Tuesday, March 19, 2024
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₹4000 करोड़ के घोटाले में गिरफ्तार हुए पूर्व मंत्री और विधायक BJP के? कॉन्ग्रेस छोड़ पकड़ा था भाजपा को? – फैक्ट चेक

1. रौशन बेग ने कॉन्ग्रेस छोड़ कर भाजपा जॉइन कर ली थी। 2. गिरफ़्तारी से बचने के लिए ही भाजपा में शामिल हुए थे। 3. 'भाजपा नेता' कहने की बजाए 'पूर्व कॉन्ग्रेस विधायक' क्यों कहा जा रहा है? - अरेस्ट हुए रौशन बेग को लेकर फैलाए जा रहे झूठ...

CBI ने कर्नाटक के पूर्व मंत्री रौशन बेग को 4000 करोड़ रुपए के IMA स्कैम से जुड़े मामले में रविवार (नवंबर 22, 2020) को गिरफ्तार कर लिया। वो राज्य में कॉन्ग्रेस का सबसे बड़ा मुस्लिम चेहरा हुआ करते थे। सीबीआई ने पहले उन्हें समन किया और फिर सबूतों के आधार पर गिरफ्तार कर लिया। अब सोशल मीडिया में एक दुष्प्रचार फैलाया जा रहा है कि वो अब भाजपा के नेता हैं और कॉन्ग्रेस छोड़ कर वो भाजपा में आ गए थे।

उन्हें मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने उनका कोरोना मेडिकल टेस्ट किया गया। उन्हें कोर्ट ने जुडिशल कस्टडी में भेज दिया, जिसके बाद उन्हें पराप्पना अग्रहारा स्थित बेंगलुरु सेन्ट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया। उन्हें शाम के 7:45 बजे जेल के क्वारंटाइन सेंटर में भर्ती कराया गया। 14 दिनों बाद उन्हें रेगुलर बैरक में डाल दिया जाएगा। जुलाई 2019 में राज्य सरकार द्वारा गठित SIT ने उनसे पहली बार पूछताछ की थी, जिसके बाद ये मामला CBI के पास चला गया।

IMA के संस्थापक और एमडी मंसूर खान के बयानों के बाद इस मामले में रौशन बेग के शामिल होने के पक्के सबूत मिले थे और ये बह पता चला था कि उन्हें IMA से किकबैक भी मिले थे। तब फरार चल रहे मंसूर खान ने एक ऑडियो क्लिप जारी कर रौशन बेग को ही IMA प्रोजेक्ट के फेल होने के लिए जिम्मेदार ठहराया था। बाद में उसने SIT के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। जबकि रौशन बेग ने इसे मंसूर खान की साजिश बता दिया था।

रौशन बेग राजधानी बेंगलुरु के शिवजी नगर विधानसभा क्षेत्र से चुन कर आते रहे हैं। वो पहली बार 1985 में और दूसरी बार 1994 में जनता पार्टी के टिकट पर विधायक बने थे। इसके बाद उन्होंने कॉन्ग्रेस पार्टी के टिकट पर 2008, 13 और 18 का विधानसभा चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाई। जुलाई 2019 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। तब राज्य में कॉन्ग्रेस-जेडीएस की सरकार चल रही थी। उससे पहले उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में कॉन्ग्रेस ने निलंबित कर दिया था

रौशन बेग के भाजपा में होने को लेकर खूब फैलाया गया झूठ

पत्रकार अरविन्द गुनसेकर ने ट्वीट किया है कि रौशन बेग ने 2019 में कॉन्ग्रेस छोड़ कर भाजपा जॉइन कर ली थी। इसी तरह से पत्रकार डीपी सतीश ने भी यही झूठ फैलाया। एक ट्विटर यूजर ने तो यहाँ तक लिख दिया कि वो IMA स्कैम मामले में गिरफ़्तारी से बचने के लिए ही भाजपा में शामिल हुए थे। कुछ लोगों ने तो यहाँ तक आवाज़ उठाई कि उन्हें खबरों में ‘भाजपा नेता’ कहने की बजाए ‘पूर्व कॉन्ग्रेस विधायक’ क्यों कहा जा रहा है?

सच्चाई जानने से पहले ये समझना ज़रूरी है कि कॉन्ग्रेस ने रौशन बेग को इसीलिए निलंबित नहीं किया था, क्योंकि उनका नाम IMA स्कैम में आया था। उन्हें राजनीतिक कारणों से निलंबित किया गया था। उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव में करारी हार के लिए पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को जिम्मेदार ठहराया था और लगातार बड़े कॉन्ग्रेस नेताओं की आलोचना की थी। हाँ, उन्होंने भाजपा में शामिल होने की कोशिश ज़रूर की थी।

नवंबर 2019 में खबर आई थी कि रौशन बेग ने भाजपा में शामिल होने के लिए खूब हाथ-पाँव मारे लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर पार्टी ने उन्हें नहीं लिया। तब कर्नाटक के कुल 16 बर्खास्त विधायकों ने भाजपा का दामन थामा था और रौशन बेग उनमें अकेले थे, जिन्हें पार्टी ने एंट्री नहीं दी थी। भाजपा ने स्पष्ट कहा था कि वो रौशन बेग को पार्टी में नहीं चाहती। आलाकमान ने भी उनकी एंट्री बैन कर दी थी।

बावजूद इसके तीन बार कॉन्ग्रेस से विधायक बनने वाले और पार्टी की सरकार में मंत्री बनने वाले और हज समिति के अध्यक्ष के नाते पूरे राज्य में पार्टी का मुस्लिम चेहरा बनाए जाने वाले रौशन बेग को भाजपा से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने सिनेमा के एक बड़े संगठन में भी स्थायी सदस्यता प्राप्त की और कई बड़े मंत्रालय संभाले। ये सब कॉन्ग्रेस राज में हुआ। भाजपा से उनका कभी कोई नाता रहा ही नहीं। इसीलिए उनके भाजपा में जाने वाली बातें झूठ हैं।

IMA ‘हलाल’ पोंजी घोटाले में आरोपित व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विजय शंकर ने बेंगलुरु के अपने आवास पर जून 23, 2020 को आत्महत्या कर ली थी। SIT ने विजय शंकर को पिछले साल ₹1.5 करोड की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। इस स्कैम कारण 40,000 से ज्यादा लोगों का नुकसान हुआ। लोगों को ज्यादा रिटर्न का लालच देकर फँसाया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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