर्मा ने उनसे भेंट की। अभय सिंह ने बताया कि लालू को ठीक से नींद नहीं आती और वह सो नहीं पा रहे हैं। लालू बार-बार हतोत्साहित न होने की भी बात कहते हैं।

‘खून बहाने’ की धमकी देने वाले कुशवाहा की पार्टी का अस्तित्व संकट में, सभी विधायक JDU में शामिल

बिहार में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अस्तित्व पर ही संकट के बादल मँडराने लगे हैं। लोकसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस, राजद, वीआईपी और हम जैसी पार्टियों के साथ गठबंधन के बावजूद इन सभी पार्टियों को बुरी हार का सामना करना पड़ा। ख़ुद रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा दोनों ही सीटों से हार गए। कुशवाहा ने मतगणना से पहले इच्छित परिणाम न आने पर ख़ून-ख़राबे की धमकी भी दी थी। रामविलास पासवान ने उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए ‘जैसे को तैसा’ जवाब देने की बात कही थी। अब रालोसपा के सारे विधायक और विधान पार्षद जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए हैं

रालोसपा के 2 विधायक और एक विधान पार्षद जदयू में शामिल हो गए। विधायक ललन पासवान, सुधांशु शेखर और विधान पार्षद संजीव सिंह श्याम के जदयू में शामिल होने की आधिकारिक घोषणा हो गई है। दोनों विधायकों के जदयू में शामिल होने के बाद नीतीश कुमार की पार्टी के विधायकों की संख्या बढ़ कर 73 हो गई है। बता दें कि 2015 विधानसभा चुनाव में राजद और जदयू, दोनों दलों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और राजद को 80 सीटें आई थीं। रालोसपा के ये सभी विधायक कुशवाहा के राजग छोड़ कर महागठबंधन में आने से नाराज़ थे।

नीतीश कुमार की जदयू ने इस लोकसभा चुनाव में 17 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से उसे 16 पर जीत मिली। बिहार में राजग ने एक तरह से महागठबंधन का सफाया ही कर दिया। रालोसपा की स्थापना उपेंद्र कुशवाहा ने 2013 में जदयू से अलग होने के बाद की थी। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने 2014 में भाजपा के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था और पार्टी को तीनों सीटों पर विजय मिली थी।

उसके बाद उपेंद्र कुशवाहा को मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाया गया था लेकिन 2019 के चुनाव से ठीक पहले सीटों की संख्या को लेकर उनकी बात राजग से नहीं बनी और वे महागठबंधन का हिस्सा बन गए। महागठबंधन ने उन्हें 5 सीटें दीं लेकिन पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई। कुशवाहा को ख़ुद उजियारपुर और काराकाट से बुरी हार मिली। काराकाट में जदयू के महाबली सिंह ने उन्हें 84,500 से भी अधिक मतों से मात दी। वहीं उजियारपुर में कुशवाहा को बिहार भाजपा के अध्यक्ष नित्यानंद राय ने पौने 3 लाख से अभी अधिक मतों से हराया।

मृतक सुरेंद्र के बच्चों की जिम्मेदारी स्मृति ईरानी ने ली, अमेठी पहुँच कर अर्थी को दिया कंधा

अमेठी में केंद्रीय मंत्री और वहाँ की सांसद स्मृति ईरानी के क़रीबी भाजपा नेता की हत्या के बाद इसमें राजनीतिक रंजिश की बात कही जा रही है। मृतक सुरेंद्र सिंह के परिवार ने कहा है कि उन सभी ने मिल कर ‘दीदी’ को जिताने के लिए प्रचार किया, इसी का बदला लिया गया। मृतक की पत्नी रुक्मणि देवी ने कहा है कि स्मृति ईरानी ने उनसे मिल कर उनके बच्चों का अपने बच्चों की तरह ख्याल रखने की बात कही है। रुक्मणि देवी ने कहा कि स्मृति ईरानी ने उनके बच्चों को सुरक्षा देने का भी आश्वासन दिया। स्मृति ईरानी ने अमेठी के बरौली गाँव के पूर्व प्रधान मृतक सुरेंद्र सिंह के शव को कंधा दिया और परिवार से मिल कर उन्हें ढाँढस बँधाया।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के अमेठी से नवनिर्वाचित सांसद स्मृति ईरानी के करीबी माने जाने वाले भाजपा कार्यकर्ता और बरौलिया गाँव के पूर्व प्रधान सुरेंद्र सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। जानकारी के मुताबिक, शनिवार (मई 25, 2019) की रात सोते हुए सुरेंद्र सिंह पर अज्ञात बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोली बरसा कर हत्या कर दी। गोली लगने से घायल सुरेंद्र सिंह को लखनऊ ट्रामा सेंटर ले जाते समय रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।

अमेठी पहुँचीं स्मृति ने कहा कि सुरेंद्र 1977 से ही पार्टी के ज़मीनी कार्यकर्ता थे। अमेठी में पार्टी की जीत का जश्न मनाने के बाद उनकी हत्या को स्मृति ईरानी ने बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “पूरी भाजपा और पार्टी के सभी कार्यकर्ता सुरेंद्र के परिवार के साथ हैं। हम चाहते हैं कि परिवार को न्याय मिले। गोली चलाने और चलवाने वालों को मृत्यु दंड दिया जाना चाहिए। आवश्यकता पड़ी तो न्याय के लिए उच्चतम न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाएँगे। यह वारदात अमेठी को आतंकित करने के लिए अंजाम दी गई है।

सुरेंद्र सिंह की हत्या की वजह राजनीतिक रंजिश बताई जा रही है। पुलिस ने पुरानी रंजिश के कारण उनके मारे जाने की भी आशंका जताई है। कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने सीमाओं को सील कर तलाशी अभियान तेज कर दिया है। अतिरिक्त सुरक्षा के लिए गाँव में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

30 मई को दोबारा प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे नरेंद्र मोदी, कई केंद्रीय मंत्री भी लेंगे शपथ

बीजेपी संसदीय दल के नेता चुने जाने के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 30 मई को राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया जाएगा।

राष्ट्रपति भवन ने ट्वीट कर जानकारी देते हुए बताया, “राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 30 मई को शाम 7 बजे राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएँगे।”

इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भाजपा और राजग संसदीय दल नेता नरेंद्र मोदी को शनिवार (मई 25, 2019) को केंद्र में नई सरकार बनाने का न्यौता दिया था।

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी और इसकी अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की ओर से नरेंद्र मोदी को सर्वसम्मति से अपना नेता चुने जाने के बाद मोदी सरकार बनाने का दावा पेश करने शनिवार रात राष्ट्रपति भवन गए।

मोदी ने बाद में राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में संवाददाताओं को बताया कि राष्ट्रपति ने उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त करते हुए नई सरकार का गठन करने को कहा है। उन्होंने कहा, “भारत के लिए विश्व में काफी अवसर हैं, सरकार उनका पूरा इस्तेमाल करने के लिए काम करेगी और एक पल के लिए भी आराम नहीं करेगी।”

मिलिए ओडिशा के उस BJP सांसद से जो साधु बनना चाहते थे, सादगी के कायल हो रहे लोग

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर ख़ूब वायरल हो रही है। ये तस्वीर देखने पर तो किसी ग़रीब किसान की लगती है लेकिन आप यह जान कर चौंक जाएँगे कि धोती और गमछे में लिपटा यह व्यक्ति सांसद है। ये तस्वीर है भाजपा सांसद प्रताप चंद्र सारंगी की। सारंगी ने ओडिशा के बालासोर से जीत दर्ज की है। ओडिशा में भाजपा ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं राज्य की सत्ताधारी पार्टी बीजद ने 12 सीटों पर जीत दर्ज किया। बालासोर में प्रताप सारंगी का मुक़ाबला बीजद के रविंद्र कुमार जेना और कॉन्ग्रेस के नवज्योति पटनायक से था। सारंगी ने सर्वाधिक 4,83,858 मत पाकर जेना को 12,000 से भी अधिक मतों से हराया।

ओडिशा और बंगाल में भाजपा का प्रदर्शन काफ़ी शानदार रहा और पार्टी ने पिछले चुनाव के मुक़ाबले अच्छी बढ़त दर्ज की। सांसद चुने जाने से पहले प्रताप चंद्र सारंगी ओडिशा के नीलगिरी विधानसभा से 2004 और 2009 में विधायक चुने जा चुके हैं। इससे पहले वह 2014 के लोकसभा चुनाव में भी खड़े हुए थे, लेकिन तब उन्‍हें हार मिली थी। प्रताप सारंगी को नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। ख़बरों के अनुसार, मोदी जब भी ओडिशा आते हैं, तो सारंगी से मुलाकात जरूर करते हैं।

नीलगिरि के गोपीनाथपुर में जन्मे सारंगी बचपन से आध्यात्मिक हैं और रामकृष्ण मठ में साधु बनना चाहते थे। मठ ने उन्हें उनकी विधवा माँ की सेवा करने का सुझाव दिया। सारंगी ने बालासोर और मयूरभंज के आदिवासी इलाकों में कई स्‍कूल बनवाए हैं। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरों को काफ़ी सम्मान के साथ शेयर किया जा रहा है।

समुदाय विशेष के ‘लिबरल’ पत्रकार ने मोदी की जीत पर मसूद अजहर को कहा: Thank You!

मोदी पर कालिख पोत-पोत कर उससे अपना कैरियर चमकाने वाले राजदीप सरदेसाई ने एक बार फिर मोदी के खिलाफ मीठा जहर उगला है। उनके अनुसार मोदी को अपनी जीत के लिए अमित शाह जैसे मित्रों और राहुल गाँधी जैसे कमजोर विपक्ष के साथ-साथ जैश-ए-मोहम्मद के सरगना और पुलवामा के षड्यंत्रकर्ता मौलाना मसूद अजहर का भी शुक्रगुज़ार हो उन्हें शुक्रिया करना चाहिए। राजदीप का यह बेतुका ज़हरीला सोच एक वीडियो के जरिए बाहर आया है।

ऊपरी तौर पर यह सामान्य सा व्यंग या हँसी-मजाक लग सकता है, लेकिन राजदीप सरदेसाई की बात को परिप्रेक्ष्य में समझा जाए तो मामला कुछ और ही हो जाता है। फर्जी लिबरल बन घूमने वाले पत्रकारिता के समुदाय विशेष के लोगों को यह तो बहुत दिनों से समझ में आ गया था कि ‘अमन की आशा’ का उनका पाकिस्तान-प्रेम वाला तमाशा जनता अब और नहीं झेलने वाली। तो उन्होंने दूसरा ही पैंतरा चलना शुरू कर दिया और भाजपा पर आतंकवाद के मुद्दे को, सेना के मुद्दे को ‘भुनाने’ का आरोप लगाने लगे। राजदीप का यह कथ्य भी उसी कथानक में है कि मोदी पुलवामा हमले और बालाकोट में दिए गए मुँहतोड़ जवाब के चलते ‘उभरे’ राष्ट्रवाद से जीत गए, वरना न जीतते।

राजदीप ने अपना 30 साल का कैरियर जिस तरह के प्रोपेगेंडा से बनाया है उसे देखते हुए यह बहुत आश्चर्यजनक नहीं है। एक तरफ वह खुद बार-बार मोदी को 2002 में नाहक लपेटते रहे और उसके बाद मनु जोसेफ के साथ साक्षात्कार में यह मानना पड़ा कि मोदी को दंगों के लिए दोषी ठहराना गलत था। इसके अलावा वह कॉन्ग्रेस नेता चिदंबरम के साथ भी अफस्पा के खिलाफ भ्रम पैदा करते पकड़े गए थे