सिद्धू को पंजाब कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष बनाने से अंदरूनी विवाद कुछ दिनों के लिए भले शांत हो जाए, लेकिन दो पावर सेंटर होने से भविष्य में संकट और गहरा होगा।
बढ़ती जनसंख्या के आर्थिक और राजनीतिक आयाम आज भी वही हैं जो पहले थे। यह समझने की आवश्यकता है कि इससे पैदा होनेवाले प्रश्न और खतरों को और पीछे नहीं फेंक सकते।
इस साल की शुरुआत में सूरत नगर निगम चुनावों में 27 सीटें जीतकर उत्साहित आम आदमी पार्टी की निगाहें अब दिसंबर 2022 में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों पर हैं।
आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर इसकी कमान अमित शाह के हाथ में ही क्यों? आखिर विपक्षी की बेचैनी का कारण क्या है कि वो केंद्र सरकार के इस नए पहल का स्वागत करने की बजाए इसका विरोध कर रहा है।
सवा सौ वर्षो से भी अधिक पुरानी पार्टी के लिए इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि वह भारत में अपने लिए एक अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर पा रही पर यूरोप के नौ देशों में एक साथ अध्यक्ष नियुक्त कर ले रही है।