‘इंडिया टुडे’ अपनी पत्रकार तनुश्री पांडेय के साथ ‘खड़ा’ है। 2016 में जेएनयू छात्र संगठन के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ चुका सन्नी धीमन वाकर कहता है कि पांडेय ‘गोदी मीडिया’ को बेनकाब करने के लिए खड़ी हैं। लेकिन, ऑपइंडिया आपको बता चुका है कि किस तरह तनुश्री वामपंथी छात्र नेता साकेत मून के सर्वर रूम तोड़ने के बयान के साथ खड़ी दिखती हैं। वही साकेत मून, जिसने अफवाह फैलाई थी कि जेएनयू में सीआरपीएफ को तैनात कर दिया गया है, 8500 छात्रों को गिरफ़्तार किया गया है। उधर राहुल कँवल अपने फ़र्ज़ी स्टिंग ऑपरेशन के साथ खड़े हैं, जिसका न सिर है और न पाँव।
‘इंडिया टुडे’ ने तनुश्री और वामपंथी छात्र नेताओं के बीच हुई कानाफूसी को एक ‘सामान्य प्रक्रिया’ बताया है। अगर ऐसा है तो शायद चैनल की हर स्टोरी पर संदेह किया जाना चाहिए क्योंकि सामने वाले को कोचिंग देकर और उसके साथ पूरी सेटिंग कर के ख़बर बनाने को उसने अपने लिए एक समान्य प्रक्रिया कहा है। स्टिंग भी ऐसा, जिसमें एक 19-20 साल के छात्र को अपने सीनियर को निर्देशित करने की बात बता कर, उसे ABVP का घोषित करने की पूरी कवायद की गई। जो थोड़ी देर में ही फेल हो गया।
अपनी पीठ थपथपाते हुए ‘इंडिया टुडे’ ने अपने कथित इन्वेस्टीगेशन को ‘पाथ ब्रेकिंग’ करार दिया है। जब ऑपइंडिया ने उनसे संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि ‘वो लोग’ किसी दूसरे पब्लिकेशन को बयान नहीं देते। बाद में इन्हीं कँवल ने दावा किया कि कई चैनलों के पत्रकारों से उनकी बात हुई है और उन सभी ने उन्हें बधाइयाँ दी हैं। बात भी नहीं करते हैं, निष्पक्षता का दावा भी करते हैं और बधाइयाँ भी लेते हैं। सवालों का जवाब टालना तो भला कोई उनसे सीखे।
ऑपइंडिया को सूत्रों से यहाँ तक पता चला है कि जेएनयू की हिंसा में जामिया के छात्रों के भी हाथ हैं। जामिया वाला नाटक फेल हो गया, लदीदा-फरज़ाना की ब्रांडिंग के पीछे की साज़िश बेनकाब हो गई, जेएनयू हॉस्टल फी वाला आंदोलन निष्फल हो गया और सीएए पर सरकार ने डट कर अफवाहों को काटा। क्या इससे बौखलाए वामपंथियों ने जेएनयू में हिंसा की साज़िश रची?
‘इंडिया टुडे’ ने कहा है कि उसकी छवि ख़राब करने के लिए तनुश्री वाली वीडियो का सहारा लिया जा रहा है। अगर ऐसा है तो कोई ऑडियो या वीडियो क्लिप जारी कर के चैनल को हमारे सारे सवालों के जवाब दे देने चाहिए। क्या खुसुर-पुसुर हो रहा था? एबीवीपी की छवि ख़राब करने के लिए फ़र्ज़ी स्टिंग करने वालों को अब अपनी छवि की पड़ी है। एबीवीपी के छात्रों की पिटाई की गई। महिला छात्रों तक को नहीं बख्शा गया। नेत्रहीन छात्र को भी मारा-पीटा गया।
जेएनयू छात्र संगठन की वर्तमान अध्यक्ष आइशी घोश, पूर्व अध्यक्ष गीता के नकाबपोशों के साथ वीडियो वायरल हुए। लठैत कॉमरेड चुनचुन पत्थरबाजी करता देखा गया। प्रमाण को परदे के पीछे ले जाने के लिए फालतू के फ़र्ज़ी खुलासे किए जा रहे हैं और ऊपर से चैनल अपने ही मुँह मियाँ मिट्ठू भी बन रहा है।
जब जेएनयू छात्र संघ का कार्यकर्ता अक्षत ही एबीवीपी का नहीं है तो फिर उसी को आधार बना कर स्टिंग करने और कथित खुलासा करने वाले ‘इंडिया टुडे’ को माफ़ी नहीं माँगनी चाहिए क्या? जेएनयू हॉस्टल फी बढ़ोतरी को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन में अक्षत की फोटो निकाल कर इसे एबीवीपी की रैली बताया गया। हिंसा वाले दिन दोपहर 3 बजे जब वेलेंटिना ब्रह्मा को मारा जा रहा था, तब यही अक्षत वामपंथी गुंडों के साथ देखा जाता है। सबकुछ प्रमाण के साथ प्रत्यक्ष हो चुका है लेकिन कँवल को रवीश वाली थेथरई का बुख़ार कई गुना ज़्यादा इंटेंसिटी के साथ चढ़ गया है।
During the assault on Velentina by AISA’s Dolan Samantha at the ad-block on 5th January around 3 pm, Akshat Awasthi can clearly be seen with left goons. We might not have the power of your network but we will demolish each & every lie that you put out. #LeftBehindJNUViolence https://t.co/XUqoyIW9BA pic.twitter.com/Kr3nC8qlyq
— ABVP (@ABVPVoice) January 11, 2020
Akshat Awasthi can clearly be seen behind the left activists from 6 sec to 9 sec in the video while AISA’s Dolan Samantha can be seen assaulting ABVP karyakartas. Police is bordering ABVP and Left. Does @rahulkanwal have the guts to show this on air? #LeftBehindJNUViolence pic.twitter.com/mkDhb72icR
— ABVP (@ABVPVoice) January 11, 2020
दावे कीजिए लेकिन सवालों के जवाब भी दीजिए। दूसरे पब्लिकेशंस से सवाल न लेने का दावा करना और उनसे ही फिर बधाई मिलने का प्रचार करना, ऐसे दोहरे रवैये के सामने तो पुराने वामपंथी भी चित हो जाएँ। तभी कुछ लोग अब आपको ‘कॉमरेड राहुल कँवल’ कह रहे हैं।