सोशल मीडिया पर एक महिला की तस्वीर को इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि उन्होंने इस्लाम सिर्फ इसलिए अपनाया क्योंकि हिंदू गौ मूत्र पीते हैं और दलितों के साथ भेदभाव करते हैं। यह खबर votegiri.com नाम की वेबसाइट द्वारा शेयर की गई थी। इस आर्टिकल का शीर्षक (गलत हिंदी के साथ) है, “गाय का मूत्र पी सकते है लेकिन दलित के हाथ से पानी नहीं, इसीलिए मेने हिन्दू धर्म छोड़ इस्लाम कुबूला।”
क्या है मामला?
votegiri.com वेबसाइट पर इस आर्टिकल में दावा किया गया है कि इस्लाम अपनाने के बाद महिला ने अपना नाम मरियम रख लिया। आर्टिकल में महिला के हवाले से यह भी कहा गया है कि इस्लाम महिलाओं के लिए सबसे बेहतर धर्म है। आर्टिकल में बताया गया है कि हिन्दू से इस्लाम अपनाने वाली इस महिला ने कहा –
“मैंने इस्लाम को करीब से जानने की कोशिश की तो पाया कि इस्लाम पूरी दुनिया का सबसे अच्छा मजहब है। इस्लाम अमन शांति का मजहब है। इस्लाम में महिलाओं को सबसे ज्यादा हक दिए गए हैं।”
इस वेबसाइट पर खबर के साथ यह भी दावा किया गया है- “इस्लाम में न किसी को सताया जाता है और न ही किसी को मारा जाता है, बल्कि इस्लाम मज़हब शांति का मज़हब है और इसीलिए जो इसको क़ुबूल करता है वो इसकी कभी बुराई नहीं बल्कि अच्छे ही करता है।”
यह आर्टिकल सोशल मीडिया पर यूजर्स द्वारा बड़े स्तर पर शेयर किया जा रहा है।
क्या है सच्चाई?
वास्तव में, votegiri.com ने जिस महिला की तस्वीर के साथ यह खबर लिखी है वह असल में जया भंडारी की है। जया के पति और ससुराल वालों ने जबरन उनसे इस्लाम कबूलवाया था, जिसके बाद उन्होंने राँची पुलिस से शिकायत की थी। यह ममाला जनवरी, 2015 का है।
जनवरी, 2015 को हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित इस रिपोर्ट में जया भंडारी को पुलिस अफसर के साथ बैठे देखा जा सकता है। (रिपोर्ट इस लिंक पर पढ़ें)
इस रिपोर्ट में महिला का नाम जया भंडारी बताया गया है, जो तलाकशुदा हैं। जया ने अपने दूसरे पति वकार दानिश अनवर और उनके परिवार द्वारा मारपीट करने और जबरन धर्मांतरण करवाने के बाद FIR दर्ज की थी। रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें बीफ खाने के लिए भी मजबूर किया गया था।
निष्कर्ष
हिंदुत्व और गौ-मूत्र के नाम से हिन्दू धर्म छोड़कर इस्लाम अपनाने का दावा करने वाली यह खबर फर्जी है। जिसकी सच्चाई यह है कि जनवरी, 2015 में जया भंडारी नाम की एक महिला को जबरन इस्लाम कबूल करवाकर उसे बीफ खाने के लिए मजबूर किया गया था। स्पष्ट है कि जया भंडारी की ही एक पुरानी तस्वीर के जरिए यह भ्रम फर्जी खबर के रूप में फैलाया जा रहा है।