पेरियार ने ब्राह्मणों के नरसंहार और उनके घरों को जलाने का ऐलान किया था। इससे खफा नेहरू ने उसे 'सनकी' और 'विकृत दिमाग वाला व्यक्ति' कहा। नेहरू ने कहा था कि किसी भी सभ्य देश में ऐसी बर्बर घटना से उनका सामना नहीं हुआ।
"मैं अगर तुम्हें कस्तूरबा को पेनिसिलिन देने की आज्ञा दे देता, तो भी वो नहीं बचती। लेकिन ये मेरी आस्था की धज्जियाँ उड़ाने जैसा होता। वो मेरी गोद में मरी, इससे बेहतर कुछ हो सकता था?"
प्रेमचंद की 'रंगभूमि', 'कर्मभूमि' उपन्यास हो या भारतेंदु हरिश्चंद्र का 'भारत-दर्शन' नाटक या जयशंकर प्रसाद का 'चंद्रगुप्त'- सभी देशप्रेम की भावना से भरी पड़ी है।
अंग्रेज, भगतों को जबरदस्ती बंदी बना रहे थे, उन्हें शराब पिला रहे थे तथा यज्ञ कुंडों पर पशुओं की हत्या कर के उसे अपवित्र कर रहे थे। मानगढ़ में हुआ था नरसंहार।
मास्टर जी जी की दिलेरी का यह हाल था कि वो खाली समय में अपने दरवाज़े पर नियुक्त पुलिस वाले से पंजा लड़ा कर अपना वक्त गुज़ारा करते थे। झाँसी में उनके यहाँ ही रुके थे चंद्रशेखर आज़ाद।
योगी आदित्यनाथ ने जिस ऐतिहासिक गलती का जिक्र किया है, वह केवल ज्ञानवापी तक ही सीमित नहीं है। इस्लामी आक्रांताओं ने काशी के कई हिस्सों में मंदिरों को तोड़कर उस पर मस्जिद बनवाई थी।