Monday, November 18, 2024
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दरिंदों को बचाने के लिए पगलाया NewsLaundry, कंगना और निर्भया की माँ को कहा भला-बुरा

बलात्कारियों के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए, दरिंदों का बचाव करते हुए और हत्यारों के पक्ष में बोलते हुए न्यूज़लॉन्ड्री लिखता है कि निर्भया की माँ उसी तरीके से बदला लेना चाहती हैं, जैसा उनकी बेटी के साथ हुआ। प्रोपेगेंडा पोर्टल लिखता है कि मौत की सज़ा हटा दी जानी चाहिए, क्योंकि निर्भया की माँ का मन नहीं बदला जा सकता।

क्या आप चाहते हैं कि बलात्कारी दरिंदों के गुनाह माफ कर दिए जाएँ? निर्भया के गुनहगारों के लिए फाँसी आपको बदला लगता है? जो लोग बलात्कारियों से सहानुभूति दिखाने की बात करते हैं, उन्हें माफ करने की वकालत करते हैं, उनकी बातों पर चुप्पी साध ली जाए? ये सवाल इसलिए मौजूॅं हैं क्योंकि वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल न्यूजलॉन्ड्री यही चाहता है। वह चाहता है कि वामपंथी गैंग का जो विरोध करे उनके मुॅंह पर टेप चिपका दिया जाए।

प्रोपेगेंडा पोर्टल के एक लेख में अभिनेत्री कंगना रनौत के लिए ‘वर्बल डायरिया’, ‘महिलाओं से घृणा करने वाली’ और ‘पागलों की रानी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। यह लेख लिखा भी एक महिला ने है। नाम है राज्यश्री। क्या कंगना रनौत इसलिए महिला विरोधी क्योंकि उन्होंने बलात्कारियों का बचाव करने वालों का विरोध किया? तो फिर बलात्कारियों का बचाव करने वाले क्या हैं? समाज सुधारक?

न्यूज़लॉन्ड्री लिखता है कि कंगना ने ‘ख़ामोशी स्वर्णिम है’ कहावत नहीं सुनी है। लेकिन, न्यूज़लॉन्ड्री ने तो सुन रखी है न? अगर किसी ने इस कहावत को सुन-समझ कर भी ‘इंटेलेक्चुअल प्रदूषण’ फैलाने की हदें पार कर दी हों तो वो तो उससे भी बदतर है, जिसने नहीं सुनी है ये कहावत। लेकिन, फिर बात यही आती है कि कंगना रनौत चुप क्यों रहे? एक महिला को, अपने दम पर हिमाचल की वादियों से निकल कर मुंबई के मायानगरी में झंडा गाड़ने वाली अभिनेत्री को अपनी बात रखने से रोका क्यों जा रहा है?

दरअसल, न्यूज़लॉन्ड्री कंगना रनौत के एक बयान से खफा है। वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने निर्भया की माँ आशा देवी से कहा कि वो निर्भया के बलात्कारियों को माफ़ कर दें। ये कैसा प्रोपेगेंडा है? यहाँ बलात्कारियों की माफ़ी का विरोध करने वाली को महिला-विरोधी कहा जाता है और बलात्कारियों का बचाव करने वालों को पूजा जाता है? क्या वामपंथ की परिभाषा में बलात्कारियों और हत्यारों का समर्थन करना महिलाधिकार के तहत आता है?

न्यूज़लॉन्ड्री की नाराज़गी: कंगना बलात्कारियों के विरोध में क्यों हैं?

इंदिरा जयसिंह ने निर्भया की माँ को सोनिया गाँधी से सीखने की सलाह दी थी। उनका कहना था कि जिस तरह सोनिया ने राजीव के हत्यारों को माफ़ किया, उसी तरह निर्भया की माँ भी करें। सबसे पहली बात तो ये कि उस घटना में राजीव गाँधी समेत 15 लोगों की मौत हुई थी और 45 लोग घायल हुए थे। सोनिया गाँधी कौन होती हैं 60 पीड़ित परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाली? क्या उन सभी ने दोषियों की माफ़ी की अर्जी दी है?

इंदिरा जयसिंह के बयान का कंगना रनौत ने अच्छा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि बलात्कारियों के प्रति सहानुभूति रखने वाली इंदिरा जयसिंह को भी उन्हीं दरिंदों के साथ 4 दिन जेल में रखा जाना चाहिए, उन्हें अपने बयान का मतलब समझ में आ जाएगा। बेबाक बॉलीवुड की ‘Queen’ ने कहा कि इंदिरा जयसिंह जैसी औरतों के कोख से ही बलात्कारी पैदा होते हैं। कंगना रनौत के बयान का निर्भया की माँ आशा देवी ने भी समर्थन किया। उन्होंने कहा कि वो कंगना की बयान से सहमत हैं और उनका धन्यवाद करती हैं। बकौल आशा देवी, वो ‘महान’ नहीं बनना चाहतीं और 7 साल पहले उनकी बेटी के साथ जो हुआ, उसके लिए न्याय चाहती हैं।

लेकिन, न्यूज़लॉन्ड्री की नज़र में ये ‘न्याय’ नहीं बल्कि ‘बदला’ है। बलात्कारियों के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए, दरिंदों का बचाव करते हुए और हत्यारों के पक्ष में बोलते हुए न्यूज़लॉन्ड्री लिखता है कि निर्भया की माँ उसी तरीके से बदला लेना चाहती हैं, जैसा उनकी बेटी के साथ हुआ। प्रोपेगेंडा पोर्टल लिखता है कि मौत की सज़ा हटा दी जानी चाहिए, क्योंकि निर्भया की माँ का मन नहीं बदला जा सकता।

ऐसा लगता है कि एक जघन्यतम अपराध को अंजाम देने वाले दरिंदों के बचाव में पूरा का पूरा गिरोह विशेष सक्रिय हो उठा है। एक सेल्फ-मेड अभिनेत्री को भला-बुरा इसीलिए कहा जा रहा है, क्योंकि वो पीड़ित परिवार के साथ खड़ी हैं, निर्भया की माँ के दर्द को समझती हैं और बलात्कारियों का विरोध करती हैं। ये अजीब विडम्बना है कि बलात्कारियों का बचाव करने वाले कैंडल लेकर उतर जाएँ तो वो आधुनिकता के प्रतीक बन जाते हैं और जो बलात्कारियों को सज़ा देने की माँग करे, उन्हें ‘महिला विरोधी’ ठहराया जाता है। स्पष्ट बात है, निर्भया की माँ को इन वामपंथियों की सलाह, उपदेश और प्रवचन नहीं चाहिए।

कंगना रनौत से गुस्से का दूसरा कारण क्या है? न्यूज़लॉन्ड्री के इसी लेख से हमें वामपंथियों के मन की बात पता चलती है। हाल ही में सैफ अली ख़ान ने कहा था कि ब्रिटिश के आने से पहले ‘इंडिया’ का कोई कांसेप्ट नहीं था। कंगना ने इसका जवाब दिया और पूछा कि अगर ऐसा था कि हज़ारों वर्ष पहले हुए युद्ध का नाम ‘महाभारत’ क्यों है? उस ग्रन्थ को वेद व्यास ने लिखा और उसमें भारत के सभी राजाओं का जिक्र क्या है? यहाँ वामपंथी गैंग एक बार फिर से सैफ अली ख़ान के बयान और अँग्रेजों के पक्ष में खड़ा हो जाता है। आधे लेख में बलात्कारियों के बचाव में तर्क दे रहा न्यूज़लॉन्ड्री अब अँग्रेजों के पक्ष में खड़ा हो जाता है।

महाभारत में कई बार ‘इतिहास’ शब्द का जिक्र है। लेकिन, उलटा राज्यश्री कंगना को सलाह देती हैं कि वो ‘इतिहास’ और ‘मिथक’ के बीच का अंतर समझें। हमारी सलाह है कि न्यूज़लॉन्ड्री वाले ‘महाभारत’ पढ़ें। महाभारत को ‘मिथक’ बता कर कंगना को चुप रहने की सलाह देना उनकी असहिष्णुता को दिखाता है। वो हर उस व्यक्ति को चुप कराना चाहते हैं, जो उनके विरोधी विचारधारा का हो। कंगना बलात्कारियों का बचाव करे, कंगना महाभारत को झूठ कहे और कंगना अँग्रेजों के पक्ष में बोले- उनकी यही तीन चाहत है। अगर वो ऐसा नहीं करती हैं तो उन्हें ‘पागल’ घोषित कर दिया जाएगा। ये जलन की पराकाष्ठा है।

इसका कारण क्या है? इसका कारण ये है कि किसी भी मुद्दे पर बेधड़क राय रखने वाली कंगना रनौत के मुक़ाबले वामपंथी गैंग को कोई अभिनेत्री ऐसी मिल ही नहीं रही है, जिसे मुद्दों की समझ हो और जो वास्तविकता से अनभिज्ञ न हो। वामपंथी गैंग की तरफ़ से बोलने वालों को सीएए और एनआरसी के बीच का अंतर नहीं पता, राज्य और केंद्रशासित प्रदेश की परिभाषा नहीं मालूम और यहाँ तक कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच के फर्क का भी कोई अंदाज़ा नहीं। इसीलिए, वो बिलबिलाए हुए हैं। वो बलात्कारियों का बचाव कर रहे हैं, अँग्रेजों के पाँव पूज रहे हैं और हिन्दू धर्म-ग्रंथों को अपमानित कर रहे हैं।

कंगना रनौत बोलेंगी। वो झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई का किरदार भी अदा करेंगी और एक आधुनिक महिला के रोल को भी परदे पर बखूबी उतारेंगी। वो भारत की मौजूदा दौर की सबसे लोकप्रिय और ज़्यादा कमाने वाली अभिनेत्रियों में से एक हैं और यही बात न्यूज़लॉन्ड्री को अखरती है। वामपंथी गैंग का सीना चीर कर जो कोई आगे बढ़े, उन्हें ये अपने हिसाब से घटिया विशेषण दागते रहेंगे। कंगना रनौत का एक-एक शब्द इन वामपंथी पोर्टलों पर बिजली की भाँति गिरता रहेगा। एक महिला को चुप कराने का उनका प्रयास कभी सफल नहीं हो पाएगा।

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अनुपम कुमार सिंह
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