Friday, April 19, 2024
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जिस राम सेतु को तोड़ना चाहती थी UPA सरकार, वो घोषित होगा ‘राष्ट्रीय धरोहर स्मारक’? सुनवाई को राजी सुप्रीम कोर्ट, तय की तारीख़

CJI द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में डॉक्टर स्वामी ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस मामले में काउंटर-एफिडेविट दायर की है और ये मामला काफी लंबे समय से पेंडिंग पड़ा हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट ने राम सेतु को ‘राष्ट्रीय धरोहर स्मारक (National Heritage Monument)’ घोषित करने की माँग सम्बंधित याचिका पर सुनवाई के लिए हामी भर दी है। बुधवार (23 फरवरी, 2022) को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 9 मार्च को इस मामले की सुनवाई की जाएगी। मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना, जस्टिस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की तीन सदस्यीय पीठ ने भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा किए गए निवेदन के बाद ये निर्देश जारी किया।

सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले में त्वरित सुनवाई की माँग की थी। याचिका में माँग की गई है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि राम सेतु को ‘राष्ट्रीय धरोहर स्मारक’ घोषित किया जाए। सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष पेश होकर भाजपा सांसद ने कहा कि इस मामले को हटाया न जाए और इस पर त्वरित सुनवाई हो। सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद 9 मार्च को इसे लिस्ट किए जाने की तारीख़ मुकर्रर की और कहा कि इस पर आगे बढ़ना है या नहीं, इसे उसी दिन तय किया जाएगा।

CJI द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में डॉक्टर स्वामी ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस मामले में काउंटर-एफिडेविट दायर की है और ये मामला काफी लंबे समय से पेंडिंग पड़ा हुआ है। अप्रैल 2021 में तत्कालीन CJI एसए बोबडे ने इस मामले को अगले CJI के समक्ष सुनवाई के लिए रखे जाने की बात कही थी, जिन्होंने उसी साल 24 अप्रैल से कार्यभार संभाला। बता दें कि राम सेतु ‘लाइमस्टोन शोल्स’ की एक श्रृंखला है, जो तमिलनाडु के दक्षिणी-पूर्वी छोर पर स्थित है।

ये दक्षिण में रामेश्वरम के नजदीक स्थित पम्बन द्वीप से लेकर श्रीलंका के उत्तरी छोर पर स्थित मन्नार द्वीप तक फैला हुआ है। रामायण में इसका जिक्र है कि कैसे माँ सीता को वापस लाने के लिए भगवान श्रीराम की वानर-भालू सेना ने इस पुल का निर्माण किया था। जनवरी 2020 में ही सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन कई लंबित मामलों के कारण इसे तीन महीने बाद लाने के लिए कहा गया था। स्वामी का कहना था कि 2017 में एक केंद्रीय मंत्री ने इस माँग को लेकर एक बैठक बुलाई तो थी, लेकिन हुआ कुछ नहीं।

2007 में यूपीए की सरकार के दौरान ही सुब्रमण्यम स्वामी ने ‘सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट’ के खिलाफ याचिका दायर करते हुए ये माँग की थी, जिसके बाद राम सेतु की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इस परियोजना पर रोक लगा दी थी। इसके तहत 83 किलोमीटर लंबे वॉटर चैनल का निर्माण किया जाना था, जिससे मन्नार और पाल्क स्ट्रेट को जोड़ा जाता। इसके तहत इस ‘राम सेतु’ को तोडना भी पड़ता। इसके बाद केंद्र सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था की बात कही थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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