इन्हें सिर्फ रोकना ज़रूरी नहीं है, इनका समूल नाश आवश्यक है। इनका लक्ष्य मोदी या भाजपा नहीं, इनका लक्ष्य हिन्दुओं को इतना पंगु और लाचार बना देना है कि ये बिखर जाएँ, नेतृत्वहीन हो जाएँ, और अंत में इस संस्कृति को भुला दें जिसकी जड़ में वैयक्तिक और सामाजिक स्वतंत्रता, सहिष्णुता, सर्वधर्म समभाव है।
ये धमकी सीधे तौर पर भारतीय टीम को न मिलकर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को ईमेल के जरिए मिली थी, जहाँ भारतीय टीम पर हमला होने की आशंका जताई गई थी। इसके बाद ये मेल पाक क्रिकेट बोर्ड ने बीसीसीआई को भेजा था और फिर...
"इतना सन्नाटा क्यों है अरविंद केजरीवाल? इसी चिदंबरम के घर के सामने अन्ना आंदोलन में लोगों ने लाठियाँ खाई थीं। भ्रष्टाचारियों की सूची में चिदंबरम का नाम सबसे ऊपर था। आज लालू, वाड्रा सब शिकंजे में हैं। बधाई तो दे दो मोदी जी को, फेविकोल काहे पीकर बैठे हो?"
फर्जी नारीवाद को दो पल के लिए कोने में रखकर एक बार इस पर गौर कीजिए कि हम कथित तौर पर महिला सुरक्षा और महिला अधिकारों के नाम पर क्या गंदगी फैला रहे हैं। हम अभिव्यक्ति की आजादी का प्रयोग कौन सी दिशा में कर रहे हैं? पूछिए एक बार खुद से क्या वाकई प्रेम में अलग होने के बाद आपसी संबंध बलात्कार हो जाते हैं?
लिस्ट में हॉलीवुड अभिनेता ड्वेन जॉनसन शीर्ष स्थान पर हैं। ड्वेन जॉनसन को ही 'द रॉक' के नाम से भी जाना जाता है। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि में उन्होंने 89.4 मिलियन अमरीकी डॉलर (लगभग 640 करोड़ रुपए) की कमाई की।
इनकी सावरकर से दुश्मनी केवल इसलिए है क्योंकि वह हिंदूवादी थे, और कॉन्ग्रेस की राजनीति मुस्लिम तुष्टिकरण की है। हिन्दूफ़ोबिया इनकी वैचारिक नसों में है, तो इसलिए हिन्दू हितों की बात करने वाले को खलनायक या कमज़ोर दिखाना तो हिन्दूफ़ोबिया की तार्किक परिणति होगा ही।
कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को भी अपने लपेटे में ले लिया। उन्होंने कहा, "हमें बताया गया कि सीजेआई इस पर फैसला लेंगे। जबकि सुप्रीम कोर्ट हैंडबुक के अनुसार, अगर सीजेआई संवैधानिक पीठ में व्यस्त हैं तो नियमानुसार दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश इसकी सुनवाई करें। हमें अपना अधिकार नहीं मिला।"
"गणित की सवाल। अगर कुछ लोग (हिरासत में हैं)= शांति, अगर कुछ लोग (हिरासत में नहीं हैं)= पत्थरबाजी, अशांति और भी बहुत कुछ, ये आपको कुछ लोगों के बारे में क्या बताता है?"
गिरफ्तारी के बाद पूरी रात पी चिदंबरम ज्यादातर शाँत रहे। बड़ी मुश्किल से उन्होंने सीबीआई अधिकारियों और डॉक्टरों से बात की। उन्हें इस बीच डिनर के लिए भी पूछा गया लेकिन उन्होंने खाना खाने से भी इनकार कर दिया।
सभी 20 एफिडेविट से यह स्पष्ट है कि मुस्लिमों ने यह स्वीकार किया है कि 1935 के बाद से ही उस स्थल पर नमाज़ नहीं पढ़ी जा रही है और इसीलिए अगर हिन्दुओं को यह ज़मीन वापस कर दी जाती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।