असम में कॉन्ग्रेस के गठबंधन में मौलाना बदरुद्दीन अजमल इस विधानसभा चुनाव में ‘किंगमेकर’ बन कर उभरने के ख्वाब देख रहे हैं। अब उन्होंने जनसंख्या बढ़ने व इसके नियंत्रण को लेकर अपनी ‘महत्वपूर्ण’ राय दी है। उन्होंने कहा कि इसका एक ही समाधान है और वो है ‘तालीम’ अर्थात शिक्षा, क्योंकि जब वो पढ़-लिख लेंगे तो खुद अपने अच्छे-बुरे को समझेंगे। अजमल ने कहा कि गरीबी बहुत बड़ी समस्या है और इसे दूर किए बिना जनसंख्या नियंत्रण नहीं हो पाएगा।
बदरुद्दीन अजमल ने पूछा कि गरीबों को उनके मनोरंजन के लिए क्या दिया गया है? उन्होंने कहा कि इन गरीबों के पास देखने के लिए टेलीविजन नहीं है, रहने के लिए घर नहीं है और हवा के लिए पंखा नहीं है। उन्होंने कहा, “करंट नहीं है। बिजली नहीं है। अब इंसान हैं वो भी। गरीब जब रात को उठेगा। मियाँ-बीवी हैं। दोनों जवान हैं। तो फिर रात को क्या करेंगे? वो बच्चे ही तो पैदा करेंगे।” अजमल ने ‘लल्लनटॉप’ से बात करते हुए ये सब कहा।
As per Madarasa logic “If they don’t have television then they will breed like animals” 🤷♀️pic.twitter.com/dPaQWBZa3A
— Pooja Singh 🇮🇳 (@ThePoojaSingh1) April 2, 2021
ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ बदरुद्दीन अजमल की ही सोच है। वो तो भला सांसद हैं। यूपीए काल में भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी ऐसा ही सोचते थे। अगस्त 2009 में खबर आई थी कि भारत के तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद मानते हैं कि देर रात तक टीवी देखना जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक अच्छा उपाय है। उन्होंने गाँवों में बिजली पहुँचाने के परिप्रेक्ष्य में ऐसा कहा था। उन्होंने कहा था, “जब बिजली ही नहीं है, फिर बच्चे पैदा करने के सिवा करने को और कुछ है ही क्या?”
उन्होंने कहा था कि जब गाँवों तक बिजली पहुँचेगी तो लोग देर रात तक टीवी देखेंगे और सो जाएँगे, जिसके बाद उनके पास बच्चे पैदा करने का मौका ही नहीं होगा। ये उस देश के मंत्री का बयान था, जिसके बारे में अनुमान लगाया गया है कि कुछ वर्षों बाद वहाँ चीन से ज्यादा जनसंख्या होगी, दुनिया में सबसे ज्यादा। 70 के दशक में संजय गाँधी जबरिया फैमिली प्लानिंग योजना लेकर आए थे। कई अविवाहित और गरीबों की तब पकड़-पकड़ के नसबंदी कर दी गई थी।