Friday, November 15, 2024
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फैक्ट चेक: स्क्रॉल ने 65 लाख टन अनाज बर्बाद होने का फैलाया फेक न्यूज़, PIB ने खोली झूठ की पोल

स्क्रॉल के एक लेख में दावा किया गया कि भारत ने जनवरी से मई 2020 तक 65 लाख टन अनाज बर्बाद कर दिया है। पीआईबी ने इसका फैक्ट चेक करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से गलत है। यह लेख बेबुनियाद है और इसमें तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया है।

लॉकडाउन के बीच कई मीडिया संस्थान सरकार का विरोध करने के लिए लगातार फेक न्यूज प्रसारित कर रहे है। ऐसे ही कई फर्ज़ी खबरों को प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) की फैक्ट चेक टीम बेनकाब कर रही है। पीआईबी फैक्ट चेक ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे द कारवां, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर और स्क्रॉल सहित कई अन्य मीडिया संस्थानों की फेक न्यूज का सच सबके सामने लाया है।

इन मीडिया संस्थानों ने अलग-अलग फेक न्यूज और वीडियों के माध्यम से सरकार की छवि खराब करने की लगातार कोशिश की है। रिपोर्टों का विश्वसनीयता से कोई सरोकार नहीं होता। वामपंथी वेबसाइट द स्क्रॉल ने एक बार फिर से इसी ट्रैक पर चलते हुए जनवरी से मई 2020 तक 65 लाख टन अनाज बर्बाद होने का झूठ फैलाया। हालाँकि, प्रोपेगेंडा पोर्टल की रिपोर्ट में परोसे गए झूठ की पोल खुद पीआईबी ने फैक्टचेक कर खोली है।

दरअसल, स्क्रॉल के एक लेख में दावा किया गया कि भारत ने जनवरी से मई 2020 तक 65 लाख टन अनाज बर्बाद कर दिया है। पीआईबी ने इसका फैक्ट चेक करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से गलत है। यह लेख बेबुनियाद है और इसमें तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया है। FCI द्वारा ट्रंजिट में स्टॉक भेजने को अन्न की बर्बादी के रूप में व्याख्या की गई है।

स्क्रॉल ने 3 जून, 2020 को एक लेख प्रकाशित किया, जिसका शीर्षक था: “India let 65 lakh tonnes of grain go to waste in four months, even as the poor went hungry” जिसमें यह दावा किया गया है कि कोरोना वायरस को लेकर लागू लॉकडाउन संकट के दौरान गरीबों और भूखों को खिलाने के लिए रखे गए अनाज के स्टॉक को सरकार उन्हें उपलब्ध कराने के बजाय गोदामों में रखकर सड़ा रही है। पीआईबी ने इसका फैक्ट चेक कर इनकी पोल खोल दी है।

गौरतलब है कि इससे पहले वामपंथी मीडिया पोर्टल स्क्रॉल ने ‘newsd’ नाम के यूट्यूब चैनल की एक वीडियो शेयर करते हुए दावा किया था कि बिहार के जहानाबाद में कुछ बच्चे खाना न मिलने के कारण लॉकडाउन में मेंढक खाने को मजबूर हैं। जिसके बाद वहाँ के जिलाधिकारी ने खुद इस दावे की जाँच की और इन अफवाहों का खंडन करके स्क्रॉल के प्रोपगेंडे को ध्वस्त कर किया।

बिहार सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग ने जानकारी साझा करते हुए कहा था कि वीडियो द्वारा किए गए दावों की जाँच करने पर, यह पाया गया कि बच्चों के घरों में पर्याप्त भोजन इकट्ठा था और इनमें से किसी के पास मेंढक पकड़ने या खाने का कोई कारण नहीं था। उन्होंने कहा कि इस वीडियो को कुछ लोगों ने जिला प्रशासन की छवि धूमिल करने के लिहाज से बनाया था।

इस स्पष्टीकरण के बाद पीआईबी फैक्ट चेक की टीम ने भी स्क्रॉल द्वारा शेयर की गई वीडियो को फर्जी और असत्यापित बताया। इसके अलावा बिना तथ्यों की जाँच परख के निराधार दावे करने पर पीआईबी ने लिखा, “स्क्रॉल- एक प्रमुख मीडिया चैनल ने जहानाबाद में बच्चों के मेंढक खाने को लेकर झूठा दावा किया कि उनके पास खाने को कुछ नहीं है। इसके बाद वीडियो वायरल हुआ। मगर डीएम जहानाबाद की जाँच में ये दावा झूठा पाया गया और ये भी पता चला कि इन बच्चों के घरों में खाने को पर्याप्त सामग्री थी।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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