भारत की पत्रकारिता में यह रवीश का सबसे बड़ा योगदान है। अच्छी योजनाओं और सरकारी कार्यों में भी, खोज-खोज कर कमियाँ बताई जाने लगी हैं। देखा-देखी बाकी वामपंथी एंकरों और पुराने चावल पत्रकारों ने भी, अपनी गिरती लोकप्रियता बनाए रखने के लिए, अपने दैनिक शौच से पहले और फेफड़ों से चढ़ते हर खखार (हिन्दी में बलगम) के बाद, मोदी और सरकार को गरियाना अपना परम कर्तव्य बना लिया है।
डोकलाम में दोनों सेनाओं के पीछे हटने के बाद राहुल गाँधी वीडियो लेकर इसलिए आए, क्योंकि ये चीनी सेना के समर्थन में हैं। उन्होंने चीन की गोद में बैठकर भारत सरकार की असफलताओं पर 'चर्चा' की।
चार्जशीट के मुताबिक सफूरा भी पुलिस हेड कॉन्सटेबल रतन लाल की हत्या की उतनी ही जिम्मेदार है, जितनी कि दंगाइयों की भीड़। रतन लाल की हत्या में सफूरा का नाम मुख्य साजिशकर्ता में शामिल है।
ताहिर हुसैन ने इंसानों को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया। हुसैन ने खुद ही कबूला कि उसी ने मुस्लिम भीड़ को भड़काया था और चाँदबाग, खजूरी खास एवं अपने छत से हिंसा भड़काया था।
जब पुलिस विकास दुबे को पकड़ने में सफल नहीं हो पा रही थी तो लिबरलों ने कहा कि योगी सरकार ब्राह्मण अपराधियों को बचाना चाह रही है। लिबरलों ने नैरेटिव फैलाया कि छोटे अपराधियों का एनकाउंटर किया जाता है.......
कॉन्ग्रेस राज में ही चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा किया और अब चिल्ला भी वही रहे हैं। मगर अब लोग समझने लगे हैं। हमें अपनी सेना पर विश्वास रखना चाहिए और कॉन्ग्रेसियों के प्रपंच से बचना चाहिए।
इसका इतना बड़ा फर्क पड़ा कि अपनी सेना का गुणगान करने वाले चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स को बयान जारी करना पड़ गया कि यह गंभीर चिंता का विषय है। इसके लिए........