Tuesday, May 7, 2024

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राहुल गाँधी भावनात्मक एवं मनोवैज्ञानिक अस्थिरता के शिकार: विकीलीक्स की बात आज भी प्रासंगिक

हाल ही की बात है जब उन्होंने मनोहर पर्रीकर के घर अचानक पहुँच कर उनका हाल-चाल पूछा और मीडिया में आकर उन्हें राफ़ेल की चर्चा में खींच लिया।

हृदय से सेक्युलर और गाँधीवादी थे नाथूराम गोडसे

गाँधी जी की हत्या करने के आरोप में गोडसे पर मुकदमा चला था। उस मुकदमे की कार्यवाही में गोडसे ने अपनी बात पाँच घंटे लंबे वक्तव्य के रूप में रखी थी। यह वक्तव्य 90 पृष्ठों का था जो 1977 के बाद प्रकाशित हुआ।

कितने करप्ट हैं हम: 5 वर्षों में 16 स्थान ऊपर चढ़ा भारत, कम हुआ भ्रष्टाचार

जहाँ उस समय अंतरराष्ट्रीय एजेंसियाँ बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार की बात करती थी, अब भारत को पॉजिटिव नजरों से देखते हुए ऐसे देशों की सूची में रखती है, जिनका प्रदर्शन बेहतर होने की उम्मीद है।

गाँधी की तमाम कमज़ोरियों के बाद भी उनके योगदान को नकारना मूर्खता है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अतिरिक्त यदि कोई इस बँटवारे का प्रखर विरोधी था तो वो गाँधी थे। मुस्लिम लीग की ज़िद के आगे कॉन्ग्रेस ने घुटने टेक दिए थे, न कि गाँधी ने।

एक वीर और भी था… गाँधीजी के साथ जिनकी पुण्यतिथि हर वर्ष मनाई जानी चाहिए

उनका एक हाथ जा चुका था। एक ही आँख से देख पाते थे, दूसरी युद्ध की बलि चढ़ गई थी। एक ही पाँव से ठीक से चल पाते थे, दूसरा अपाहिज हो चुका था। फिर भी...

क्या गाँधी की हत्या को रोका जा सकता था? कौन से लूपहोल्स थे? क्यों हो गए थे अपने ही लोग लापरवाह?

26 जनवरी 1948 की रात को थाने स्टेशन पर नाथूराम, आप्टे और करकरे मिले, जहाँ गोडसे ने पाहवा द्वारा उनके नाम उजागर कर देने की बात भी कही। उसके विचार में अब 9-10 के ग्रुप में चलने की मूल योजना ग़लत थी। अतः गोडसे अब बार-बार कहने लगा कि गाँधी की हत्या वही करेगा।

के के मुहम्मद को पद्मश्री: अयोध्या के गुनहगारों के मुँह पर ज़ोरदार तमाचा

विवादित ढाँचा गिराए जाने से पूर्व ऐसे एक-दो नहीं बल्कि 14 स्तंभों को के के मुहम्मद की टीम ने प्रत्यक्ष देखा था। उसी प्रकार के स्तंभ और उसके नीचे के भाग में ईंट का चबूतरा विवादित ढाँचे की बगल में और पीछे के भाग में उत्खनन करने से प्राप्त हुआ था।

शशि थरूर ने एक ट्वीट से करोड़ों हिन्दू श्रद्धालुओं को ‘नंगा’ और ‘पापी’ कहा, लेकिन नंगा हुआ कौन?

जब गंगा साफ़ दिख रही है तो हिन्दुओं की आस्था पर आक्रमण किया जा रहा है। अब संत में पाप दिख रहा है। संत जिस धर्म के प्रतीक हैं, उसे 'नंगा' कहा जा रहा है। क्योंकि यही धर्म है जहाँ यह कहने और सुनने की गुंजाइश है। वरना मज़हब तो ऐसे भी हैं जो झंडे पर नाम लिखकर, तलवार, बम और बंदूक लेकर उतर जाते हैं।

‘द प्रिंट’ का नया फ़र्ज़ीवाड़ा: ऐसी कोई ‘IB रिपोर्ट’ मौजूद नहीं है, जो संस्थानों के मोदी-विरोधी होने की बात करती हो

EEC का गठन मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा संस्थानों का चयन करने के लिए किया गया है। आज (जनवरी 29, 2019) समिति ने सुझाव दिया कि 20 के वर्तमान प्रस्ताव से बढ़ाकर IoE की संख्या 30 की जानी चाहिए।

‘उरी’ से हमारी जली, ‘मणिकर्णिका’ से हुए धुआँ-धुआँ: कट्टर वामपंथी गिरोह एवं एकता मंच

आज तक इस निर्धारित पैटर्न में होता यह था कि 'संप्रदाय विशेष' हमेशा दोस्ती के लिए जान देने को तैयार दिखाया जाता था। ब्राह्मण और पुजारी को व्यभिचारी, बनिया को हेरफ़ेर करने वाला दिखाया जाता रहा था। तब तक इस गिरोह को कभी समस्या नहीं हुई थी।

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