केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार (फरवरी 04, 2021) को ‘COVID-19 वैक्सीन से 19 स्वास्थ्यकर्मियों की मृत्यु’ की बात को एकदम निराधार नैरेटिव बताया है। सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कोरोना वैक्सीन लगने और स्वास्थ्यकर्मियों की मौत के बीच सम्बन्ध बैठाती हो, ऐसी कोई भी लिंक नहीं मिलती और जो भी मौत हुई हैं उनका जो भी विवरण होगा, विशेषज्ञों द्वारा विचार-विमर्श के बाद सार्वजनिक किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 16 जनवरी को राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान शुरू किया गया था, जिसमें तीन करोड़ से अधिक स्वास्थ्य देखभाल और फ्रंटलाइन वर्कर्स को शुरू में प्राथमिकता दी गई। इसके बाद ही कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि इन स्वास्थ्यकर्मियों की मौत वैक्सीन लगने के कारण हुई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक सवाल के जवाब में, स्वास्थ्य मंत्रालय में सचिव राजेश भूषण ने कहा कि भारत में टीकाकरण की निगरानी के बाद प्रतिकूल घटनाओं के लिए एक बहुत ही सशक्त और मजबूत प्रणाली (AEFI) है और 19 लोगों की मृत्यु के कारण के बारे में जानकारी जल्द ही सार्वजानिक की जाएगी।
निति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा कि अभी तक टीकों को किसी भी मौत के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। पॉल ने कहा, “यह निर्धारित किया जाता है कि ये टीके सुरक्षित हैं। 45 लाख दवा देने के बाद, कुछ समय में कम से कम दुष्प्रभाव होते हैं, जैसे 1,150 व्यक्तियों में से एक व्यक्ति में साइड इफेक्ट मिला है और किसी वैक्सीन के कारण कोई भी मौत नहीं हुई है। यह साबित करता है कि ये टीके बेहद सुरक्षित हैं।”
टीकाकरण से होने वाली मौतों के बारे में विस्तार से बताते हुए, स्वास्थ्य मंत्रालय में सचिव राजेश भूषण ने कहा कि राज्य एईएफआई समितियों ने सभी 19 मौतों पर विचार-विमर्श किया है और इसके पीछे वैक्सीन का प्रभाव होने का कोई सबूत नहीं है, लेकिन एक बार जब राष्ट्रीय एईएफआई समिति की बैठक और विचार-विमर्श होगा, तो स्पष्ट हो जाएगा।
उन्होंने कहा, “टीका लेने वाले 19 लोगों की मौतें हुई हैं। इन सभी मौतों का पोस्टमार्टम तीन डॉक्टरों के एक बोर्ड द्वारा किया गया। राज्य की AEFI समितियों ने इन सभी मामलों पर विचार-विमर्श किया है। इनकी मौत टीकाकरण के कारण हुई हो, इसका कोई सबूत नहीं है। राष्ट्रीय AEFI समिति इस पर विचार और विमर्श कर रही है और सार्वजनिक डोमेन पर साझा किया जाएगा।