सियासत में बयानों की टाइमिंंग के अपने मायने होते हैं। पोस्टर भी पर्दे के पीछे चल रहे घटनाक्रमों का संदेश देते हैं। इस कसौटी पर कॉन्ग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के हालिया बयानों और भिंड में लगे एक पोस्टर को कसे तो भविष्य की राजनीति के कई संकेत नजर आते हैं।
इनसे सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि क्या ज्योतिरादित्य कॉन्ग्रेस छोड़ने वाले हैं? क्या वे उस भाजपा में शामिल होंगे जिसमें उनकी दादी विजयाराजे सिंधिया रही और जिसके साथ आज भी उनकी बुआ राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मध्य प्रदेश की पूर्व मंत्री यशोधरा राजे जुड़ी हैं? उनकी दादी तो बीजेपी के संस्थापकों में शामिल थीं। हालॉंकि ज्योतिरादित्य को जब सियासी पारी शुरू करने का मौका मिला तो उन्होंने दादी की पार्टी की बजाए पिता माधवराव सिंधिया की विरासत को कॉन्ग्रेस में रहकर आगे बढ़ाने का फैसला किया।
लेकिन, कहते हैं राजनीति में कुछ भी अंतिम नहीं होता। संभावनाओं का द्वार हमेशा खुला रहता है। शायद यही कारण है कि मध्य प्रदेश के भिंड में लगे एक पोस्टर में वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ नजर आते हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यह पोस्टर भाजपा कार्यकर्ता और भारत रक्षा मंच के संयोजक हृदयेश शर्मा की ओर से लगाया गया है। हाल में ज्योतिरादित्य ने जिस तरह प्रदेश की कॉन्ग्रेस सरकार को कई मौकों पर घेरा है उससे भी उनके पार्टी बदलने के कयासों को बल मिलता है। यह दूसरी बात है कि अब तक वे ऐसे कयासों को खारिज करते रहे हैं।
पिछले दिनों ज्योतिरादित्य भिंड के अटेर में बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात करने पहुँचे थे। यहाँ उन्होंने बाढ़ पीड़ितों की तत्काल सहायता करने को लेकर कमलनाथ सरकार को जमकर घेरा और साथ ही नसीहत भी दी।
Madhya Pradesh: Poster of Congress leader Jyotiraditya Scindia along with Prime Minister Narendra Modi and Home Minister Amit Shah, put up in Bhind. The poster was put up by BJP Bhind District Coordinator after Scindia’s support for abrogation of Article370. pic.twitter.com/gyr2cjjpgY
— ANI (@ANI) October 11, 2019
इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के निष्क्रिय होने पर पार्टी लाइन से अलग जाकर इसका समर्थन किया था। अभी हाल में कर्जमाफी को लेकर कमलनाथ सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि 2 लाख रुपए के कर्जमाफी का वादा किया गया था, लेकिन अभी तक सिर्फ 50 हजार रुपयों की ही कर्जमाफी हुई है। 2 लाखों रुपयों की कर्जमाफी होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि 2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस की जीत में ज्योतिरादित्य की अहम भूमिका मानी जाती है। लेकिन, नतीजों के बाद उन्हें किनारे कर सरकार की कमान कमलनाथ को सौंप दी गई थी। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें मध्य प्रदेश की राजनीति से दूर कर कॉन्ग्रेस का महासचिव बना पश्चिमी उत्तर प्रदेश भेज दिया गया। आम चुनावों में पश्चिमी यूपी में कॉन्ग्रेस की दुर्गति तो होनी थी और हुई भी। ज्योतिरादित्य
खुद मध्य प्रदेश की गुना सीट से चुनाव हार गए।
हाल में समर्थकों ने उन्हें मध्य प्रदेश कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष बनाने के लिए भी आवाज उठाई थी। लेकिन, शीर्ष नेतृत्व की तरफ से अब तक इसे तवज्जो नहीं मिली है। बताया जाता है कि ज्योतिरादित्य पार्टी में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
कुछ इसी तरह के आरोप लगाकर हरियाणा कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष रहे अशोक तंवर ने कॉन्ग्रेस छोड़ी है। मुंबई कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष रहे संजय निरुपम ने भी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गॉंधी के करीबियों को अलग-थलग किए जाने का आरोप लगाया है। ज्योतिरादित्य की गिनती भी उन नेताओं में होती है जो राहुल के करीबी रहे हैं। तो क्या अगली बारी उनकी ही है? जिस दौर में नेताओं को निष्ठा बदलने में पल भर की देरी नहीं लगती है, उस वक़्त में ज्योतिरादित्य के लिए तो यह दादी के घर वापसी जैसा ही होगा।