Friday, November 15, 2024
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JNU हिंसा का इंटरनेशनल कनेक्शन, घायल छात्रा ने खोली पोल: शॉल में पत्थर छिपाए दंगाइयों ने मचाया आतंक

जब रजिस्ट्रेशन के समय से ही वामपंथियों ने दंगा शुरू कर दिया तो JNU प्रशासन ने पुलिस को ख़बर क्यों नहीं की? इंटरनेशनल नंबर से एबीवीपी से जुड़े ग्रुप में कौन लोग घुस गए? वो कौन लोग हैं, जो छात्र-छात्राओं को धमकियाँ और गालियाँ दे रहे हैं?

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में वामपंथियों ने जो 8 घंटे का आतंक मचाया, उसके बारे में काफ़ी बातें निकल कर सामने आ रही हैं। अब इस पूरी साज़िश का इंटरनेशनल कनेक्शन निकल कर सामने आ रहा है। जहाँ मीडिया का एक बड़ा वर्ग वामपंथी दंगाइयों की इस करतूत को छिपाने में लगा हुआ है, ऑपइंडिया ने कुछ प्रत्यक्षदर्शियों से बातें की, जिन्होंने आँखों-देखी सुनाई। इस पूरे घटनाक्रम के पीड़ित लोगों से बात करने के बाद ये स्पष्ट हो जाता है कि जेएनयू में अध्ययन, अकादमिक कैलेण्डर और पठन-पाठन के कार्यों को रोकने के लिए ऐसा किया गया। पीड़ितों में एक नाम वेलेंटिना ब्रह्मा का भी है।

वेलेंटिना जेएनयू की छात्रा हैं, जो वामपंथियों के आतंक का शिकार बनीं। उन्हें काफ़ी चोटें आई हैं और उनके साथ बदतमीजी भी की गई। कई घटों तक चले उस भयावह दौर से गुजरीं वेलेंटिना ने ऑपइंडिया से बातें करते हुए अपना दर्द साझा किया। उन्होंने बताया कि इस वारदात की शुरुआत रविवार (जनवरी 5, 2020) को ही हो गई थी, जब वामपंथी छात्रों ने रजिस्ट्रेशन के लिए गए छात्रों पर हमला किया। दरअसल, वामपंथी छात्र नहीं चाहते थे कि कोई भी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में हिस्सा ले। इसीलिए, उन्होंने वहाँ मौजूद बाकी छात्रों पर हमला बोल दिया। उस दौरान उनके हाथों में डंडे थे।

वेलेंटिना ने बताया कि जब वो दोपहर को रजिस्ट्रेशन कराने पहुँचीं तो वहाँ दोनों गुट के लोग खड़े थे। एबीवीपी के छात्र व अन्य छात्र रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में हिस्सा लेने गए थे, वहीं वामपंथी उन्हें रोक रहे थे। वेलेंटिना ने बताया कि जब वो वहाँ खड़ी थीं, तभी वामपंथी छात्रों का एक बड़ा दल आया और उन्होंने रजिस्ट्रेशन के लिए आए छात्रों पर हमला बोल दिया। उस भीड़ में शामिल एक छात्रा ने वेलेंटिना पर हमला बोल दिया। उसके हाथ में डंडा था। उसने वेलेंटिना को थप्पड़ मारा और उनके साथ बदतमीजी की। उसने वेलेंटिना के साथ धक्का-मुक्की भी की। जब वेलेंटिना ने उसे ऐसा करने से मना किया तो उसने उन्हें पीटना शुरू कर दिया।

इसके बाद कुछ अन्य छात्र आए, जिन्होंने किसी तरह वेलेंटिना को दंगाई छात्रा के चंगुल से निकाला और उन्हें पेरियार हॉस्टल लेकर गए। वामपंथी गुंडों से बचने के लिए वेलेंटिना और उनके साथ के अन्य छात्र-छात्राओं ने बचने के लिए एक कमरे में पनाह ली। तभी अचानक से 30 वामपंथी छात्रों ने उस कमरे के दरवाजे को तोड़ना शुरू कर दिया। उन सभी ने मास्क पहन रखी थी। उनके हाथों में डंडे थे। वेलेंटिना ने बताया कि दरवाजा न खोलने पर उपद्रवियों ने दरवाजे को तोड़ डाला। हॉस्टल रूम के दरवाजे को तोड़ कर छात्रों पर हमला बोल दिया गया।

उनमें से कुछ उपद्रवियों ने शॉल ओढ़ रखी थी, जिसके अंदर उन्होंने पत्थर छिपा रखे थे। डंडों और पत्थरों से छात्रों पर हमला बोल दिया गया। एबीवीपी के छात्र नेता मनीष को उपद्रवियों ने पीटना शुरू कर दिया। वेलेंटिना ने एक अन्य साथी छात्रा के साथ वहाँ से निकलने का प्रयास किया। एक छात्र को उपद्रवियों ने डंडे से इतना मारा कि वो बिस्तर से नीचे गिर गया। वेलेंटिना एक साथी छात्रा और 2 अन्य छात्रों के साथ पिछले दरवाजे से भागने की कोशिश की। वहाँ भी उपद्रवियों ने पीड़ित छात्रों पर डंडे से हमला किया। वेलेंटिना ने बताया कि वहाँ हॉस्टल प्रशासन के लोग और कुछ पुलिसकर्मी भी थे लेकिन किसी ने भी बचाने का प्रयास नहीं किया। वारदात के बारे में वेलेंटिना ने आगे बताया:

“हॉस्टल प्रशासन के लोगों ने हमसे छिपने को कहा। उपद्रवी शॉल में से पत्थर निकाल कर छात्रों की पिटाई कर रहे थे। कुल 30 लोग हमारे कमरे में घुसे थे। क़रीब 50 लोग बाहर मौजूद थे। मेस में भी छात्रों की पिटाई की गई। उपद्रवियों की कुल संख्या 200 के क़रीब थी। मेरे हाथ पर वार किया गया। मेरी पीठ पर चोटें आई हैं। कई अन्य जगहों पर भी एबीवीपी उपद्रवी छात्रों की पिटाई कर रहे थे। कई छात्र-छात्राओं के परिजन भी तनाव में हैं। हमारी साथी शाम्भावी के परिजन भी आकर उन्हें ले गए। शाम्भवी को भी काफ़ी चोटें आई हैं। एबीवीपी के छात्रों के कमरे में घुस कर उन्हें बेरहमी से पीटा गया।”

इस दौरान वेलेंटिना ने कुछ ऐसी जानकारियाँ भी दी, जो इस साज़िश के गहरे होने का प्रमाण है। उन्होंने बताया कि एबीवीपी से सहानुभूति रखने वाले कुछ लोगों ने ‘Unity Against Left’ नामक एक व्हाट्सप्प ग्रुप बनाया था। उस ग्रुप के ‘इनवाइट लिंक’ का इस्तेमाल कर के कुछ वामपंथी छात्र उसमें घुस गए और उन्होंने उस लिंक को चारों तरफ़ फैला दिया। उस लिंक का इस्तेमाल कर के अंतरराष्ट्रीय फोन नंबर से लोग उस ग्रुप में जुड़ने लगे। कैंपस में मार-पिटाई के दौरान एबीवीपी के कई छात्रों का फोन गिर गया था। अधिकतर के पास इंटरनेट ही नहीं था। वाईफाई नहीं चल रहा था। सभी छिपे हुए थे।

वेलेंटिना ने बताया कि इन सबके कारण उन्हें पता ही नहीं चला कि उस व्हाट्सप्प ग्रुप में क्या चल रहा है। उस ग्रुप में इंटरनेशनल नंबर से घुसे लोगों ने ऐसी बातचीत की, जिससे पता चले कि ये सारी लड़ाई एबीवीपी ने शुरू की थी और उन्होंने ही हिंसा की। अब सवाल ये उठता है कि अंतरराष्ट्रीय नंबर से ग्रुप में घुसने वाले कौन लोग थे? एबीपीबी के छात्रों का नंबर चारों तरफ फैला दिया गया। वेलेंटिना ने बताया उन्हें व उनके साथियों को विभिन्न फोन नंबरों से कॉल कर के धमकाया जा रहा है। उन्हें गालियाँ दी जा रही हैं। वामपंथियों ने ऐसा दिखाया कि ये एबीवीपी का ग्रुप है और वही लोग हिंसा कर रहे हैं।

वेलेंटिना ने जो भी बताया, उससे कई सवाल पैदा होते हैं। पहला सवाल, जब रजिस्ट्रेशन के समय ही वामपंथी दंगाइयों ने हिंसा शुरू कर दी थी, तब जेएनयू प्रशासन ने पुलिस को ख़बर क्यों नहीं कि ये स्थिति को नियंत्रित क्यों नहीं किया? जब हॉस्टल में घुस कर एबीवीपी के छात्रों को पीटा जा रहा था, तब हॉस्टल प्रशासन व गार्ड्स ने उन्हें बचाया क्यों नहीं? घटों तक चले इस आतंक के तांडव के दौरान जेएनयू ने पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी? इंटरनेशनल नंबर से एबीवीपी से जुड़े ग्रुप में कौन लोग घुस गए? वो कौन लोग हैं, जो छात्र-छात्राओं को धमकियाँ और गालियाँ दे रहे हैं?

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अनुपम कुमार सिंह
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भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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