बीते दिनों केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की बेटी का नाम ‘गोवा बार विवाद’ में खींचकर कॉन्ग्रेस ने एक बार फिर अपने स्तर को गिराया। 18 साल की जोइश ईरानी पर कॉन्ग्रेस ने सार्वजनिक तौर पर हमला किया। बिन किसी सबूत के उनका चरित्र हनन हुआ। उन्हें ‘बार वाली’ कहा गया जबकि उनकी माँ के लिए बोला गया कि वह हमेशा गाँधी परिवार पर बोलती हैं लेकिन उनकी खुद की बेटी बार चलाती है।
ये दावे किन आधार पर कॉन्ग्रेस ने किए ये शायद कॉन्ग्रेस को भी नहीं पता। उन्होंने जोइश को बदनाम करने के लिए इतनी उत्सुकता दिखाई कि वो भूल गए आरोप लगाने से पहले भी तथ्यों की पुष्टि की जानी चाहिए।
कॉन्ग्रेस मीडिया में दो-चार कागजों और वीडियो के साथ आई। फिर अपने ओछे और घटिया शब्दों के साथ जोइश पर निशाना साधना शुरू किया। जोइश पर लगाए जाने वाले इल्जाम एक RTI पर आधारित थे। ये आरटीआई गोवा के ‘आयर्स रॉड्रिक्स’ नाम के कार्यकर्ता ने डाली थी। रॉड्रिक्स वही हैं जिनपर 2017 में एक महिला ने यौन शोषण तक के आरोप लगाए थे।
आयर्स ने ही अपनी आरटीआई के नाम पर गोवा के सिली सोल्स कैफे एंड बार पर झूठ फैलाना शुरू किया। उसने दावा किया कि रेस्टोरेंट को फर्जी ढंग से लाइसेंस मिला जो कि ईरानी परिवार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का सबूत है। उसने ये भी बताया कि एक्साइज विभाग रेस्टोरेंट को नोटिस भेज चुका है। उसके दावे के मुताबिक रेस्टोरेंट में फर्जी कागज देकर शराब का लाइसेंस लिया गया।
24 जुलाई को लिखे नोट में उसने कहा कि रेस्टोरेंट को शराब का लाइसेंस एक ऐसे व्यक्ति के नाम पर मिला जो अब इस दुनिया में भी नहीं है। इसके बाद उसने कहा कि गोवा में स्मृति ईरानी और अन्य केंद्र के नेताओं द्वारा खरीदी गई ‘बेनामी’ संपत्ति की जाँच होनी चाहिए ताकि सच सामने आए।
अब यहाँ गौर रहे कि आयर्स के सारे दावों में कहीं भी जोइश का नाम नहीं था। मगर फिर भी उसने जोइश की तस्वीर आगे बढ़ाई।
25 जुलाई तक वह अगला पोस्ट करके इस बात पर रोने लगा कि पहले कॉन्ग्रेस उसे निशाना बनाती थी और अब भाजपा वालों का खुलासा करने पर भी यही हो रहा है।
द वायर का आर्टिकल
जोइश ईरानी पर कॉन्ग्रेस के हमलों का कनेक्शन द वायर से भी है। 21 जुलाई को द वायर ने ही कुणाल विजयकर नाम के यूट्यूबर की वीडियो को आधार बनाकर दिखाया था कि कैसे जोइश का कनेक्शन बार से है और वो कह रही हैं कि काश ‘सिली सोल्स’ गोवा का फूड डेस्टिनेशन बन जाए।
कॉन्ग्रेस ने इसी वीडियो को अपना झूठ सच बनाने के लिए प्रयोग किया, जबकि जोइश के वकील ने कहा कि उनकी मुअक्किल बार चलाती नहीं बल्कि केवल उसमें इंटर्न हैं। सिली सोल्स की तरह उन्होंने 4 अन्य कैफों में भी इंटर्न की है।
रही बात कैफे की, तो मौजूद जानकारी यही कहती है कि ये कैफे वैध है। जुबिन ईरानी ने इसे अपने साथी एंथनी डगामा के साथ मिल शुरू किया था। लेकिन डगामा का देहांत 2021 में हो गया। अब उसका स्वामित्व उनके बेटे के पास है और शराब का लाइसेंस पाने के लिए जिन ‘फर्जी दस्तावेजों’ को पेश करनी की बात हुई, वो भी उन्हीं से जुड़े हैं।
इस पूरे मामले में देख सकते हैं कि कॉन्ग्रेस ने जोइश पर आरोप मढ़ते समय ये बात नकारी कि जुबिन ईरानी खुद एक बिजनेसमैन हैं और उन्होंने बिन किसी राजनैतिक हस्तक्षेप या पब्लिक फंड के इसे शुरू किया। कॉन्ग्रेस ने बस ईरानी नाम देखा, कैफे के बार जोइश की तस्वीर देखी, कुछ एडिटिड तस्वीरें उठाई और मीडिया में आकर स्मृति ईरानी की बेटी को बदनाम कर दिया।
कॉन्ग्रेस स्मृति ईरानी और जोइश ईरानी की जिन तस्वीरों के आधार पर झूठ फैला रही है वो तस्वीरें एडिट की गई हैं। एक तस्वीर में देख सकते हैं कि कॉन्ग्रेस ने माँ-बेटी को बार के बाहर दिखाया है जबकि 2019 में किया गया पोस्ट बताता है कि ये तस्वीर कहीं घर की है। कॉन्ग्रेस ने सिर्फ झूठ गढ़ने के लिए इसका प्रयोग किया।
नोट: मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई इस रिपोर्ट को विस्तार से पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।