Monday, October 7, 2024
Home Blog Page 5453

पुलवामा के वीर: गर्भवती पत्नी को अकेला छोड़ गए रतन ठाकुर

बृहस्पतिवार (14 फरवरी) को कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी आत्मघाती हमले में CRPF के 42 जवान शहीद हो गए। जवानों की शहादत के बाद से पूरे देश में मातम का माहौल छाया हुआ है। कई परिवार बिलख रहे हैं, तो कई अपनों की शहादत का बदला चाहते हैं। इन शहीदों में एक नाम रतन ठाकुर का भी है। बता दें कि रतन ठाकुर की पत्नी राजनंदनी गर्भवती हैं, उन्हें आज भी ये उम्मीद है कि उनके पति शायद वापस आ जाएँ। पूरे परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है।

रतन ठाकुर भागलपुर के कहलगाँव के रहने वाले थे। रतन के पिता निरंजन ने बताया कि दोपहर डेढ़ बजे रतन ने पत्नी राजनंदनी को फोन करके यह बताया था कि वो श्रीनगर जा रहे हैं और शाम तक वहाँ पहुँच जाएँगे। शाम को उनके पिता के पास रतन के ऑफिस से फोन आया और उनके किसी अन्य नंबर के बारे में पूछा गया।

शहीद जवान रतन के पिता ने बताया कि उन्हें हालात के अंदेशा हो गया था जिसकी पुष्टि टीवी देखते समय हो गई। उन्होंंने बताया कि टीवी ऑन करते ही उनका दिल बैठ गया। उन्हें एक अजीब सा डर लग रहा था। उन्होंने कहा कि उनका डर सही निकला उनका बेटा भी उन जवानों के साथ शहीद हो गया।

पत्नी से किया था होली पर घर आने का वादा

रतन ठाकुर ने अपनी पत्नी से होली पर आने का वादा किया था और इसी इंतज़ार में उनकी पत्नी के दिन कट रहे थे। बता दें कि रतन सिंह का चार साल का बेटा भी है जो कहता है कि उसके पिता ड्यूटी पर हैं। चार साल के इस बच्चे को हर पल अपने पिता का इंतज़ार रहता है।

रतन सिंह को याद करते हुए उनके पिता ने बताया कि एक दिन पहले ही उन्होंने बेटे से बात की थी। घर में छोटी बेटी का ज़िक्र करते हुए उन्होंने उसकी शादी के बारे में अपने बेटे से बात की थी। इस पर बेटे का जवाब था कि चिंता मत करो हम हैं, सब निपट जाएगा। बेटे के इन्हीं आख़िरी शब्दों को याद करते हुए उनके पिता बिफर पड़ते हैं।

रतन के पिता का कहना है कि वो अपना दूसरा बेटा भी सरहद पर भेजने को तैयार हैं, बस उन्हें अपने शहीद बेटे की शहादत का बदला पाकिस्तान से मिलना चाहिए। एक पिता के इस जज़्बे और शहीद बेटे को ऑपइंडिया की ओर से शत्-शत् नमन।

घर के इन दीमकों का क्या करें? ‘हा-हा’ रिएक्शन देने वालों का भी मज़हब नहीं होता?

संवेदना मनुष्यों में एक बुनियादी भाव के रूप में बचपन से उपस्थित होती है। ध्यान रहे, मैं मनुष्यों की बात कर रहा हूँ, जिनमें मैं इन आतंकियों और उनकी हिमायत करने वालों को नहीं गिनता। जिनमें संवेदना नहीं होती, वो कई बार चुप रह जाते हैं क्योंकि कोई ख़बर उन्हें उस स्तर पर विचलित नहीं करती। ख़बरों का, ऐसी घटनाओं का, मानवीय क्षति का, हमारी निकटता से बहुत बड़ा संबंध होता है। यानी, आप घटना से प्रभावित लोगों से खुद को किस स्तर पर जोड़ कर देखते हैं। 

पुलवामा में 40 से ज़्यादा जवानों के जीवन का अंत हो गया, उनके प्राणों की बलि देश के नाम चढ़ गई। ये भारतीय इतिहास के सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक है। ज़ाहिर है कि ऐसे मौक़ों पर पूरा देश एक साथ खड़ा हो जाता है। माफ़ कीजिएगा, पूरा देश खड़ा नहीं होता क्योंकि कुछ लोगों की भावनाएँ हिंसा और आतंक के साथ महज़ इसलिए जुड़ जाती हैं क्योंकि बम फेंकने वालों के नाम इस्लामी हैं, और उनके भी। इतना काफी होता है खुद को एक आतंकी विचारधारा से जोड़ देने के लिए। 

आपने तस्वीर देख ही ली। तस्वीर लगे कि फोटोशॉप है तो पुलवामा पर लिखे गए लेखों, या किसी भी न्यूज़ वेबसाइट के फेसबुक पेज पर जाकर इससे संबंधित ख़बरों में ‘हा-हा’ रिएक्शन देने वालों के नाम देख लीजिए, आपको पता चल जाएगा कि मैं क्या कहना चाह रहा हूँ। 

मीडिया में ऐसे लोगों को ‘समुदाय विशेष’ कहा जाता है, जबकि इनकी विशेषता के नाम पर आतंकियों और हिंसक गतिविधियों में लिप्त लोगों के साथ खड़े होने के अलावा और कुछ नहीं दिखता। ये कुछ कट्टरपंथी हैं इस देश के। भले ही, कल को लोग यह भी कहने लगें कि ‘हा-हा’ रिएक्शन देने वालों का कोई मज़हब नहीं होता, वो बात और है। 

मैं बस तथ्यों की बात कर रहा हूँ। ये कोई एक्सिंडेंटल बात नहीं है कि वो ‘एंग्री’ रिएक्शन दे रहे थे, और ‘हा-हा’ चला गया। जितनी संख्या में दिया जा रहा, उस पर कोई सर्वेक्षण किया जाए तो पता चल जाएगा कि एक ठीक-ठाक प्रतिशत इतनी संवेदनहीनता दिखाने के साथ ही, आतंकियों के साथ खड़ा हो जाता है। क्या इसे देखकर यह मानने में आसानी नहीं होती कि इन्हीं नाम के कई लोग ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ का नारा लगा सकते हैं?

यह तो एक बात है, दूसरी बात इससे भी थोड़ा बढ़कर है, कई दूसरे समुदाय के नाम वाले लोग हैशटैग चला रहे हैं ‘हाउ इज़ द जैश’ जो कि ‘उरी’ फ़िल्म के बाद लोकप्रिय हुए संवाद ‘हाउ इज़ द जोश’ पर एक तंज है। ऐसे लोग बहुत हैं, और ट्विटर पर एक हैशटैग सर्च से पता चल जाएगा कि इन आतंकियों के पक्ष में लिखकर हँसने वाले लोग इसी देश के हैं, और समुदाय विशेष वाले ही हैं। मैं फैक्ट चेक करने वालों से आग्रह करूँगा कि पता करें ये लोग कौन हैं। 

कुछ नाम जिसमें मज़हब दिखता है, और घृणा भी

इन सब को देखने के बाद एक आम आदमी अगर ऐसे लोगों से घृणा करने लगता है, तो उसमें क्या गलत है? ऐसे लोग इस देश में ही नहीं, किसी भी सभ्य समाज में रहने लायक नहीं हैं जो इस तरह की दुर्भावना के साथ जीते हैं। ऐसे लोग ISIS को भी समर्थन देते हैं, पाकिस्तान को भी और आतंकियों को भी। यह समझने में आपको हर ऐसे मौक़े पर मदद मिल जाएगी। 

मुझे घिन आती है ऐसे लोगों से। हर किसी राष्ट्रवादी व्यक्ति को ऐसे कीड़ों से घिन आती है जो खाते इस देश का हैं, और गाते पाकिस्तान का हैं। ये गंदी नाले में रेंगने वाले नमकहरामों के झुंड हैं जो उन्हीं लोगों की लाश पर हँस लेते हैं जो उन्हें लगातार ज़िंदा रखे हुए हैं। ऐसे लोगों को पहचान कर इनसे पूछा जाए कि इस अश्लील हँसी का क्या मतलब है? या यह कह कर कन्नी काट लें कि ये तो कहीं के भी मजहबी हो सकते हैं? लेकिन, क्या सच में ये ‘कहीं के’ मजहबी हैं, या ‘यहीं के’ हैं जो AMU जैसी संस्थाओं में अपने विचारों की डफली आए दिन बजाते रहते हैं?

और हाँ, ये तर्क तो कोई न ही दे कि ये लोग ‘सच्चे मुस्लिम’ नहीं हैं। तो सच्चा मुस्लिम जो भी है वो ऐसे लोगों को लेकर चुप कैसे रह जाता है? क्या इन सच्चे मुस्लिमों ने कभी ऐसी घटनाओं पर हँसने वाले लोगों की निंदा की है? सोशल मीडिया में तो जिस अनुपात में ऐसे घटिया कट्टरपंथी हैं, उस अनुपात के बहुत ही छोटे अंश में भी इनके प्रति कोई निंदा जैसी बातें देखने को नहीं मिलती। तो फिर ये अच्छे मुस्लिम हैं कहाँ? आखिर अच्छे मुस्लिमों या ऐसी अच्छे मुस्लिमों से चलने वाली, ऐसे अच्छे मुस्लिमों को चिह्नित करने वाली संस्थाएँ कहाँ हैं?

दुःख की बात यही है कि भारत में ऐसे लोगों को भी ज़िंदा रहने की, अपनी घृणित और कुत्सित सोच पालने की, यहाँ के संविधान के संरक्षण में पनपने की आज़ादी है। जबकि ये वो दीमक हैं जो देश और समाज को लगातार खोखला कर रहे हैं। सेना और हमारे सुरक्षा बलों के जवान बाहरी ख़तरों से तो निपट लेंगे लेकिन ये ‘हा-हा’ करने वालों से कौन निपटेगा? इन्हें क्यों बर्दाश्त किया जा रहा है इस देश के ‘अच्छे लोगों’ द्वारा? 

पुलवामा आतंकी हमला: राहुल गांधी ने कहा: ‘पूरा विपक्ष है सरकार के साथ’

पुलवामा में हुए आतंकी हमले के एक दिन बाद कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष राहुल गाँधी ने शुक्रवार (फरवरी 15, 2019) को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पूरा विपक्ष और पूरा देश इस समय सरकार और जवानों के साथ खड़ा है।

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए राहुल ने कहा, “आतंकवाद का मक़सद, देश को बाँटना है।” उन्होंने कहा, “यह हमला देश की आत्मा पर हुआ है। लेकिन जिन लोगों ने यह हमला किया है वह देश को ज़रा सी चोट नहीं पहुँचा सकते हैं, इस मामले में पूरा विपक्ष सुरक्षाबलों और सरकार के साथ हैं।”

राहुल गाँधी का यह बयान पीएम मोदी की टिप्पणियों के कुछ देर बाद बाद आया है जिसमें पीएम ने कहा कि यह एक भावनात्मक क्षण है और सभी को इसका राजनीतिकरण करने से बचना चाहिए।

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने भी इस घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा, “हम शहीद जवानों के परिवार वालों के साथ हैं। आतंकवाद के ख़िलाफ़ हमें सख्ती से पेश आने की आवश्यकता है। हम आतंकियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई में देश के साथ हैं।”

पुलवामा के वीर: आतंकी हमले में वीरगति को प्राप्त हुआ बनारस का लाल, माँ को है कैंसर

पुलवामा में हुए दुःखद आतंकी हमले में 40 से भी अधिक जवान मातृभूमि के लिए शहीद हो गए। पूरा देश शहीद जवानों की याद में गमगीन है और पाकिस्तान परस्त आतंकियों की एक सुर में निंदा कर रहा है। शहीद जवानों में नाम एक नाम अवधेश यादव का भी है। वाराणसी के निकट पड़ाव स्थित बहादुरपुर गाँव के लाल अवधेश भी आतंकयों के इस कायरतापूर्ण हमले में शहीद हो गए। इसे लेकर पूरे गाँव में आक्रोश है। लोग प्रदीप के परिजनों को सांत्वना देने के लिए उनके घर के बाहर इकट्ठे हो गए।

परिजनों व ग्रामीणों के बीच दीपू के नाम से जाने जाने वाले अवधेश की मृत्यु की सूचना शाम तक उनके परिजनों को नहीं दी गई थी। लेकिन, किसी भी अनहोनी की आशंका से परिवार में पहले से ही मातम का माहौल था। उनके शहीद होने की सूचना पाकर तो जैसे परिजनों पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा। हरिकेश यादव के चार बेटे-बेटियों में अवधेश सबसे बड़े थे। उनके दो बहनों की शादी हो चुकी है। वह वर्ष 2006 में सीआरपीएफ की 145वीं बटालियन में शामिल हुए थे। अवधेश के छोटे भाई बृजेश अभी पढ़ाई कर रहे हैं।

अवधेश की शादी तीन साल पहले ही हुई थी। उनकी शादी सैयदराजा गाँव के जनार्दन यादव की पुत्री से हुई थी। अमर उजाला में प्रकाशित एक ख़बर के अनुसार, उनकी पत्नी शिल्पी यादव ने बताया कि अवधेश तीन दिन पहले ही जल्दी लौटने का वादा कर ड्यूटी के लिए रवाना हुए थे। शिल्पी अपने तीन वर्ष के बेटे निखिल को कलेजे से लगा कर रो रही थी। रोती बिलखती शिल्पी यादव का रोते-रोते इतना बुरा हाल था कि वो बार-बार बेहोश हो रही थी। उनका बार-बार यही कहना था कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा कि उनके पति अब इस दुनिया में नहीं रहे।

अवधेश के बूढ़े पिता हरिकेश यादव का भी रो-रो कर बुरा हाल था। ग्रामीण उन्हें समझाने में लगे थे। ग्राम प्रधान ने बताया कि अवधेश पूरे गाँव का गर्व था और हमेशा रहेगा। उन्होंने कहा कि अवधेश मातृभूमि की आन-बान-शान के लिए शहीद हुए हैं।

जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमले में शहीद हुए जवानों के नामों की सूची आधिकारिक तौर पर अभी तक जारी नहीं की गई है। पुलवामा में अवंतीपुरा के गोरीपुरा हमले में हुए इस आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के शवों को विशेष विमान से एयरबेस लाया जाएगा। जवानों का शव एक विशेष विमान से ग़ाज़ियाबाद के हिंडन एयरबेस लाया जाएगा। यहाँ से जवानों का पार्थिव शरीर उनके घर भेजा जाएगा। मीडिया में अभी तक आ रही ख़बरों के मुताबिक़ हमले में शहीद जवानों में क़रीब 12 जवान उत्तर प्रदेश के हैं।

देश के लिए शहीद हुए सभी जवानों को ऑपइंडिया की श्रद्धांजलि। हम इस त्रासद और कायरतापूर्ण हमले में शहीद हुए अन्य जवानों के बारे में भी आपको बताएँगे ताकि पूरा देश उनके परिजनों के दुःख में शामिल हो सके। इन रणबाँकुरों की प्रेरणादायक गाथा सुन कर आपका मस्तक गर्व से ऊँचा हो जाएगा।

सिद्धू ने किया पाकिस्तान का बचाव, कहा: ‘आतंक का देश नहीं होता’

पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने पुलवामा हमले को लेकर पाकिस्तान का बचाव किया है। पत्रकारों द्वारा इस हमले पर टिप्पणी माँगे जाने पर सिद्धू ने कहा कि वो इसकी कड़ी निंदा करते हैं लेकिन आतंकवाद का कोई देश या धर्म नहीं होता। जब सिद्धू से यह पूछा गया कि क्या इस हमले की वजह से करतारपुर कॉरिडोर के निर्माण और खुलने पर कोई असर पड़ सकता है, तो वह इस सवाल को टाल गए।

पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा अंजाम दिए गए पुलवामा हमले में 40 से भी अधिक सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए हैं। भारत ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ एक्शन लेने की शुरुआत करते हुए पाक को दिया एमएफएन का दर्जा भी वापस ले लिया है।

इस हमले पर बोलते हुए सिद्धू ने कहा: “आतंकवाद का कोई देश नहीं होता। आतंकियों का कोई मजहब नहीं होता। पुलवामा हमला एक कायरतापूर्ण कार्रवाई है। मैं इस घटना की निंदा करता हूँ। जो भी लोग इस आतंकी हमले के लिए ज़िम्मेदार हैं उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। क्या इससे ज्यादा कुछ बोलना ज़रूरी है?”

बता दें कि पाकिस्तान से मैत्रीपूर्ण रिश्ता रखने की वकालत करने वाले सिद्धू जनरल बाजवा से गले भी मिल चुके हैं। पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथग्रहण समारोह में गए सिद्धू को पाक अधिकृत कश्मीर के कथित प्रधानमंत्री के साथ बैठाया गया था। अक्सर भारत के ख़िलाफ़ ज़हरीले बयान देने वाले जनरल बाजवा से गले मिलने का सिद्धू कई बार बचाव कर चुके हैं। ऐसे में, सिद्धू के ताज़ा बयान को लेकर सोशल मीडिया ने उन पर निशाना साधा।

सिद्धू का पाकिस्तान प्रेम अक्सर सामने आता रहता है। अक्टूबर 2018 में हिमाचल के कसौली में चल रहे लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान सिद्धू ने दक्षिण भारत पर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा था कि वहाँ जाने पर भाषा से लेकर खानपान तक- सब बदल जाता है, लेकिन पाकिस्तान में कहीं भी यात्रा करने पर ऐसा नहीं होता।

करतारपुर कॉरिडोर को लेकर भी सिद्धू ने पाकिस्तान की तारीफ़ों के पुल बाँधे थे। एक पाकिस्तानी चैनल से बातचीत करते हुए सिद्धू ने कहा था कि शांति की पहल हमेशा से पाकिस्तान ने ही पहले की है।

पाक से MFN का दर्जा लिया गया वापस; CCS की बैठक में लिए गए कई बड़े फ़ैसले

पहले से ही आर्थिक रूप से बदहाल पाकिस्तान से भारत ने ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा वापस ले लिया है। लंबे समय से इसकी माँग होती रही है। पुलवामा हमले को सरकार ने गंभीरता और भारत सरकार ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कड़े निर्णय लेने की शुरुआत कर दी है। आज (फरवरी 15, 2019) को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCS) की बैठक में कुछ अहम निर्णय लिए गए। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त मंत्री अरुण जेटली के अलावा तीनो सेनाओं के प्रमुख शामिल हुए।

2015-16 में भारत का कुल व्‍यापार 641 अरब डॉलर रहा है वहीं पाकिस्‍तान के साथ व्‍यापार 2.67 अरब डॉलर रहा। पाकिस्‍तान को भारत का निर्यात 2.17 अरब डॉलर रहा। विश्व व्यापार संगठन और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियम के आधार पर व्यापार में किसी देश को मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएनएफ) यानी सर्वाधिक तरजीह वाले देश का दर्जा दिया जाता है। एमएनएफ दर्जा प्राप्त देश के कारोबार में नुक़सान पहुँचाने वाला कोई कार्य नहीं किया जाता है। उसके सामान पर अतिरिक्त कर भी नहीं लगाया जाता है। आयात और निर्यात वाली वस्तुओं का भी ध्यान रखा जाता है।

आतंकवाद पर कठोर क़दम उठाते हुए भारत ने पाकिस्तान को दिया गया एमएफएन का दर्जा वापस ले लिया है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने CCS की बैठक में लिए गए फ़ैसलों की जानकारी देते हुए बताया:

“प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में कल के आतंकी हमले का विश्लेषण किया गया। बैठक में हमले में शहीद जवानों के लिए दो मिनट का मौन भी रखा गया। विदेश मंत्रालय के जरिए कूटनीतिक कदम उठाए जाएंगे। पाकिस्तान को दिया गया ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा वापस ले लिया गया है।”

इसके अलावा अरुण जेटली ने यह भी कहा कि इस बैठक की सभी बातों की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती। जेटली ने पाकिस्तान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि विदेश मंत्रालय कूटनीतिक स्तर पर प्रयास कर पाकिस्तान को अलग-थलग कर देगा। उन्होंने कहा कि इस घटना के जिम्मेदार लोगों को सबक सिखाने के लिए सुरक्षाबल हर संभव कार्रवाई करेंगे ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो। उन्होंने कहा कि आतंकियों को इसकी कड़ी क़ीमत चुकानी पड़ेगी।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक के सभी मुद्दों के बारे में बताने से जेटली ने इनकार कर दिया। क़रीब एक घंटे तक चली मैराथन बैठक के बारे में जानकारी देते हुए अरुण जेटली ने कहा:

“विदेश मंत्रालय ने सभी संभव राजनयिक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग किया जा सके क्योंकि इस कायराना हरकत के पीछे उसका सीधा हाथ है। जो लोग इस हमले के जिम्मेदार हैं या इस आतंकवादी हमले का समर्थन किया है उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

PM ने सेना को दी पूर्ण स्वतंत्रता, ‘आतंकी बहुत बड़ी गलती कर गए हैं, बहुत बड़ी क़ीमत चुकाएँगे’

वन्दे भारत एक्सप्रेस के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री ने पुलवामा आतंकी घटना पर बोलते हुए कहा: “साथियों, पुलवामा हमले के बाद, अभी मन: स्थिति और माहौल दुःख और साथ ही साथ आक्रोश का है। ऐसे हमलों का देश डटकर मुकाबला करेगा, रुकने वाला नहीं है।”

उन्होंने इसी विषय पर बोलते हुए निम्नलिखित बातें कहीं:

मैं पुलवामा के आतंकी हमले में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। उन्होंने देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्योछावर किए हैं। दुःख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएँ, उनके परिवारों के साथ हैं।

इस हमले की वजह से देश में जितना आक्रोश है, लोगों का खून खौल रहा है, ये मैं समझ रहा हूँ। इस समय जो देश की अपेक्षाएँ हैं, कुछ कर गुजरने की भावनाएँ हैं, वो स्वाभाविक है। हमारे सुरक्षा बलों को पूर्ण स्वतंत्रता दी हुई है। हमें अपने सैनिकों के शौर्य पर पूरा भरोसा है।

मुझे पूरा भरोसा है कि देशभक्ति के रंग में रंगे लोग सही जानकारियाँ भी हमारी एजेंसियों तक पहुंचाएंगे, ताकि आतंक को कुचलने में हमारी लड़ाई और तेज हो सके।

मैं आतंकी संगठनों को और उनके सरपरस्तों को कहना चाहता हूँ कि वो बहुत बड़ी गलती कर गए हैं। मैं देश को भरोसा देता हूँ कि हमले के पीछे जो ताकते हैं, इस हमले के जो भी गुनहगार हैं, उन्हें उनके किए की सज़ा अवश्य मिलेगी।

जो हमारी आलोचना कर रहे हैं, उनकी भावनाओं को भी मैं समझ रहा हूँ। उनका पूरा अधिकार है। लेकिन मेरा सभी साथियों से अनुरोध है कि, ये बहुत ही संवेदनशील और भावुक समय है, इसलिए राजनीतिक छींटाकशी से दूर रहें। इस हमले का देश एकजुट होकर मुकाबला कर रहा है, ये स्वर विश्व में जाना चाहिए।

पूरे विश्व में अलग-थलग पड़ चुका हमारा पड़ोसी देश अगर ये समझता है कि जिस तरह के कृत्य वो कर रहा है, जिस तरह की साजिशें रच रहा है, उससे भारत में अस्थिरता पैदा करने में सफल हो जाएगा, तो वो बहुत बड़ी भूल कर रहा है।

इस समय बड़ी आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे हमारे पड़ोसी देश को ये भी लगता है कि वो ऐसी तबाही मचाकर, भारत को बदहाल कर सकता है। उसके ये मंसूबे भी कभी पूरे नहीं होंगे। 130 करोड़ हिंदुस्तानी ऐसी हर साजिश, ऐसे हर हमले का मुँहतोड़ जवाब देंगे।

पुलवामा के वीर: 4 दिन पहले ही लौटे थे ड्यूटी पर, किसे मालूम था तिरंगे में लिपटकर आएँगे घर

साल 2019, तारीख़ 14 फरवरी, दिन गुरुवार। जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में एक ऐसी आतंकी घटना हुई, जिसने पूरे भारत को हिलाकर रख दिया। इस घटना में सीआरपीएफ के 44 के लगभग जवान शहीद हो गए। इन 44 शहीदों में से एक नाम उत्तर प्रदेश में उन्नाव जिले के लोक नगर से आए अजीत कुमार का भी है। कल हुई इस भयावह घटना में अजीत के घरवालों ने उन्हें हमेशा के लिए खो दिया।

अजीत की उम्र मात्र 38 साल थी। चार दिन पहले ही अजीत अपनी छुट्टियाँ बिताकर ड्यूटी पर वापस लौटे थे। कल (फरवरी 14, 2019) देर रात को छोटे भाई रंजीत के पास अजीत के शहीद होने की खबर पहुँची। ख़बर सुनने के बाद परिवार के सभी सदस्यों में कोहराम मच गया। देर रात इसकी सूचना मिलने पर डीएम और सिटी मजिस्ट्रेट अजीत के घरवालों की हिम्मत बढ़ाने उनके घर पहुँचे।

लोकनगर निवासी अजीत कुमार सीआरपीएफ की 115वीं बटालियन में तैनात थे। बीते गुरुवार की शाम वह जम्मू से श्रीनगर सीआरपीएफ के काफ़िले के साथ जा रहे थे। इस दौरान पुलवामा के अवंतीपोरा के गोरीपोरा में एक आतंकी ने विस्फोटक से भरी गाड़ी को जवानों की बस से टकरा दी। इस विस्फोट का धमाका इतना तेज़ था कि बहुत दूर तक आवाज़ आई और ऐसा लगा जैसे धरती काँप उठी।

अजीत के भाई रंजीत ने बताया कि वो लोग आतंकी हमले की घटना को उस समय टीवी पर देख ही रहे थे, जिस समय उनके भाई के शहीद होने की ख़बर मिली। अजीत अपने घर में पाँच भाइयों में सबसे बड़े थे। अजीत के छोटे भाई विद्यालय में शिक्षक हैं। तीसरे भाई का नाम रंजीत है, और चौथे नंबर पर मंजीत है। मंजीत भी सेना में जवान है, फिलहाल इस समय मंजीत भोपाल में तैनात है। इसके अलावा घर का सबसे छोटा लड़का संजीत बीटीसी कर रहा है।

रंजीत ने बताया कि एक महीने पहले ही उनके बड़े भाई अजीत छुट्टियों में घर आए थे, लेकिन 10 फरवरी को छुट्टी समाप्त होने पर वो जम्मू वापस लौट गए थे। किसे मालूम था कि अजीत के घरवालों की मुलाकात उनसे आखिरी है, इसके बाद वो तिरंगे में लिपट कर ही वापस आएँगे।

आतंकी हमले की बाद से कई घंटो तक सन्नाता पसरा रहा। देर शाम अजीत के शहीद होने से परिजनों में कोहराम मच गया। पिता प्यारे लाल, माँ राजवंती व पत्नी मीना का रो रोकर बुरा हाल हो गया। परिजनों को रोता देख घर की मासूम बेटियाँ उन्हें संभाल रही हैं। माँ मीना को बेटी ईशा (11) व रिषा (09) संभालती रहीं।

पुलवामा हमला: IED को लेकर ख़ुफ़िया विभाग ने पहले ही किया था आगाह, 5 अहम बिंदु

पुलवामा में हुए त्रासद आतंकी हमले ने देश और दुनिया को हिला कर रख दिया है। इस आत्मघाती हमले में शहीद होने वाले CRPF जवानों की संख्या 42 हो गई है। जहाँ पूरा देश और दुनिया पाकिस्तान परस्त आतंकियों द्वारा अंजाम दिए गए इस हमले की कड़ी निंदा कर रहा है, पूरा देश प्रधानमंत्री मोदी और भारत सरकार से इसका कड़ा प्रत्युत्तर देने की माँग कर रहा है। आइए एक नज़र डालते हैं इस आतंकी हमले से जुड़े 10 और बड़ी बातों पर:

1. ख़ुफ़िया विभाग ने 1 सप्ताह पहले ही दी थी चेतावनी

मीडिया में आई ताज़ा ख़बरों के अनुसार ख़ुफ़िया एजेंसियों ने एक सप्ताह पहले ही IED को लेकर आगाह किया था। 8 फरवरी को, ख़ुफ़िया एजेंसियों ने एक IED हमले के बारे में चेतावनी जारी की थी और सुरक्षा बलों को उस क्षेत्र से बम या आतंकियों के सफाए की भी सलाह दी थी। एजेंसियों ने कहा था कि जवानों की तैनाती से पहले क्षेत्र में यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि यह पूरी तरह से सुरक्षित है।

ख़ुफ़िया विभाग ने चेताया था

CRPF जवानों के इस काफ़िले में 2,547 जवान थे। जैश-ए-मोहम्मद द्वारा किया गया यह हमला जम्मू कश्मीर में पिछले कुछ सालों में हुआ सबसे बड़ा हमला है।

2. पाकिस्तान का बेतुका बयान, UN ने की भर्त्सना

पाकिस्तान ने अपनी धरती पर पल रहे आतंकवाद को लेकर तो कुछ नहीं कहा लेकिन इस घटना को लेकर अपने घड़ियाली आँसू ज़रूर दिखा दिए हैं। बेतुका, बेढंगा और अप्रासंगिक बयान देते हुए पाकिस्तान ने कश्मीर को ‘भारत अधिकृत कश्मीर’ कहा। पाक ने हमले की निंदा तो की है लेकिन पाकिस्तान से इसके तार जुड़े होने की बातों को सिरे से नकार दिया है। पाकिस्तान ने अपने बयान में कहा:

“भारत अधिकृत कश्मीर के पुलवामा में हुआ हमला चिंता का विषय है। विश्व में कहीं पर भी होने वाली हिंसा की गतिविधियों की हम कड़ी निंदा करते हैं। इसके साथ ही बिना जाँच के भारतीय मीडिया और सरकार द्वारा हमले का लिंक पाकिस्तान से जोड़े के तमाम आक्षेपों को सिरे से ख़ारिज करते हैं।”

पाकिस्तान का बेतुका बयान

वहीं संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि इस हमले से जुड़े आतंकियों तो कटघरे के भीतर लाया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र ने अपने बयान में कहा:

“हम जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए हमले की कड़ी निंदा करते हैं। जिन परिवारों ने अपनों को खोया है हमारी उनके प्रति गहरी संवेदना है। हम सभी घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं और हमले के जिम्मेदार सभी लोगों को जल्द से जल्द कठघरे में लाया जाएगा।”

3. विशेष विमान से एयरबेस लाया जाएगा शहीद जवानों का शव

पुलवामा में अवंतीपुरा के गोरीपुरा हमले में हुए इस आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के शवों को विशेष विमान से एयरबेस लाया जाएगा। जवानों का शव एक विशेष विमान से ग़ाज़ियाबाद के हिंडन एयरबेस लाया जाएगा। यहाँ से जवानों का पार्थिव शरीर उनके घर भेजा जाएगा। मीडिया में अभी तक आ रही ख़बरों के मुताबिक़ हमले में शहीद जवानों में क़रीब 12 जवान उत्तर प्रदेश के हैं।

कई शव क्षत-विक्षत हो चुके हैं, जिसे देख कर किसी भी व्यक्ति का दिल दहल जाए। शहीद हुए जवानों की सूची जारी करने में हो रहे विलम्ब का कारण भी यही है। CRPF जल्द ही शहीद हुए जवानों के नाम की सूची जारी करेगा।

4. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने की निंदा, कई देश भारत के साथ

अमेरिका, इजराइल सहित कई देशों ने इस हमले की निंदा की है। श्रीलंका, भूटान और अफ़ग़ानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों ने भी दुःख की इस घड़ी में भारत के साथ होने की बात कही है। अमेरिका ने कहा कि आंतकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में वह भारत के साथ है। अमेरिका ने इसे एक बेहद ही घिनौना कृत्य बताया। उसने कहा: ‘हम तमाम देशों से कहना चाहते हैं कि वह यूएन सेक्युरिटी काउंसिल के रिजोल्यूशन को स्वीकार करें और अपने देश में आतंकवाद को पनाह देना बंद करें।’

जर्मनी ने भारत को अपना रणनीतिक सहयोगी बताते हुए कहा कि वह आतंकवाद की निंदा करता है, चाहे वह किसी भी रूप में हो। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया, रूस सहित तमाम बड़े देशों ने घटना की निंदा की है।

5. अज़हर मसूद पर बदल सकता है भारत का रुख

पाकिस्तान में बैठा आतंकवादी अज़हर मसूद इस हमले का मास्टरमाइंड है। हालाँकि मोदी और चिनफिंग के बीच वुहान समिट के बाद 2018 में भारत ने एक बार भी संयुक्त राष्ट्र में अज़हर के मसले को नहीं उठाया था। अब भारत अपने रुख में बदलाव कर सकता है। पठानकोट हमले का भी साज़िशकर्ता वही था। उस हमले के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के दबावों के कारण पाकिस्तान ने उसे कस्टडी में लेने का दिखावा किया था।

संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों के तहत अज़हर पर बैन लगाने के भारत के प्रयासों को चीन लगातार विफल करता रहा है। दरअसल, चीन अपने सहयोगी पाकिस्तान के हितों की रक्षा करना चाहता है। भारत ने अज़हर को लेकर पाकिस्तान पर पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ाने की माँग करते हुए कहा:

“हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सभी सदस्यों से जैश-ए-मोहम्मद चीफ अज़हर समेत आतंकियों की लिस्ट के प्रस्ताव को समर्थन देने की अपील दोहराते हैं। अज़हर UNSC की 1267 सैंक्शंस कमिटी के तहत एक घोषित आतंकी है।”

पश्चिम बंगालः मंदिर में घुसकर पुलिस ने की तोड़फोड़, ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

पश्चिम बंगाल से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। राजधानी कोलकाता के पास के न्यू टाउन इलाके में पाथरघाटा गाँव के एक मंदिर में पुलिसकर्मियों द्वारा तोड़-फोड़ की गई है। ग्रामीणों के मुताबिक गाँव के इस मंदिर में धार्मिक समारोह के मौके पर एक लाउडस्पीकर लगाया गया था, जिसको लेकर पुलिस आपत्ति जता रही थी। इसके बाद ग्रामीणों और पुलिसकर्मियों में विवाद बढ़ गया।

आरोप है कि पुलिस ने इसके बाद मंदिर में घुसकर जमकर तोड़-फोड़ की। पुलिस की तोड़-फोड़ से नाराज ग्रामीणों ने अपना विरोध जताते हुए गाँव में घुसने के रास्ते को बंद कर दिया है और पुलिस की गाड़ियाँ भी तोड़ी हैं। विरोध में लोग सड़कों पर टायर जलाकर प्रदर्शन भी कर रहे हैं। ग्रामीणों ने टीएमसी विधायक सब्यसाची दत्ता के ख़िलाफ़ नारे भी लगाए।

लाउडस्पीकर बंद करने के बाद भी पुलिस ने की तोड़फोड़

ख़बरों के अनुसार पुलिस ने रात में इसलिए लाउडस्पीकर बजाने का विरोध किया था, क्योंकि बच्चों की परीक्षाएँ चल रहीं थी। बताया जा रहा है कि पुलिस के समझाने के बाद लोगों ने लाउडस्पीकर बंद कर दिया था। लेकिन फिर भी पुलिस ने मंदिर में घुसकर तोड़-फोड़ की।

मामले पर पुलिस का दावा है कि ग्रामीणों ने उन पर हमला किया और एक अधिकारी को घायल कर दिया। मामले को बढ़ता देख जोन-1 के जिलाधिकारी रविन्द्रनाथ बनर्जी और असिस्टेंड कमिश्नर ऑफ़ पुलिस, अनिमेश घटनास्थल पर पहुँच गए। उन्होंने कहा कि मामले की जाँच की जाएगी और दोषियों को सजा दिया जाएगा।

इससे पहले भी ऐसी घटनाएँ आ चुकी हैं सामने

यह पहला अवसर नहीं है जब ऐसी ख़बर सामने आई हो, इससे पहले 2017 में स्कूल में सरस्वती पूजा मना रहे मासूम छात्रों पर पुलिसकर्मियों ने बंदूक से हमला किया था।

2015 में भी पुलिस प्रशाासन द्वारा मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा विरोध किए जाने पर बीरभूम जिले की नलहाटी में शारदीय (नवरात्रि) दुर्गा पूजा को लगातार 3 साल तक रोका गया था। बता दें कि इसी तरह, 2017 में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने राज्य में दुर्गा पूजा समारोह के दौरान मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाई थी। सरकार ने मूर्ति विसर्जन इसलिए रद्द कर दिया था, क्योंकि उसी दिन मुहर्रम भी था।