Sunday, April 28, 2024

भारत की बात

पुणे में बैठ कर दिल्ली चलाने वाला मराठा: 16 की उम्र में सँभाली कमान, निज़ाम और मैसूर को किया चित

16 वर्ष के बच्चे ने मराठा साम्राज्य की कमान सँभाली। जलवा ऐसा कि दिल्ली के सिंहासन पर कौन बैठेगा, ये भी उसके इशारे पर तय होता था। जानिए, कौन था मैसूर के हैदर अली और हैदराबाद के निज़ाम को धूल चटाने वाला महायोद्धा?

जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफ़न की गई थी मंदिरों से लूटी गई हिन्दू प्रतिमाएँ, ये रहा सबूत

दिल्ली का जामा मस्जिद, जिसे शाहजहाँ ने बनवाया था। औरंगज़ेब के आदेश से मंदिरों से लूटी गईं हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफ़न कर दिया गया था। इसका सबूत है 'मसीर-ई-आलमगीरी', जो औरंगज़ेब की जीवनी है। पढ़िए क्या लिखा है इसमें?

हिन्दू धर्मांतरण क्यों नहीं करते? कलमा क्यों नहीं पढ़ लेते? क्योंकि वो काल को जीतने वाले राम के उपासक हैं

अपने अंतर्मन में हर हिन्दू यह बात जानता था कि श्री राम व राम का नाम हिन्दू धर्म की आत्मा है। राम गए तो हिन्दू धर्म नहीं बचेगा। वह आस्था, वह श्रद्धा जो हमारे रक्त और हमारी हड्डियों में समाई हुई है। राम का ‘तत्व’ ही वह शाश्वत धारा है जिसने हिन्दू समाज को विषम-से-विषम परिस्थिति में भी स्पंदित व जीवित रखा है, तथा सदैव रखेगी।

प्रिय असुरनियों, तुम चाहे जितना चिंघाड़ो, सबरीमाला देवता का मुद्दा ही रहेगा, न कि पीरियड्स और पब्लिक प्लेस का

सागरिका को मंदिर और सार्वजनिक फुटपाथ में अंतर नहीं पता, इसलिए उन्हें तो मूर्ख माना जा सकता है। लेकिन बरखा दत्त मंदिर का नाम स्पष्ट तौर पर लेतीं हैं और इसके बाद भी कहती हैं कि उन्हें सबरीमाला में जबरन प्रवेश चाहिए। यह मूर्खता नहीं, दुर्भावना वाली आसुरिक वृत्ति है।

रामलला के 92 वर्षीय वकील के बेटे ने रामसेतु पर मनमोहन सरकार की पैरवी से कर दिया था इनकार

"मैं श्रीराम में विश्वास रखता हूँ। फिर भला कैसे उनके द्वारा बनाए गए सेतु को तोड़ने के लिए अदालत में सरकार की पैरवी करूँ? नहीं। ये मुझसे नहीं हो सकता।"

जिन सबूतों से बाबरी मस्जिद का दावा कमजोर साबित हुआ उन्हें जुटाने वालों में 53 मुस्लिम थे

फैसले का आधार बनी एएसआई रिपोर्ट में कहा गया है कि विवादित ढॉंचे के नीचे नक्काशीदार ईंटें, देवताओं की युगल खंडित मूर्तियाँ, नक्काशीदार वास्तुशिल्प, पत्तों के गुच्छे, अमालका, कपोतपाली, कमल की आकृति जैसी चीजें मिली हैं।

रोड टू रामलला: 1528 से 2019 तक का सफर, राम मंदिर के लिए हिंदुओं के संघर्ष की पूरी कहानी

सुप्रीम कोर्ट ने बहुप्रतीक्षित फ़ैसला सुनाया दिया है। अयोध्या की पूरी विवादित ज़मीन रामलला की है। मंदिर वहीं बनेगा। मस्जिद के लिए अयोध्या में ही कहीं और 5 एकड़ ज़मीन दी जाएगी।

अयोध्या: अंग्रेज जज ने 356 साल पुरानी गलती नहीं सुधारी, 491 साल पुरानी भूल सुधार का वक्त आया

राम मंदिर के हक में फैसला आया तो यह पहला मौका नहीं होगा, जब हिंदुओं के दावे पर मुहर लगेगी। हाई कोर्ट ने भी विवादित स्थल को रामजन्भूमि माना था। अंग्रेजों के जमाने में भी अदालत ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की बात मानी थी।

अयोध्या, प्रयाग, काशी, मथुरा: ‘हिन्दू पद पादशाही’ के लिए मराठों की संघर्ष गाथा

राजनीतिक और सैन्य कारणों से मराठे पवित्र स्थलों को वापिस पाने का सपना पूरा नहीं कर पाए। लेकिन भरसक प्रयासों में कोई कोताही नहीं बरती। आज यह याद करना ज़रूरी है कि हमारे पूर्वजों ने धन, प्राण, शक्ति समेत कितनी कुर्बानियाँ दी।

अयोध्या: जब दर्जनों रामभक्तों की लाश पर चढ़ ‘मुल्ला’ बने थे मुलायम, बाद में कहा- और भी मारते

30 अक्टूबर 1990 बताता है कि तुष्टिकरण के नाम पर कथित सेक्युलर जमात के नेताओं ने क्या-क्या कारनामे किए हैं। प्रायश्चित की बजाय कैसे अपने कृत्यों को जायज ठहराया है।

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