Saturday, May 4, 2024

राजनैतिक मुद्दे

जेल में चूहा नेहरू के लिए ‘टॉर्चर’, झाड़ू लगा और अंग्रेजी बॉन्ड भर सिर्फ 12 दिन में निकले: सावरकर ने 15 साल झेली प्रताड़ना

नेहरू ने अपनी आत्मकथा में भी नाभा की 'प्रताड़ना' का जिक्र किया है - कमरे की ऊँचाई कम थी, वहाँ एक चूहा था, जमीन पर सोना होता था और सैनिटाइजेशन की व्यवस्था नहीं थी।

वैश्विक महामारी के दौर में और मजबूती से सामने आया ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का भारतीय दर्शन

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को पराजित किया जा सकता है लेकिन इसके लिए जरूरी है कि हर कोई वसुधैव कुटुम्बकम के दर्शन को आत्मसात करे।

महात्मा गाँधी की हत्या के लिए सजा क्यों नहीं? गोडसे ने कोर्ट को क्या तर्क दिए? मुकदमे से संबंधित दस्तावेज पढ़ने पर रोक क्यों?

जब गोडसे को पूर्वी पंजाब हाईकोर्ट से सजा मिली तो अपने खिलाफ मुक़दमे और दोषसिद्धि के विरुद्ध अपील का अधिकार क्यों नहीं दिया गया?

बुद्धिजीवी, प्रोपगेंडाजीवी, आन्दोलनजीवी… इकोसिस्टम ने खोले सारे ‘घोड़े’, फिर भी PM मोदी अडिग

कोई राहुल गाँधी इस बात के सहारे नहीं नहीं बैठ सकता कि कोई रवीश कुमार रोज फेसबुक पोस्ट लिखकर उसे सत्ता दिला सकता है। कोई रवीश कुमार इस सोच के सहारे नहीं बैठ सकता कि......

नेताओं में ‘हिन्दू’ दिखने की होड़, क्षेत्रीय क्षत्रपों का PM ख्वाब टूटा: 7 साल में बदल दी पूरी सियासत

PM बनने का ख्वाब देखने वाले क्षेत्रीय क्षत्रप दिल्ली से गायब हो गए। राजनीति डिजिटल हो गया। हर नेता खुद को राष्ट्रवादी और हिन्दू हितैषी दिखाने लगा। कई जानी-दुश्मन एक हो गए। नॉर्थ-ईस्ट और कश्मीर मुख्यधारा की राजनीति में आया।

‘मुझे पता है इसी व्यक्ति ने यह अपराध किया है…’: प्रियदर्शिनी की राह पर तेजपाल का केस, क्या वैसा ही होगा आखिरी फैसला

विस्तृत फैसले में सबूतों को मिटाने की बात से एक सीख सरकार चलाने वालों के लिए भी है। विचार करें कि प्रशासन सरकार के नीचे है या ऊपर?

राजनीति से नहीं ट्विटर के रार का सरोकार, यह ‘विदेशी मसीहा’ को लेकर लिबरल बेचैनी का है इजहार

बात पुराने पापों पर पर्दा डालने की हो या नए प्रोपेगेंडा की, देशी लिबरलों को अब विदेशी मदद की दरकार है, क्योंकि उनके घरेलू नायक बेपर्दा हो चुके हैं।

राष्ट्रवाद विरोधी इकोसिस्टम के हाथों में खेलता ट्विटर, लोकतंत्र के लिए जरूरी है यह जानना कि कौन कहाँ खड़ा है

ट्विटर इंडिया के लिए सरकार द्वारा उठाए गए प्रश्नों की अनदेखी न तो कानून सम्मत है और न ही आम भारतीय की अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता के पक्ष में है।

कुंभ से कोरोना, चुनावी रैली स्थगित कर रोना… लेकिन ‘किसानों’ को समर्थन देना: देश के संघर्ष में यह है विपक्षी दलों का चरित्र

यह कैसी राजनीति है? पंजाब की सरकार दिल्ली में किसानों के धरने को पूरा समर्थन देती हैं पर पंजाब में उनके धरने को संक्रमण फैलाने का साधन बताती हैं? दिल्ली में किसानों के धरने को दिल्ली सरकार का पूरा समर्थन है।

अजीबोगरीब कल्पनाओं वाली नेहरू की विदेश नीति: मुस्लिम राष्ट्रों ने ठुकराया, इजरायल को भारत से कर दिया था दूर

इसे दुर्भाग्य के अलावा क्या ही कहा जाएगा कि एक लोकतान्त्रिक संप्रभु देश की विदेश नीति को तुष्टिकरण के द्वारा तय किया जाता था।

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