जानिए कैसे चीन ने विकसित की Anti-Satellite तकनीक और किया उसका सफल परीक्षण। क्या था उस समय दुनिया की प्रतिक्रिया? उसके बाद के घटनाक्रमों का विस्तृत विवरण। रूस-अमेरिका के ऐसे परीक्षणों के बारे में जानकारी।
2012 में DRDO के प्रमुख वीके सारस्वत थे। एक दिन उन्होंने देश को चौंका दिया, यह घोषणा करके कि भारत के पास Low Earth Orbit और Polar Orbit में परिक्रमा करने वाले सैटेलाइट को निष्क्रिय करने लायक ऐंटी सैटलाइट वेपन की सारी तकनीक और उसे बनाने के लिए सारे कल-पूर्जे मौजूद हैं।
भारत ने अंतरिक्ष में आज एक और कामयाबी का परचम लहराया है और मिशन शक्ति की सफलता के साथ अमेरिका, चीन, रूस के बाद भारत दुनिया का चौथा सबसे शक्तिशाली देश बन गया है।
हमारे वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में 300 किलोमीटर दूर LEO (Low Earth Orbit) में एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया है। ये लाइव सैटेसाइट जो कि एक पूर्व निर्धारित लक्ष्य था, उसे एंटी सैटेलाइट मिसाइल (A-SAT) द्वारा मार गिराया गया है।
"भारत ने अपना नाम अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में दर्ज करा लिया है। अब तक अमेरिका, रूस और चीन को ही यह उपलब्धि हासिल है। भारत चौथा देश है जिसने आज यह सिद्धि प्राप्त की है।"
सिंध में अब मेघवार समुदाय की लड़की के अपहरण का मामला सामने आया है। घटना बाड़ीं जिला स्थित टांडो बाघों गाँव का है। पीड़िता के पिता ने ज़िले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) सरदार हसन नियाज़ी से मामला दर्ज कर दोषियों पर कार्रवाई करने की गुहार लगाई है।
‘बिग डेटा’ तकनीकी पर आधारित यह ट्रैकर कर-दाताओं के बारे में जानकारी निकालने के कई अपारंपरिक स्रोतों का भी इस्तेमाल करेगा। इसमें आपकी रिलेशनशिप और सोशल मीडिया अकाउंटों की जानकारी भी शामिल हैं।
मुंबई के सबसे अच्छे स्कूलों में से एक में पढ़ने वाले बच्चे को ये पता ही नहीं था कि लाल बहादुर शास्त्री कौन थे? ये कैसी शिक्षा प्रणाली है? 2 अक्टूबर के समाचार पत्र खोलो तो आपको सभी जगहों पर सिर्फ़ गाँधीजी ही गाँधीजी दिखते हैं! शास्त्री जी की भूमिका को भूला क्यों दिया गया?
2018 में चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग और प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच बीजिंग में एक बैठक के बाद, चीन ने कहा था कि वह पाकिस्तान को वित्तीय संकट से उभरने के लिए सहायता की पेशकश करने को तैयार है।
इस्लामिक मज़हब में खतना एक प्रचलित रिवाज की तरह है, जिसका अभ्यास हर नवजात पर किया जाता है। हालाँकि इटली में रोमन कैथोलिक लोगों द्वारा इसका अनुसरण नहीं होता लेकिन वहाँ रह रहे मुस्लिम शरणार्थियों के द्वारा ऐसा लगातार किया जाता है।