Friday, April 26, 2024

राजनैतिक मुद्दे

…क्यूँकि ये बंगाल है: पहले लेफ्ट-अब TMC, वही किया जिसका सावरकर को दशकों पहले हो गया था एहसास

आज जो बंगाल में हो रहा है, वह बंगाल के लिए नया नहीं है। पर बीजेपी के लिए नया है। हिंसा के रास्ते वर्चस्व कायम की राजनीति का अंत कब?

मुस्लिम तुष्टिकरण यह भी: एक महिला मार दी गई और CM ‘आतंकियों’ को ‘उग्रवादी’ तक नहीं कह सकता

इसी पोलिटिकल करेक्टनेस में मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तानी चैनल पर मोदी सरकार के बारे में कहा कि उन्हें हटाइए, हमें ले आइए।

कोरोना काल में पत्र लेखन प्रधान राजनीतिक चालें और विरोध की संस्कृति

जबसे तीसरे चरण के टीकाकरण की घोषणा हुई है, कोविड के विरुद्ध देश की लड़ाई में राजनीतिक दखल ने एक अलग ही रूप ले लिया है।

चढ़ता प्रोपेगेंडा, ढलता राजनीतिक आचरण: दिल्ली के असल सवालों को मुँह चिढ़ाती केजरीवाल की पैंतरेबाजी

ऐसे दर्जनों पैंतरे हैं जिन पर केजरीवाल से प्रश्न नहीं किए गए हैं और यही बात उनसे बार-बार ऐसे पैंतरे करवाती है।

मोदी से घृणा के लिए वे क्या कम हैं जो आप भी उसी जाल में उलझ रहे: नैरेटिव निर्माण की वामपंथी चाल को समझिए

सच यही है कि कपटी कम्युनिस्टों ने हमेशा इस देश को बाँटने का काम किया है। तोड़ने का काम किया है। झूठ को, कोरे-सफेद झूठ को स्थापित किया है।

टिकरी बॉर्डर पर गैंगरेप: ‘क्रांति’ की जगह किसान आंदोलन से ‘अपराध’ की डिलिवरी, आगे क्या…

कथित आंदोलन अब किस अपराध की खोज में निकलेगा, इसका उत्तर शायद टिकरी बॉर्डर पर रुके समय के पास है।

गैर बीजेपी मुख्यमंत्रियों की ‘हरकतों’ में मोदी विरोध का ‘हीरो’ तलाशता इकोसिस्टम: संघीय ढाँचे में राजनीतिक परंपराओं की ये कैसी नींव?

ममता बनर्जी हों या हेमंत सोरेन या फिर अरविंद केजरीवाल... प्रश्न उठता है कि भारत के संघीय ढाँचे में कैसी राजनीतिक परंपराओं की नींव रखी जा रही है?

हिंसा वही जो पिया मन भाए?

"जो है उसमें से अपने मतलब का सीन ही देखना है" से चलकर "कुछ नहीं दिख रहा है" - यही है वाम-तंत्री रिपोर्टिंग का क्रमिक विकास।

बांग्ला-बंगाली देश से ऊपर, बाकी सब बेकार: ममता की लगाई ‘उप-राष्ट्रवादी खेला’ से जलेंगे और राज्य भी

सफलता के इस शोर में एक महत्वपूर्ण कारण पर चर्चा शायद न हो और वह कारण है बांग्ला उप राष्ट्रवाद। अब इसे प्रशांत किशोर द्वारा बनाई गई रणनीति का हिस्सा माने या फिर पहले से चली आ रही एक सोच!

इन नतीजों के आगे जहाँ और भी हैं… आखिर भाजपा के पास बंगाल में खोने को था ही क्या?

यह टीवी मीडिया और छद्म बुद्धिजीवियों की बनाई दुनिया थी, जिसने भाजपा का सब कुछ बंगाल में दाँव पर बता दिया। भाजपा के पास खोने को था ही क्या?

ताज़ा ख़बरें

प्रचलित ख़बरें

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe