Tuesday, November 26, 2024

राजनैतिक मुद्दे

जनता समझदार है, राहुल गाँधी जी! उनको अपने जैसा मत समझिए…

कॉन्ग्रेस को अब राहुल गाँधी के आगे सोचना होगा, एक नेता और देश के नेतृत्त्व के लिए वे स्वयं को सर्वोत्तम प्रत्याशी साबित नहीं कर पाए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि वे स्वयं भी प्रधानमंत्री बनना नहीं चाहते हैं और उन्हें पार्टी जबरदस्ती नेता बना कर रखना चाहती है।

सिन्हा की हार का मुंबई कनेक्शन, समझिए कैसे अपने ही पैर पर कुल्हारी मार ख़ामोश हुए शत्रुघ्न

शत्रुघ्न सिन्हा की हार के पीछे जो भी फैक्टर हैं, उनका न तो कॉन्ग्रेस से कुछ लेना-देना है और न ही भाजपा से। यह उनकी व्यक्तिगत हानि है, उनकी विफलता है, जिसके ज़िम्मेदार वह ख़ुद हैं। क्या हैं सिन्हा कि हार के कारण, समझिए स्थानीय समीकरणों के साथ।

अपनों के ही जाल में फँसे दिग्गी राजा: जानिए कैसे कमलनाथ ने सुनिश्चित की उनकी बुरी हार

कमलनाथ एक ऐसा नाम है, जिसने उत्तर प्रदेश में सिंधिया को भिजवाकर उनका क़द घटा दिया क्योंकि वहाँ कॉन्ग्रेस की बुरी हार तय थी। दिग्विजय को 'सबसे बड़ा नेता' और 'सबसे कठिन सीट' के ऐसे जाल में फँसाया, जिससे वह मध्य प्रदेश में एकछत्र राज कर सकें।

लोकतंत्र में ‘खतम सिंह’ विपक्ष की वजह से सिर्फ व्यंग्य ही सच हो रहे हैं और दावे गलत

कॉन्ग्रेस जनादेश को EVM से छेड़छाड़ बताकर लगातार जनादेश का अपमान करती नजर आई। नतीजा ये रहा कि नालायक विपक्ष द्वारा तैयार किए गए फासिस्ट, भक्त, दलित पर अत्याचार, अल्पसंख्यकों में डर का माहौल, EVM हैक, बिकी हुई मीडिया, कट्टर हिन्दू जैसे नैरेटिव नरेंद्र मोदी की छवि ख़राब करने के बजाए उन्हें महामानव बनाते चले गए।

वास्कोडिगामा की वो गन जो विपक्ष ने अपना नाम लेकर फायर किया (भाग 3)

योजना ही नहीं, देश भी पहले से ही था, तो क्या काम ही न किया जाए? क्या योजना बना देने से ही काम हो जाता है? या फिर पुरानी योजना पर नए तरीके से काम करना और समाज को लाभ पहुँचाना कोई अपराध है? योजना का नाम ही नहीं, उसके क्रियान्वयन को भी मोदी सरकार ने पूरी तरह से बदला।

ज़मीर बेच कर कॉफ़ी पीने वाली मीडिया और लिबटार्डों का सामूहिक प्रलाप (भाग 2)

एंकर स्टूडियो के भीतर इस तरह का चेहरा लेकर आने लगा कि उसे स्टूडियो के बाहर कुछ हिंदुओं ने थप्पड़ मार कर चेहरा सुजा दिया है। एंकर इस तरह से मरा हुआ मुँह लेकर बैठने लगा, और भद्दे ग्राफ़िक्स की मदद से आपको बताने लगा कि हत्या तो बस समुदाय विशेष की ही हो रही है, और कैसे डर फैलाया जा रहा है।

लिबरलों का घमंड, ‘मैं ही सही हूँ, जनता मूर्ख है’ पर जनता का कैक्टस से हमला (भाग 4)

एक घमंड है इन पार्टियों के समर्थकों और मोदी के विरोधियों के भीतर। वो घमंड यह है कि वो जो सोचते हैं, वो जिन्हें चाहते हैं, उन्हें अगर बहुमत नहीं मिल रहा तो जनता पागल है। ये अभिजात्य मानसिकता, ये निम्न स्तर का दंभ, उसी तरीके से दिमाग में चढ़ता है जैसे सत्ता में होने पर पावर का नशा।

विपक्ष और मीडिया का अंतिम तीर, जो कैक्टस बन कर उन्हीं को चुभने वाला है (भाग 1)

विपक्ष ने मुद्दे नहीं उठाए। विपक्ष ने सनसनी बनाने पर ज़्यादा ध्यान दिया। जस्टिस लोया की मौत को मुद्दा बनाया गया, गलत वित्तीय ज्ञान परोस कर अमित शाह के बेटे की कम्पनी को मुद्दा बनाया गया, अजित डोभाल के बेटों पर माहौल बनाने की कोशिशें हुई, नोटबंदी पर लाशें पैदा की गईं, जीएसटी पर उन व्यापारियों के नुकसान की बात हुई जो कहीं थे ही नहीं!

इतना सीधा नहीं है ओपी राजभर को हटाने के पीछे का गणित, समझें शाह के व्यूह की तिलिस्मी संरचना

ये कहानी है एक ऐसे नेता को अप्रासंगिक बना देने की, जिसके पीछे अमित शाह की रणनीति और योगी के कड़े तेवर थे। इस कहानी के तीन किरदार हैं, तीनों एक से बढ़ कर एक। जानिए कैसे भाजपा ने योजना बना कर, धीमे-धीमे अमल कर ओपी राजभर को निकाल बाहर किया।

साक्षरता और शिक्षा के बीच का फ़र्क़ भूल ‘सबसे बड़े दलित नेता’ ने BJP के वोटरों को कहा अशिक्षित

उनके लिए भारत का हर वो मतदाता अशिक्षित है, जिसने भाजपा को वोट दिया है। फिर भाजपा में 5 वर्ष रहकर मलाई चाँपने वाले वह क्या हैं? अगर केरल में साक्षरता दर सबसे ज्यादा है तो आईएस में शामिल होकर आतंकी बनने वाले भी सबसे ज्यादा इसी राज्य से हैं।

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