Tuesday, October 1, 2024
Home Blog Page 5520

कैसे शुरू हुआ कुम्भ, क्या कहते हैं पुराण, क्यों है इसका इतना महत्व

कुम्भ मिलन का पर्व है। सनातन की उस समूची ज्ञान परम्परा का जो भारतीय संस्कृति के कण-कण में विराज़मान है। ज्ञान, चेतना, वैराग्य और संसार का परस्पर मंथन कुम्भ मेले का वो महत्वपूर्ण आयाम है जो आदि-अनादि काल से ही हिन्दू परम्परा और संस्कृति की जागृत चेतना को, बिना किसी आमन्त्रण के स्वतः आकर्षित करता है।

कुम्भ पर्व का उद्देश्य कभी भी इतिहास की निर्मिति नहीं था। फिर भी काल ने इसका इतिहास स्वयं ही रच दिया। कोई भी धार्मिक परम्पराएँ अगर आज भी जीवित है तो वो जनमानस के आस्था एवं विश्वास के बल पर है, न कि इतिहास के बल पर। ठीक ही कहा गया है कि कुम्भ जैसा भव्य एवं विशालतम आयोजन सदा से संस्कृतियों को एक सूत्र में पिरोए रखने के लिए ही आयोजित होता आया है।

आज की पीढ़ी के लिए इतना बड़ा आयोजन शायद फ़िज़ूल लग सकता है क्योंकि युवाओं की एक बड़ी संख्या अपने धर्म-संस्कृति एवं परम्पराओं के इतिहास से वंचित है। उसे इतिहास के नाम पर चंद खंडहरों और मुगलों के इतिहास तक ही सीमित कर दिया गया है। चलिए इस बात से भी अवगत होते हैं कि आज विश्व के सबसे बड़े आयोजन कुम्भ के पीछे पौराणिक सनातन मान्यता क्या है? क्या है इसका महत्त्व?

कथा यह है कि, ऋषि दुर्वासा के शाप के कारण जब देवताओं ने अपनी शक्ति खो दी, तब असुरों ने उन पर हमला कर दिया। देवता पराजित हो, अपनी शक्ति पुनः प्राप्त करने के लिए प्रजापिता ब्रह्मा और आदिदेव शिव की शरण में गए। शिव ने समाधान के लिए भगवान विष्णु के शरण में जाने की सलाह दी। तब भगवान विष्णु ने क्षीरसागर का मंथन कर अमृत निकालने का उपाय सुझाया। भगवान विष्णु के ऐसा कहने पर संपूर्ण देवतागण, दैत्यों के साथ संधि करके क्षीरसागर के मंथन की योजना में जुट गए।

संस्कृति ग्राम, प्रयागराज, में स्थापित समुद्र मंथन की झाँकी  (तस्वीर: अनूप गुप्ता)

मथना था समुद्र (क्षीरसागर) तो मथनी और नेति (रस्सी) भी उसी हिसाब की चाहिए थी। ऐसे में मंदराचल (मंदर) पर्वत मथनी बना और नाग वासुकी नेति। समुद्र मंथन से कुल चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई। जिन्हें देव और असुरों ने परस्पर बाँट लिया। परन्तु जब भगवान धन्वन्तरि ने अमृत कलश देवताओं को दे दिया तो फिर भीषण युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई। समाधान के लिए तब भगवान विष्णु ने स्वयं मोहिनी रूप धारण कर सबको अमृत-पान कराने की बात कही और अमृत कलश का दायित्व इंद्र-पुत्र जयंत को सौपा। अमृत-कलश को प्राप्त कर जब जयंत दानवों से अमृत की रक्षा हेतु भाग रहा था।

तब दैत्यगुरु शुक्राचार्य के आदेशानुसार दैत्यों ने अमृत को वापस लेने के लिए जयंत का पीछा किया और घोर परिश्रम के बाद उन्होंने बीच रास्ते में ही जयंत को पकड़ लिया। तत्पश्चात, अमृत कलश पर अधिकार जमाने के लिए देव-दानवों में बारह दिन तक अविराम युद्ध चलता रहा। पुराणों में इसे देवासुर संग्राम कहा गया। युद्ध के इसी क्रम में अमृत की बूँदे पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरीं- हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज।

चूँकि, विष्णु की आज्ञा से सूर्य, चन्द्र, शनि एवं बृहस्पति भी अमृत कलश की रक्षा कर रहे थे और विभिन्न राशियों (सिंह, कुम्भ एवं मेष) में विचरण के कारण ये सभी कुम्भ पर्व के द्योतक बन गये। इस प्रकार ग्रहों एवं राशियों की सहभागिता के कारण कुम्भ पर्व ज्योतिष का पर्व भी बन गया।

एक अन्य कथा के अनुसार, चूँकि जयंत को अमृत कलश को स्वर्ग ले जाने में 12 दिन का समय लगा था और माना जाता है कि देवताओं का एक दिन पृथ्वी के एक वर्ष के बराबर होता है। यही कारण है कि कालान्तर में ऊपर वर्णित स्थानों पर ही ग्रह-राशियों के विशेष संयोग पर 12 वर्षों में कुम्भ का आयोजन होता है।

तीसरी कथा के अनुसार, अमृत प्राप्ति के लिए देव-दानवों में परस्पर बारह दिन तक निरंतर युद्ध हुआ था। देवताओं के बारह दिन मनुष्यों के बारह वर्ष के तुल्य होते हैं। अतएव कुम्भ भी बारह होते हैं। उनमें से चार कुम्भ पृथ्वी पर होते हैं और शेष आठ कुम्भ देवलोक में होते हैं। जिन्हें देवगण ही प्राप्त कर सकते हैं, मनुष्यों की वहाँ पहुँच नहीं है। इसलिए मनुष्य योनि के लिए ये चार कुम्भ बेहद महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

जिस समय में चंद्र आदि ग्रहों ने कलश की रक्षा की थी, उस समय की वर्तमान राशियों पर रक्षा करने वाले चंद्र-सूर्यादिक ग्रह जब आते हैं। उस समय कुम्भ का योग होता है अर्थात जिस वर्ष, जिस राशि पर सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति का संयोग होता है, उसी वर्ष, उसी राशि के योग में, जहाँ-जहाँ अमृत बूँद गिरी थी, वहाँ-वहाँ कुम्भ के पर्व का आयोजन होता है।

ज्योतिष गणना के क्रम में कुम्भ का आयोजन चार प्रकार से माना गया है

1- बृहस्पति के कुम्भ राशि में तथा सूर्य के मेष राशि में प्रविष्ट होने पर हरिद्वार में गंगा-तट पर

2- बृहस्पति के मेष राशि चक्र में प्रविष्ट होने तथा सूर्य और चन्द्र के मकर राशि में आने पर अमावस्या के दिन प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर

3- बृहस्पति एवं सूर्य के सिंह राशि में प्रविष्ट होने पर नासिक में गोदावरी तट पर

4- बृहस्पति के सिंह राशि में तथा सूर्य के मेष राशि में प्रविष्ट होने पर उज्जैन में क्षिप्रा तट पर

धार्मिकता एवं ग्रह-दशा के साथ-साथ कुम्भ पर्व को पुनः तत्वमीमांसा की कसौटी पर भी कसा जा सकता है। जिससे कुम्भ की उपयोगिता स्वयं सिद्ध होती है। कुम्भ पर्व का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि यह पर्व प्रकृति एवं जीव तत्व में सामंजस्य एवं सन्तुलन स्थापित कर उनमें जीवनदायी शक्तियों को समाविष्ट करने का उपक्रम भी है। प्रकृति ही जीवन व मृत्यु का आधार है। ऐसे में प्रकृति से सामंजस्य अति-आवश्यक हो जाता है।

कहा भी गया है “यद् पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे” अर्थात जो शरीर में है, वही ब्रह्माण्ड में है, इस लिए ब्रह्माण्ड की शक्तियों के साथ पिण्ड (शरीर) कैसे सामंजस्य स्थापित करे। उसे जीवनदायी शक्तियाँ कैसे मिले इसी रहस्य का पर्व है कुम्भ। विभिन्न मतों-अभिमतों-मतान्तरों के व्यावहारिक मंथन का पर्व है कुम्भ, और इस मंथन से निकलने वाला ज्ञान-अमृत ही कुम्भ-पर्व का महाप्रसाद है।

मोदी को फ़िलिप कोटलर प्रेसिडेंशियल अवॉर्ड मिलने पर माओवंशी गिरोह क्यों है परेशान?

सोमवार (जनवरी 14,2019) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहला ‘फ़िलिप कोटलर प्रेज़िडेंशियल अवॉर्ड’ दिया गया है, जिस पर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने इस अवॉर्ड को लेकर पीएम मोदी पर ट्विटर पर कटाक्ष करने का प्रयास किया।

राहुल गाँधी ने मंगलवार (जनवरी 15,2019) को ट्वीट किया, “मैं अपने प्रधानमंत्री जी को वर्ल्ड फेमस कोटलर प्रेसिडेंशियल अवॉर्ड हासिल करने की बधाई देता हूँ। यह पुरस्कार इतना प्रसिद्ध है कि इसकी कोई ज्यूरी ही नहीं है, इससे पहले किसी को दिया नहीं गया और अलीगढ़ की एक गुमनाम कंपनी इसे स्पॉनसर करती है। इसके इवेंट पार्टनर: पतंजलि और रिपब्लिक टीवी हैं।”

इस पर केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति इरानी ने भी जवाब देते हुए ट्वीट किया कि ये बात एक ऐसा व्यक्ति कह रहा है, जिसके परिवार के कई लोगों ने स्वयं को ही ‘भारत रत्न’ दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी को मिले इस अवार्ड ने वामपंथी खेमे में नई बहस पकड़ ली है। सरकार विरोधी ‘प्रोपगंडा’ चलाने के लिए मशहूर ‘द वायर‘ ने राहुल गाँधी के ट्वीट के बाद एक लेख लिखा है, जिसमें वो लिखते हैं कि भाजपा के बड़े नेता PM की एक ऐसे अवार्ड के लिए सराहना कर रहे हैं, जिसमें ना तो कोई सार्वजनिक ज्यूरी है, ना ही किसी को इसकी प्रक्रिया पता है। और यह एक ऐसे मार्केटिंग समूह द्वारा दिया जाता है, जिसके आयोजकों ने इसके बावत सवाल पूछने पर इसे एक गोपनीय अवार्ड (कॉन्फीडेंशियल) बताया है।

सवाल यह है कि अगर यही पुरस्कार राहुल गाँधी या इन प्रोपेगंडा-परस्त समूहों के किसी नेता को दिया जाता, क्या तब भी वो इस तल्लीनता से इस पुरस्कार की प्रक्रिया को गलत साबित करने का प्रयास करते? एक ख़ास वर्ग इस देश में, विशेषकर 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से सक्रिय हुआ है, जिसका प्रथम उद्देश्य अपने प्रधानमंत्री को सिर्फ इसलिए नीचा दिखाने का है क्योंकि वो उनकी विचारधारा से अलग विचार रखता है?

फ़िलिप कोट्लर ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहला फ़िलिप कोट्लर अवार्ड जीतने के लिए बधाई दी है। उन्होंने लिखा है, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से भारत में असाधारण आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी विकास हुआ है। उनका पहला फ़िलिप कोटलर प्रेज़िडेंशियल अवार्ड जीतना भविष्य में यह पुरस्कार प्राप्त करने वालों के लिए मानक बढ़ा देता है।”

विपक्ष द्वारा इस अवार्ड पर प्रश्न उठाने के जवाब में इन्टरनेट पर जवाहर लाल नेहरु के स्वयं खुद को ‘भारत रत्न’ घोषित करने पर सवाल पूछे जाने पर ‘द वायर’ एक ‘फैक्ट चेक़’ के साथ अन्य लेख लाता है, जिसका उद्देश्य जवाहर लाल नेहरु को खुद को ही भारत रत्न घोषित करने पर क्लीन चिट देना है। जबकि सारा देश इस बात से भली-भाँति परिचित है कि वंशवाद में लिप्त एक परिवार, बोफ़ोर्स घोटालों में विश्व प्रसिद्ध नेता स्वयं को भारत रत्न दे चुका है तथा एक आपतकाल के नाम पर अव्यवस्था की जिम्मेदार महिला खुद को भारत रत्न दे चुकी है।

घोटाले, नरसंहार और लोकतंत्र के असल मायनों में प्राण घोंटने वाले लोगों में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक फ़िलिप कोटलर प्रेज़िडेंशियल अवार्ड मिलने पर इतनी छटपटाहट क्यों हो जाती है? क्या यह इस बात का संकेत है कि कॉन्ग्रेस पार्टी और वामपंथी गिरोह उस आत्ममुग्धता और निहिलिज़्म के खो देने के भय से इस तरह का व्यवहार करते हैं जिसके दम पर इन्होंने देश की जनता को गुमराह किया है और उन पर शासन किया है?

शायद वास्तव में यह परिवार यह बात स्वीकारने में अभी वक़्त लगाएगा कि इस देश पर किसी एक परिवार का हक नहीं बल्कि संविधान और देश के उस ‘आख़िरी आदमी’ का है जिसका ज़िक्र महात्मा गाँधी जी नेहरु से किया करते थे।

कनकदुर्गा मामले में नया ट्विस्ट: सबरीमाला मंदिर से लौटने के बाद सास नहीं, बहू ने ही की थी पिटाई

सबरीमाला मंदिर से पूजा करके लौटने वाली कनकदुर्गा के मामले में एक नया ट्विस्ट सामने आया है। पहले मीडिया के ज़रिए यह ख़बर सामने आ रही थी कि सबरीमाला से लौटने के बाद कनकदुर्गा की पिटाई उसकी सास ने की थी। जबकि नई जानकारी के अनुसार इस मामले में कहानी बिल्कुल उल्टी है।

कनकदुर्गा को उसकी सास ने नहीं बल्कि कनकदुर्गा ने ही अपनी सास की पिटाई की है। केरला के BJYM सेक्रेटरी संदीप वॉरियर ने फ़ेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट करके यह दावा किया कि सबरीमाला मंदिर से लौटने के बाद कनकदुर्गा ने ही अपनी सास पर, जो कि अयप्पा की भक्त हैं, हमला किया था। वीडियो में 80 वर्षिय वृद्धा को हॉस्पिटल में बेड पर लेटे हुए देखा जा सकता है।

इससे पहले मीडिया में कुछ इस तरह ख़बर चल रही थी

इससे पहले मीडिया में यह ख़बर चल रही थी कि 800 वर्षों की परंपरा को तोड़ कर सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की वजह से सास ने कनकदुर्गा की बुरी तरह से पिटाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने सितम्बर 2018 में महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की इजाज़त दे दी थी जिसके बाद श्रद्धालुओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। उच्चतम न्यायलय के उस निर्णय के बाद कनकदुर्गा सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली पहली महिला थी। 39 वर्षीय कनकदुर्गा ने एक अन्य महिला के साथ सबरीमाला की सैकड़ों साल पुरानी परंपरा को धता बताते हुए मंदिर में प्रवेश किया था।

ताज़ा ख़बर के अनुसार मंदिर में प्रवेश करने के बाद पहली बार घर पहुँची कनकदुर्गा पर उनकी सास ने हमला कर दिया। उसकी सास ने उसे इतनी बुरी तरह पीटा कि कनकदुर्गा को तुरंत अस्पताल पहुँचाना पड़ा। अभी उसकी हालत स्थिर बनी हुई है। सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कर वापस लौटने के बाद कनकदुर्गा कई दिनों से घर नहीं पहुँची थी और किसी गुप्त स्थान पर छिपी हुई थी। लोगों को लगा था कि वो शायद प्रदर्शनकारियों से बचना चाह रही हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार कनकदुर्गा जैसे ही अपने घर पहुँची, उस से नाराज़ उसकी सास ने लकड़ी के तख्ते से उसपर हमला कर दिया और उसकी पिटाई शुरू कर दी। उसके बाद उन्हें आनन-फानन में पेरिंथलमन्ना के सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया जहाँ अभी भी उसका इलाज चल रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार उसकी सास ने लकड़ी के तख्ते से उसके सिर पर वार किया। फ़िलहाल पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर लिया है और आगे की करवाई की जा रही है।

का परिवार उस से तभी से नाराज़ चल रहा था जब से उसके सबरीमाला में प्रवेश करने की ख़बर आई थी। उसके भाई ने इसे CPM और केरल पुलिस की साजिश बताया था। ज्ञात हो कि केरल के मुख्यमंत्री पिन्नाराई विजयन ने सबरीमाला में प्रवेश करने वाली इन महिलाओं को पूरी सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद इन्हे पुलिस प्रोटेक्शन के साथ उसे आधी रात को मंदिर की सीढ़ियों पर ले जाया गया। रात के क़रीब तीन बजे कनकदुर्गा एक अन्य महिला के साथ सबरीमाला के अंदर घुसने में सफल हो गई थी। उसके साथ गई महिला का नाम बिंदु है जो केरल में सत्ताधारी पार्टी CPM की कार्यकर्ता है।

वामपंथी लोग भारतीय इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिकता का सम्मान नहीं करते: नरेंद्र मोदी

केरल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबरीमाला मुद्दे को लेकर केरल की मौजूदा LDF (लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट) सरकार को निशाना बनाया। उन्होंने अपने भाषण में सबरीमाला मुद्दे पर LDF सरकार के रवैये को इतिहास में सबसे शर्मनाक व्यवहार बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि UDF और LDF, दोनों एक ही सिक्के के 2 पहलू हैं, ये दोनों नाम में भले ही भिन्न हों लेकिन भ्रष्टाचार, जातिवाद और साम्प्रदायिकता में दोनों एक समान हैं। PM मोदी ने कहा कि दोनों ने ही केरल की सांस्कृतिक छवि को नुकसान पहुँचाया है, साथ ही उन्होंने कहा कि ये दोनों राजनितिक हिंसा में भी समान हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोल्लम में कोल्लम, अलाप्पुझा और मवेलिक्कारा निर्वाचन क्षेत्रों से भाजपा कार्यकर्ताओं की एक सार्वजनिक रैली का उद्घाटन करते हुए कहा, “पिछले कुछ महीनों से पूरा देश सबरीमाला पर चर्चा कर रहा है। हम जानते हैं कि कम्युनिस्ट भारतीय इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिकता का सम्मान नहीं करते हैं। लेकिन किसी को भी इस तरह की नफ़रत की उम्मीद नहीं थी।”

केरल में राष्ट्रीय राजमार्ग-66 पर 13 किलोमीटर लंबे दो लेन वाले कोल्लम बाईपास के उद्घाटन के अवसर पर नरेंद्र मोदी ने जनता को बधाई देते हुए कहा, “हमारे देश में हम अक्सर देखते हैं कि उद्घाटन के बाद कई आधारभूत परियोजनाएँ रूक जाती हैं और बड़ी मात्रा में जनता का पैसा बेकार हो जाता है।”

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्होंने विकास परियेाजनाओं का निरीक्षण किया और सभी विभाग सचिवों तथा राज्य के मुख्य सचिवों के साथ बैठक की। उन्होंने बताया कि केरल के लोगों के साथ वो ‘नमो ऐप’ के ज़रिए भी बात करते रहते हैं और बीते साल केरल में आई बाढ़ के दौरान भी वो वहाँ आए थे, साथ ही कहा कि भाजपा सरकार तब केरल के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलकर खड़ी रही

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कॉन्ग्रेस पर भी हमला बोलते हुए कहा कि कॉन्ग्रेस के कई चेहरे हैं, उन्होंने कहा, “वह संसद में कुछ कहती है और पथनमथिट्टा (भगवान अय्यप्पा मंदिर स्थल) में कुछ और कहती है।”

आगे उन्होंने कहा कि केरल और उसकी संस्कृति के साथ सबसे आगे कोई पार्टी रही है, तो वह भाजपा है। साथ ही UDF को इस मुद्दे पर अपना पक्ष स्पष्ट रूप से बताने की चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि उनका दोमुँहा व्यवहार खुलकर सामने आ चुका है।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि, “केरल के लोग जाग गए हैं। वे भाजपा को अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने वाली पार्टी के रूप में देखते हैं। हम उनके सपनों को पूरा करने और एक मजबूत, समृद्ध और समावेशी भारत का निर्माण करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।”

देश भर के 40 हज़ार कॉलेजों व 900 यूनिवर्सिटी में इसी साल से 10% आरक्षण होगा लागू

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि देश भर के 40,000 कॉलेज व 900 यूनिवर्सिटी में इसी साल से सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए 10% आरक्षण कोटा लागू किया जाएगा। मंत्री ने अपने बयान में कहा कि छात्रों को सरकारी व ग़ैर-सरकारी, दोनों ही तरह के, संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिलेगा। इसके आलावा मंत्री ने यह भी कहा कि वर्तमान कोटे में किसी तरह से छेड़छाड़ किए बिना 10% अतिरिक्त कोटा के ज़रिए इस कैटेगरी के छात्रों को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। प्रकाश जावड़ेकर ने यह भी कहा कि आरक्षण कोटा को लागू करने के लिए कॉलेज व यूनिवर्सिटी में 25% सीटों में भी वृद्धि की जाएगी।

झारखंड सामान्य वर्ग के लिए आरक्षण लागू करने वाला दूसरा राज्य

भाजपा शासित राज्य झारखंड ने समान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आरक्षण लागू कर दिया है। झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा समान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरी व शिक्षा में दिए जाने वाले 10% आरक्षण को लागू कर दिया है। राज्य सरकार के इस फ़ैसले के बाद अब झारखंड में रहने वाले समान्य वर्ग के लोगों को 15 जनवरी 2019 के बाद आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। झारखंड सरकार ने अपने घोषणा पत्र में कहा “15 जनवरी 2019 के बाद ज़ारी होने वाली बहाली में समान्य वर्ग के लोगों को 10 फ़ीसद आऱक्षण का लाभ मिल सकेगा।”  

गुजरात ने समान्य वर्ग के लिए सबसे पहले लागू किया आरक्षण

सामान्य वर्ग (आर्थिक रूप से कमजोर) आरक्षण बिल के तहत शिक्षा और रोज़गार के क्षेत्र में मिलने वाले आरक्षण को गुजरात की भाजपा सरकार ने लागू कर दिया है। इस फ़ैसले के साथ ही गुजरात देश का पहला राज्य बन गया है, जहाँ पर सामान्य वर्ग आरक्षण बिल को सबसे पहले लागू किया गया हो।

राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने रविवार (जनवरी 13, 2019) को ट्वीट के जरिए इस बात की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि 14 जनवरी 2019 को मकर संक्रांति के अवसर पर आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग के लोगों के लिए लाए गए आरक्षण बिल को सभी सरकारी नौकरियों में और उच्च शिक्षा में लागू कर दिया जाएगा।

थ्रोबैक (बिकॉज़ व्हाई नॉट): जब कन्हैया कुमार ने भरा था लड़की से ‘अभद्र व्यवहार’ का जुर्माना

कहते हैं फ़िल्में समाज का आईना होती हैं। अवसाद को बेचने में गिरोहों को कैसी महारत हासिल होती है, इसका एक नमूना ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ नाम की पुरस्कृत फ़िल्म में दिखा था। ज्यादा भीख मिल सके इसके लिए फ़िल्म में एक गिरोह, अच्छा गाने वाले एक लड़के को अंधा बनाना चाहता था। उनका ख़याल था कि अंधा भिखारी अच्छा गाता हो तो ज़्यादा भीख मिलेगी। कुछ इसी तर्ज़ पर एक तथाकथित छात्र नेता भी अवसाद बेचने निकले तो उन्होंने बताया कि उनकी माँ की तनख़्वाह तीन हज़ार रुपये है।

फ़रवरी 2016 के जिस दौर में कन्हैया कुमार इस दावे के साथ सामने उतरे थे उनके पास सहानुभूति बटोरने की कोशिशों की वजह भी थी। ये वो दौर था जब भारत में सोशल मीडिया काफ़ी सज़ग हो चुका था और जनता को समझ में आने लगा था कि अगर उनके मुद्दे परम्परागत पेड मीडिया नहीं उठाता है तो वो ख़ुद इसे सोशल मीडिया के ज़रिए लोगों के सामने ला सकते हैं। सोशल मीडिया की दी हुई इसी ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का फ़ायदा एक स्त्री ने उठाया। जब अभिजात्यों का वर्ग नए पोस्टर बॉय के इंटरव्यू के दौरान कॉन्डोम की तलाश में लगा था तो उन्होंने जुर्माने की चिट्ठी सार्वजनिक कर दी!

उसके बाद तो वही हुआ जो होना था। गिरोहों का सबसे पहला काम होता है कि अभियुक्त अगर अपने पक्ष का हो तो सामाजिक रूप से पीड़िता का ही चरित्रहनन करने में जुट जाओ। अदालतों में ऐसे मामलों में पीड़िता के चरित्र पर सवाल उठाना भारी पड़ सकता है, लेकिन आम बातचीत में गिरोहों को ऐसा करने से कौन रोकता? जब झूठे होने और मीडिया लाइमलाइट के लिए मक्कारी करने जैसे आरोप आने लगे तो यूनिवर्सिटी से ज़ारी काग़ज़ भी आरोप लगाने वाली लड़की ने सार्वजनिक कर दिए।

आख़िरकार, अभिजात्य गिरोहों को झुकना पड़ा और पहले टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने, और फिर अगले ही दिन 11 मार्च 2016 को द हिन्दू और द पायनियर ने इस ख़बर को अपने पन्नों पर जगह दी। पीड़िता ने शिक़ायत यूनिवर्सिटी के चीफ़ प्रॉक्टर के पास दर्ज करवाई थी। इस शिक़ायत के मुताबिक़ 10 जून 2015 की सुबह जब पीड़िता सुबह जॉगिंग के लिए निकली थी तो पूर्वांचल रोड पार करते वक़्त उन्होंने ब्रह्मपुत्र छात्रावास में रहने वाले कन्हैया कुमार को सड़क पर पेशाब करते पाया।

उन्होंने छात्र नेता को ये कहते हुए मना किया कि हॉस्टल में इतनी जगह है तो वो बाहर सड़क पर ये अश्लील हरक़त क्यों कर रहा है? इसपर भड़ककर कन्हैया कुमार उनके काफ़ी पास आ गया, लड़की से अभद्रता की, धमकाने वाले अभद्र इशारे किये, और ‘देख लूँगा’ की धमकी देता हुआ गया। जब जाँच में इन आरोपों को सही पाया गया तो लड़की से “अभद्रता” करने के जुर्म में कन्हैया कुमार पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने जुर्माना लगाया था। कमलेश ने इस मामले पर लिखा था कि कैसी विडंबना है कि महिलाओं से “अभद्रता” करने वाला विमेंस डे पर भाषण दे रहा है! इस ग़रीब ने बिलकुल उतना ही जुर्माना भरा है, जितनी वो अपनी माँ की तनख़्वाह बताता रहता है।

बाक़ी, दास्तानगोई वाले महमूद फ़ारूकी का मामला हो या तहलका काण्ड के कुख्यात पत्रिका संचालक को बचाने की मुहीमें, गिरोहों के लिए अपने साथियों को बचाने की कोशिशें नई तो बिलकुल नहीं हैं। हाँ ग़लती और अपराध में आम लोग अब अंतर याद दिला देते हैं, ये और बात है।

फ़र्ज़ी ख़बर गिरोह सक्रिय, राफ़ेल पर बिलकुल नया झूठ: फ़्रांस 28 राफ़ेल ख़रीदेगा आधी क़ीमत पर

राफ़ेल सौदे के ख़िलाफ़ काल्पनिक आरोपों की लंबी सूची में एक और कोण जोड़ते हुए, कुछ लोगों ने आज एक ख़बर प्रसारित की है कि फ़्रांस ने 28 राफ़ेल विमानों को दसाँ (Dassault) एविएशन से €2 बिलियन का ऑर्डर दिया है। उनके अनुसार, ये विमान अगली पीढ़ी के F4 स्टैंडर्ड के होंगे और इस सौदे की प्रति यूनिट कीमत भारत F3R मानक के 36 राफ़ेल जेट विमानों के लिए चुकाए जा रहे क़ीमत की लगभग आधी है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि F4 कॉन्फ़िगरेशन के 28 राफ़ेल जेट 2023 तक फ़्रांस को सौप दिए जाएँगे। लेकिन तथ्य यह है कि, यह पूरी तरह से फ़र्ज़ी ख़बर है। यह दिखाने के लिए दो असंबद्ध सौदे को, दुर्भावनापूर्ण मंशा से इसलिए जोड़ा जा रहा है कि लोगों को यह लगे भारतीय राफ़ेल सौदा बहुत महँगा है।

राफ़ेल लड़ाकू विमान के लिए F4 कॉन्फ़िगरेशन अभी भी ड्राइंग बोर्ड में है। यह वर्तमान में विकास के प्रारंभिक चरण में है। और 2023 तक F4 राफ़ेल को वितरित करना संभव नहीं है। क्योंकि F4 स्टैण्डर्ड कल 14 जनवरी 2019 को ही शुरू किया गया है। राफ़ेल को फ़्रांस सरकार से मिला €2 बिलियन का अनुबंध F4 मानक के विकास के लिए है। फ्रांसीसी सरकार ने दसाँ (Dassault) एविएशन की आरएंडडी गतिविधियों की फ़ंडिंग की है। राफ़ेल के F4 मानक के विकास के लिए यह अनुबंध तब कंपनी को प्रदान किया गया जब सशस्त्र बल के फ्रांसीसी मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने 14 जनवरी, 2019  को फ़्रांस के मेरिग्नैक में कंपनी के संयंत्र का दौरा किया। यह अनुबंध केवल उन्नत F4 कॉन्फ़िगरेशन के विकास के लिए है। इसमें विमान उत्पादन शामिल नहीं है

दसाँ (Dassault) एविएशन के अनुसार, F4 मानक को विकसित करने की अंतिम अवधि 2024 तक है। हालाँकि, इसके कुछ फ़ंक्शन 2022 तक उपलब्ध हो जाएँगे। इसका मतलब है, F4 मानक राफ़ेल जेट 2024 से पहले उत्पादन के लिए नहीं जा सकता। इसलिए यह असंभव है कि फ्रांस 2023 तक इस मानक के 28 राफ़ेल जेट प्राप्त कर लेगा।

2022-2024 में फ़्रांस को 28 राफ़ेल जेट मिलेंगे। लेकिन, यह वर्तमान में उपलब्ध मानकों का होगा, न कि F 4 मानक का जो अभी तक विकसित ही नहीं हुआ है। फ़्रांस सरकार ने अब तक 180 राफ़ेल विमानों का आदेश दिया है। आख़िरी में, नौसेना के लिए 2009 में 60 विमानों का ऑर्डर है। जुलाई 2018 में दसाँ एविएशन के अनुसार, कंपनी ने फ़्रांस के रक्षा बलों को अब तक 151 राफ़ेल की आपूर्ति की है। 1 राफ़ेल को 2018 की दूसरी छमाही के दौरान वितरित किया जाना था। कंपनी ने कहा कि शेष 28 विमानों को 2022 और 2024 के बीच वितरित किया जाएगा।


दसाँ (Dassault) की स्लाइड बता रही है कि 2022-24 में डिलीवर किए जाने वाले 28 राफ़ेल जेट पहले से ही 180 जेट विमानों के अनुबंध में से हैं।

इसका मतलब है, फ़्रांस को 2022-24 में 28 राफ़ेल फाइटर जेट मिलेंगे। क्योंकि, विमान का आखिरी बैच 2009 में ही आर्डर कर दिया गया था। राफ़ेल विमानों के इस डिलीवरी का, F4 स्टैंडर्ड के विकास के लिए किए गए अनुबंध से कोई संबंध नहीं है।

यहाँ ध्यान दिया जा सकता है कि भारत F3R स्टैण्डर्ड का जेट ख़रीद रहा है। जो वर्तमान में उपलब्ध विमान का नवीनतम मानक है। फ़्रांस सरकार ने इस मानक के विकास के लिए भी वित्त पोषित किया था। क्योंकि, सरकार ने 2014 में चौथी पीढ़ी के राफ़ेल विमानों के विकास के लिए €1 बिलियन के अनुबंध से वित्तपोषित किया गया था। वर्तमान अनुबंध की तरह, यह भी R&D के लिए दिया गया धन था। इसमें नए विमानों के लिए एक भी आदेश शामिल नहीं था। राफ़ेल का F3R मानक की वैधता नवंबर 2018 तक था। इसलिए यह उस विमान का नवीनतम संस्करण है जिसे भारत ने ऑर्डर किया है।

रिपोर्ट के अनुसार, फ़्रांस द्वारा 2023 में F4 मानक के 30 राफ़ेल का ऑर्डर देने की उम्मीद है। जब तक मानक लगभग तैयार नहीं हो जाएगा, तब तक इस मानक के लिए कोई वर्तमान ऑर्डर नहीं है। दसाँ का अनुमान है कि F4 मानक राफ़ेल जेट 2030 तक वितरित किए जाएँगे।

यह फ़र्ज़ी ख़बर सबसे पहले ट्विटर पर रवि नायर द्वारा फ़ैलाई गई थी। जो ‘द वायर’ और ‘जनता का रिपोर्टर’ जैसी प्रोपेगैंडा वेबसाइटों से जुड़े हैं। राफ़ेल सौदे को लेकर फ़र्ज़ी ख़बरें फ़ैलाने में ये वेबसाइटें सबसे आगे रही हैं। 2 नवंबर को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, अब तक राफ़ेल सौदे पर ये प्रोपेगंडा वेबसाइटें 40 से अधिक लेख प्रकाशित कर चुके थे।

गुजरात के बाद झारखंड ने समान्य वर्ग के लिए 10% आरक्षण लागू किया

गुजरात के बाद दूसरे भाजपा शासित राज्य झारखंड ने समान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के लिए आरक्षण लागू कर दिया है। झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा समान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को सरकारी नौकरी व शिक्षा में दिए जाने वाले 10% आरक्षण को लागू कर दिया है। राज्य सरकार के इस फ़ैसले के बाद अब झारखंड में रहने वाले समान्य वर्ग के लोगों को 15 जनवरी 2019 के बाद आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। झारखंड सरकार ने अपने घोषणा पत्र में कहा – “15 जनवरी 2019 के बाद ज़ारी होने वाली बहाली में समान्य वर्ग के लोगों को 10 फ़ीसद आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।”  

गुजरात ने समान्य वर्ग के लिए सबसे पहले लागू किया आरक्षण

सामान्य वर्ग (आर्थिक रूप से कमजोर) आरक्षण बिल के तहत शिक्षा और रोज़गार के क्षेत्र में मिलने वाले आरक्षण को गुजरात की भाजपा सरकार ने लागू किया। इस फ़ैसले के साथ ही गुजरात देश का पहला राज्य बन गया, जहाँ पर सामान्य वर्ग आरक्षण बिल को सबसे पहले लागू किया गया हो।

राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने रविवार (जनवरी 13, 2019) को ट्वीट के जरिए इस बात की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि 14 जनवरी 2019 को मकर संक्रांति के अवसर पर आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग के लोगों के लिए लाए गए आरक्षण बिल को सभी सरकारी नौकरियों में और उच्च शिक्षा में लागू कर दिया जाएगा।

जानकारी के लिए बता दें कि आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग की सूची में आने वाले लोगों के लिए आरक्षण पर केंद्रीय मंत्रीमंडल ने 7 जनवरी को मुहर लगाई गई थी। लोकसभा व राज्यसभा में चली लंबी बहस के बाद यह विधेयक दोनों सदनों में बहुमत से पास हुआ। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद यह अब कानून बन गया है।

कश्मीरी आतंकी ‘मिट्टी के लाल’ हैं, हमें उन्हें बचाने की जरूरत है: महबूबा

जम्मू-कश्मीर के पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कश्मीरी आतंकी के समर्थन में विवादास्पद बयान दिया है। अपने बयान में महबूबा ने कहा, “मैं हमेशा से कहती रही हूँ कि कश्मीरी आतंकी (लोकल मिलिटेंट) मिट्टी के लाल हैं। हमलोगों का प्रयास हर हाल में लोकल मिलिटेंट को बचाने का होना चाहिए। मैं न सिर्फ़ हुर्रियत बल्कि जम्मू-कश्मीर के ‘बंदूकधारी लड़ाकों’ के साथ भी बातचीत के पक्ष में हूँ। लेकिन इसके लिए यह समय सही नहीं है।” महबूबा का बयान ऐसे समय में आया है, जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। राज्य में आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए सेना लगातार छापेमारी कर रही है। पिछले साल सेना ने 250 से ज़्यादा आतंकियों को मार गिराया था।

हालाँकि, इससे पहले भी 30 दिसंबर 2018 को मुफ़्ती ने एक संदिग्ध आतंकी के परिवार से मिलकर भारतीय सेना व गवर्नर को चेतावनी दी थी। महबूबा ने कहा था कि यदि आतंकवादियों के परिजनों के साथ उत्पीड़न नहीं रुका तो इसके ‘ख़तरनाक परिणाम’ होंगे।

राज्यपाल ने महबूबा को दिया था जवाब

महबूबा मुफ़्ती के ‘गंभीर परिणाम’ वाले चेतावनी के बाद जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सतपाल मलिक ने उन्हें करारा जवाब दिया। सतपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर विश्वविद्धालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से कहा – “मुझे महबूबा के बयान से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। वो मेरे दोस्त स्वर्गीय मुफ़्ती मुहम्मद सईद की बेटी हैं इसलिए मुझे बुरा नहीं लगा। लेकिन एक बात साफ़ है कि आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए आतंकी के समर्थन में बोलना उनकी मज़बूरी है।” राज्यपाल ने यह भी कहा था कि आतंकियों के परिवार से सेना या पुलिस की कोई दुश्मनी नहीं है। यदि कुछ गलत होगा तो सरकार उच्च स्तरीय जाँच कराएगी।

आतंकी को शहीद बता चुकी है महबूबा

मुफ़्ती महबूबा इन दिनों अपने पिता के विरासत को सँभालने में लगी हुई है। पिछले दिनों अपने पिता मुफ़्ती मुहम्मद सईद के मज़ार पर उनके आत्मा की शांति के लिए वो दुआ करने पहुँची थीं। बिजबिहाड़ा में अपने पिता के आत्मा कि शांति के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में सेना की कार्रवाई में मारे गए आतंकी को महबूबा ने शहीद बताया। उन्होंने नौजवानों से कहा था, “मैं आपकी माँ समान ही हूँ। कुछ नौजवानों को जिन्हें बंदूक उठाकर मरने के लिए मजबूर किया गया, उनकी मौत से मुझे बहुत पीड़ा हो रही थी।”

2014 में 56%, तो 2018 में 90% गाँव सड़क से जुड़े; PM मोदी के कोल्लम भाषण की मुख्य बातें

आज (जनवरी 15, 2019) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल का दौरा किया जहाँ उन्होंने 13 किलोमीटर लम्बे कोल्लम बाईपास के उद्घाटन के मौके पर अपने भाषण में अपने कार्यकाल की उपलब्धियाँ गिनाते हुए कई बातें कहीं। “जब हमने सरकार बनाई थी, उस समय केवल 56% गाँव सड़क से जुड़े थे। आज 90% से अधिक गाँव सड़क से जुड़े हुए हैं। मुझे यकीन है कि हम निश्चित रूप से जल्द ही 100% का लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे”।

नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में विदेशी पर्यटकों द्वारा भारत में आने वाले विदेशी धन के बारे में बताते हुए कहा कि 2013 में यह आँकड़ा 18 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था, जबकि 2017 में यह बढ़कर 27 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। उन्होंने कहा कि 2013 में 70 लाख से बढ़कर 2017 में 1 करोड़ हो चुकी है विदेशी पर्यटकों की संख्या।

मोदी ने अपने भाषण में बताया कि 2017 में भारत दुनिया में सबसे अधिक विकसित पर्यटन स्थलों में से एक था। “मेरी सरकार ने पर्यटन क्षेत्र में कड़ी मेहनत की है। वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल की 2018 की रिपोर्ट में नई पावर रैंकिंग में भारत को तीसरे स्थान पर रखा गया है। WEF के ट्रैवल एंड टूरिज्म कॉम्पिटिटिव इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 65 वें से 40 वें रैंक पर पहुँच गई।”

प्रधानमंत्री ने सड़कों की उपयोगिता पर कहा, “जब हम सड़कों और पुलों का निर्माण करते हैं, तो हम केवल शहरों और गाँवों को ही नहीं जोड़ते हैं, बल्कि हम आकांक्षाओं को उपलब्धियों से, आशाओं को अवसरों के साथ और आशा को ख़ुशी से जोड़ते है।”

हवाई और रेल परिवहन पर अपने सरकार की उपलब्धियों पर PM मोदी ने कहा कि पिछले 4 वर्षों में क्षेत्रीय हवाई संपर्क में भी काफी सुधार हुआ है। नई पटरियों के दोहरीकरण, विद्युतीकरण और उन्हें बिछाने की दर में बड़ा सुधार हुआ है। यह सब तेजी से रोज़गार सृजन की ओर बढ़ रहा है।

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को स्मरण करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा, “अटल बिहारी वाजपेयी जी कनेक्टिविटी की ताक़त में विश्वास करते थे और हम उनकी दूरदर्शिता को आगे ले जा रहे हैं। पिछली सरकार की तुलना में राष्ट्रीय राजमार्गों से लेकर ग्रामीण सड़कों तक के निर्माण की गति लगभग दोगुनी हो गई है।”

“हमने अक्सर देखा है कि विभिन्न कारणों से बुनियादी ढाँचा संबंधित परियोजनाएँ ठप हो जाती हैं। लागत और समय से अधिक देरी तक चलने वाली परियोजनाओं के कारण जनता का पैसा बर्बाद होता है। हमने तय किया कि सार्वजनिक धन की बर्बादी अब और नहीं। PRAGATI के माध्यम से हम परियोजनाओं में तेजी ला रहे हैं और समस्याओं का समाधान निकाला जा रहा है।”

“मुझे यह देखकर आश्चर्य होता है कि कुछ परियोजनाओं में 20 से 30 साल तक की देरी होती है। आम आदमी को किसी परियोजना के लाभ से इतने लंबे समय तक वंचित रखना एक अपराध है। अब तक मैंने PRAGATI के तहत लगभग ₹12 लाख करोड़ की 250 से अधिक परियोजनाओं की समीक्षा की है।”

केरल राज्य के कोल्लम जिले के मेवाराम से काँवड़ तक बना यह कोल्लम बाईपास ₹352 करोड़ की लागत से बना है। 13 किलोमीटर लम्बे कोल्लम बाईपास के उद्घाटन के साथ, कोच्चि और अलाप्पुझा से राष्ट्रीय राजमार्ग 66 पर जाने वाले लोग कोल्लम शहर में प्रवेश किए बिना तिरुवनंतपुरम की ओर बढ़ सकते हैं। कोल्लम बाईपास परियोजना को 4 चरणों में संपन्न किया गया है और इसमें 1,540 मीटर की कुल लंबाई के साथ अष्टमुडी झील पर तीन प्रमुख पुल शामिल हैं। ये परियोजना 1972 में प्रस्तावित हुई थी, और अब जाकर पूरी हुई है।