वामपंथी समाचर पोर्टल ‘द वायर’ ने हाल ही में सरकार के द्वारा बनाए गए नए आईटी नियमों को लेकर एक खबर छापी थी। इस खबर में कहा गया था कि एमआईबी ने आईटी नियमों के तहत स्व-नियामक निकाय के लिए एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया है। अब इस पर सरकार की ओर से सफाई आई है। पीआईबी ने द वायर के इस दावे को गलत बताया है।
The Wire: A retired judge appointed from a panel prepared by @MIB_India will head the self-regulatory body under IT Rules#PIBFactCheck: Fake!
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) March 3, 2021
The body would be constituted by publishers & not MIB or a panel by MIB. It can be headed by a retired SC/HC judge or an eminent person pic.twitter.com/fb2HRlJFs5
द वायर की खबर पर पीआईबी की फैक्ट चेक विंग ने ट्वीट कर इस दावे को फर्जी बताया है। उनका कहना है कि इस निकाय का गठन पब्लिशर्स द्वारा किया जाएगा। इसे ना तो एमआईबी और ना ही एमआईबी द्वारा बनाए गए पैनल से गठित किया जा सकता है। इसका नेतृत्व सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट / हाईकोर्ट का न्यायाधीश या एक प्रतिष्ठित व्यक्ति कर सकता है। पीआईबी ने द वायर की खबर का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया है।
पहले भी वायर का रहा है फेक न्यूज़ फैलाने का लम्बा इतिहास:
गौरतलब है कि बीते दिनों खराब वेंटिलेटर्स को लेकर अहमदाबाद चर्चा का विषय रहा था। इसके बाद ‘द वायर’ की पत्रकार रोहिणी सिंह ने इस मामले पर एक रिपोर्ट लिखी। रिपोर्ट का लब्बोलुआब ये था कि खराब वेंटिलेटर बनाने वाली कंपनी के प्रमोटर भाजपा नेताओं के करीबी हैं।
रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया था कि गुजरात सरकार ने जिस कंपनी द्वारा ‘दस दिनों’ में कोविड मरीज़ों के लिए वेंटिलेटर्स बनाने का दावा किया था, उसके राज्य के डॉक्टरों ने मानकों पर खरा न उतरने की बात कही है। यह भी दावा किया गया था कि इस कंपनी के प्रमोटर्स उसी उद्योगपति परिवार से जुड़े हैं, जिन्होंने साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनका नाम लिखा सूट तोहफ़े में दिया था।
रिपोर्ट के संज्ञान में आने के बाद पीआईबी ने फैक्ट चेक किया। पीआईबी ने पत्रकार रोहिणी सिंह के इस दावे को खारिज किया था कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल में खराब पाए गए वेंटिलेटर घटिया और खरीदे गए थे। पीआईबी ने बताया कि गुजरात सरकार के अनुसार, जिन वेंटिलेटर्स को खराब बताया गया, वो खरीदे नहीं गए थे। असल में ये दान में दिए गए थे, जो आवश्यक चिकित्सा मानकों पर खरे उतरते थे।
वहीं द वायर ने झूठ फैलाया था कि कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ने के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के पास दर्ज शिकायतों में 8 गुना वृद्धि देखी गई। प्रोपेगेंडा पोर्टल की रिपोर्ट में परोसे गए झूठ की पोल खुद पीआईबी ने फैक्ट चेक कर खोल दी थी। पीआईबी फैक्ट चेक की ट्वीट में कहा गया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने शिकायत में 8 गुना वृद्धि को स्पष्ट रूप से नकार दिया था।