"जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने की ऐतिहासिक भूल से देश को राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ी। आज, जबकि इतिहास को नए सिरे से लिखा जा रहा है, उसने ये फैसला सुनाया है कि कश्मीर के बारे में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की दृष्टि सही थी और पंडित नेहरू जी के सपनों का समाधान विफल साबित हुआ है।"
कृष्ण जन्माष्टमी पर परंपरा स्वरूप कृष्ण की झाँकी निकाले जाने की तैयारी थी, लेकिन जुमे की नमाज़ के चलते झाँकी का समय दोपहर 3 बजे रखा गया। इसके बावजूद 3 बजे जैसे ही झाँकी गाँव के चौराहै पर पहुँची, तो दूसरे समुदाय ने...
अर्शी ख़ान ने इस साल की शुरुआत में ही कॉन्ग्रेस का हाथ थामा था। पार्टी में उन्हें एक बड़ा पद भी दिया गया था। उन्होंने तब ये भी कहा था कि वो लोकसभा चुनाव में भाग लेंगी। पार्टी ने उन्हें मुंबई प्रदेश माइनॉरिटी वेलफेयर कमिटी का वाइस प्रेसिडेंट बनाया था, लेकिन...
अरुण जेटली को अगस्त 9, 2019 को साँस लेने में तकलीफ होने के कारण एम्स में भर्ती कराया गया था। इसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था और वह कुछ दिनों से लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे।
"सर आप इस इमेज को ट्वीट करके चिदंबरम के ख़िलाफ़ पुलिस द्वारा किए जा रहे 'अत्याचार' को बंद करवा सकते हैं।" इस पर पाकिस्तानी सांसद ने तीव्र उत्सुकता में आकर लिख डाला - संयुक्त राष्ट्र के साथ इस इमेज को शेयर कर रहा हूँ।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के नेता सरदार सागीर ने घाटी में बिगड़े हालात के लिए सीधे तौर पर पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए उनका खुद का देश पाकिस्तान ही आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।
“चिदंबरम जी निर्दोष सिद्ध हों, पार्टी की स्वच्छ छवि बने, यही कामना करते हैं, परंतु दुख इस बात का है कि हमारे सभी "मठाधीश "अधिवक्ता जिन्हें बार-बार राज्यसभा का सदस्य बनाया, उनकी जमानत नहीं करा पाए।”
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता आसिफ गफूर ने कहा कि शाहरुख खान इस तरह की सीरीज बनाने की बजाए जम्मू कश्मीर में अत्याचारों और आरएसएस के हिंदुत्ववादी नाजीवाद के खिलाफ बोलकर शांति को बढ़ावा दे सकते हैं।
हिन्दुओं को इससे फर्क नहीं पड़ता कि वो कौन-सा मांस खा रहे हैं। जिन्हें फर्क पड़ा, तो उन्हें 'बिगट', 'कम्यूनल', 'असहिष्णु' और पता नहीं क्या-क्या कह दिया गया। क्योंकि बहुसंख्यकों का न तो कोई धर्म है, न उनकी भावना आहत होती है।
सावरकर की प्रतिमा पर यह देश बेवजह अपना समय और संसाधन व्यर्थ करता है। सर सैयद अहमद खान के योगदान और उनके ज़हरीले, हिन्दू-विरोधी और हिंसक भाषणों को याद करने भर से ही तय हो जाता है कि इस देश को किन लोगों पर गर्व होना चाहिए।