कन्हैया कुमार का कॉन्ग्रेस ज्वाइन करना आश्चर्य व्यक्त करने वाली घटना नहीं है। वर्तमान भारतीय राजनीति के सेक्युलर दलों के बीच एक्सचेंज प्रोग्राम चल रहा है।
तुष्टिकरण का परिणाम यह है कि देश के बहुत बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा हो गया है और उसे हटाना केवल सरकारों के लिए कानून व्यवस्था की चुनौती नहीं बल्कि राष्ट्रीय सभ्यता के लिए भी चुनौती है।
प्रश्न यह है कि कॉन्ग्रेस पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए उसकी यह रणनीति काफी होगी? ऐसा करने के साथ यही पार्टी बीजेपी पर यह आरोप लगाने की भी तैयारी कर रही होगी कि भाजपा चुनाव के मौके पर सांप्रदायिक राजनीति करती है।
मुंद्रा पोर्ट पर ड्रग्स की बरामदगी को लेकर कॉन्ग्रेस पार्टी ने जो दुष्प्रचार किया, वह लगभग ढाई दशक से गुजरात के विरुद्ध चल रहे दुष्प्रचार का सबसे नया संस्करण है।
माना जा रहा है कि अमरिंदर सिंह को हटाना राहुल गाँधी का फैसला था। ऐसे में चन्नी का सीएम बनना कॉन्ग्रेस की मुश्किलों का निपटारा नहीं, पंजाब में राहुल के नेतृत्व की परीक्षा है।
हिंदुत्व को वैश्विक खतरा बताने के पीछे सोच यह है कि इस्लामिक आतंकवाद से जूझ रही दुनियाँ को एक बनावटी डिस्कोर्स थमा कर उसे किसी और रास्ते पर लगा दिया जाए ताकि पहले से चल रही तमाम भ्रांतियों की रक्षा की जा सके।