हम्पी में उसी जगह पर हनुमान जी की विश्व की सबसे विशालकाय प्रतिमा का निर्माण करने का फैसला लिया गया है, जहाँ पहली बार भगवान राम की उनसे मुलाकात हुई थी। इसकी ऊँचाई 215 फीट होगी। मतलब अयोध्या के श्रीराम से 10 फीट कम!
शिवाजी महाराज की तलवार पर 10 हीरे जड़े हुए थे, जो इस वक्त लंदन में हैं। उनकी तलवार प्रिंस ऑफ वेल्स एडवर्ड सप्तम को नवंबर 1875 में उनकी भारत यात्रा के दौरान कोल्हापुर के महाराज ने उपहार स्वरूप भेंट की थी। लेकिन कभी भी इस तलवार को वापस लाने के कोशिश नहीं की गई।
इस युद्ध के 350 साल पूरे होने पर हमें ध्यान रखने की आवश्यकता है कि तानाजी द्वारा लड़ा गया ये युद्ध आम युद्ध नहीं था। क्योंकि ये किला लगभग 4,304 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। जिस तक पहुँचने के लिए तानाजी ने यशवंती नामक गोह प्रजाति की छिपकली का प्रयोग किया था।
19 जनवरी 1990 की भयावह घटनाएँ बस शुरुआत थी। अंतिम प्रहार 26 जनवरी को होना था, जो उस साल जुमे के दिन थी। 10 लाख लोग जुटते। आजादी के नारे लगते। गोलियॉं चलती। तिरंगा जलता और इस्लामिक झंडा लहराता। लेकिन...
उस सरकार को कई देशों की मान्यता प्राप्त थी। बैंक था, सेना थी। महिलाओं की भागीदारी थी। अफ़सोस कि भारत की उस सरकार को भुला दिया गया, जिसकी देश ने 2018 में 75वीं वर्षगाँठ मनाई। नेताजी ने देश-विदेश में घूम कर भारतीय समुदाय के भीतर आज़ादी का मन्त्र फूँका।
नेताजी को 1580 वोट, गाँधी के पट्टाभि को 1377 मत... फिर भी बीमार बोस जब स्ट्रेचर पर कॉन्ग्रेस के त्रिपुर सेशन में पहुँचे, तब 2 लाख लोगों के सामने उनके राजनैतिक जीवन को सबसे बड़ा झटका लगा। अध्यक्ष चुने जाने के बाद भी उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा।
दादियाँ दादा जी को अपने समय की पतंगबाजी याद दिलाती हैं और दादा ताव में आकर खड़े हो जाते हैं दादी को ये दिखाने कि मैं अभी बूढ़ा नहीं हुआ हूँ। अब भी ये लड़के मेरी पतंग के आगे नहीं टिक सकते और पतंग कटते ही, 'सालो चाइनीज़ माँझो वापरे छे' कहकर वापस आकर बैठ जाते हैं।
स्वामी विवेकानंद का जीवन बहुत लंबा न होने के बावजूद, सौभाग्य से विभिन्न समय पर लिखे गए पत्रों, संस्मरणों, लेखों और हँसी-ठिठोली से हम वंचित नहीं हुए हैं। खास बात ये है कि उनके लिखे कई पत्र, संस्मरण आज उनके न रहने के लगभग एक शताब्दी के बाद भी कई नए रहस्य उद्घाटित कर रहे हैं।
गाय और भेंड़ का माँस खाने वाला उदयभान। उसके 12 ताक़तवर बेटे। उसका सेनापति हिल्लाल। 1800 पठान। अरबों की सेना। इन सबके बावजूद तानाजी ने माँ को किया वादा निभाने के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी। कहानी मराठा योद्धा और छत्रपति शिवाजी के विश्वस्त मित्र की।