Thursday, April 25, 2024
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त्रिपुरा का उनाकोटी: वो जगह जहाँ 99 लाख 99 हजार 999 मूर्तियाँ, मिल सकता है विश्व हेरिटेज का टैग, कभी था शिवभक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र

उनाकोटी में स्थित मूर्तियों को या तो पहाड़ो पर उकेरा गया है या चट्टानों को काट कर बनाया गया है। बंगाल के पाला साम्राज्य के समय उनाकोटी शिव भक्तों का प्रमुख आस्था केंद्र हुआ करता था। इनकी तुलना कम्बोडिया के अंगोर वाट से की जाती है।

पूर्वोत्तर भारत के त्रिपुरा स्थित उनाकोटी की मूर्तियों को विश्व हेरिटेज का दर्जा दिलाने की कोशिशें की जा रही हैं। यहाँ के एक पहाड़ पर 99 लाख 99 हजार 999 मूर्तियाँ हैं, जो 8वीं से 9वीं सदी के बीच बनी मानी जाती हैं। इस जगह को विश्व धरोहर घोषित करने के लिए भारत सरकार का पुरातात्विक विभाग सक्रिय है। इस जगह पर पर्यटकों के साथ श्रद्धालु भी पूजा अर्चना के लिए आते रहते हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनाकोटी को विश्व धरोहर बनाने के प्रयास में ही त्रिपुरा सरकार इस जगह के आस-पास पर्यटन स्थल बनवा रही है। सरकार का मानना है कि उनाकोटी के माध्यम से त्रिपुरा के इस हिस्से को पूरे भारत में सांस्कृतिक रूप से भी जोड़ा जा सकता है।

उनाकोटी में स्थित मूर्तियों को या तो पहाड़ो पर उकेरा गया है या चट्टानों को काट कर बनाया गया है। इनमें भगवान शिव और गणेश की मूर्तियाँ सबसे ज्यादा चर्चित हैं। यहाँ पर काल भैरव नाम से प्रसिद्ध भगवान शंकर की मूर्ति लगभग 30 फिट ऊँची है। इनके संरक्षण के लिए जगह-जगह मूर्तियों को हाथ न लगाने और उन्हें किसी भी प्रकार का नुकसान पहुँचाने पर दंडित करने की चेतावनी लिखी हुई है।

प्रसिद्ध इतिहासकार पन्नालाल इन मूर्तियों की तुलना कम्बोडिया के अंगोर वाट से करते हैं। उन्होंने इन मूर्तियों को बेहद दुर्लभ बताते हुए कहा कि बंगाल के पाला साम्राज्य के समय उनाकोटी शिव भक्तों का प्रमुख आस्था केंद्र हुआ करता था। पन्नालाल रॉय ने इन मूर्तियों के संरक्षण को बेहद जरूरत बताते हुए कहा कि कई मूर्तियाँ मौसम और अन्य कारणों से खराब हो चुकी हैं। हालाँकि जब से इस जगह को ASI ने अपने संरक्षण में लिया, तब से यहाँ मूर्तियों का स्वरूप विकृत होने से काफी हद तक बच गया।

उनाकोटी: क्या, कहाँ

उनाकोटी बंगाली भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ 1 करोड़ से कम होता है। यह रघुनंदन पहाड़ियों पर बसा हुआ है। एक पहाड़ों के बीच से लगभग 1 घंटे के सफर के बाद आबादी से दूर यह स्थान पहाड़ों को काट कर बनाया गया है।

यहाँ नीचे और ऊपर चढ़ने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। अधिक उम्र के लोगों के लिए सीढ़ियों पर चढ़ने और उतरने के लिए रेलिंग बनाई गई हैं। पूरे स्थान को ASI ने एक चारदीवारी से घेर रखा है। बाहर पहरा रहता है। पर्यटकों को दिन में एक तय समय सीमा में ही यहाँ आने और जाने की अनुमति है। ऑपइंडिया की टीम ने डेढ़ साल पहले यहाँ का दौरा किया था।

ऑपइंडिया की टीम ने कुछ मूर्तियों को एक अलग स्थान पर रखे देखा। वो मूर्तियां विभिन्न देवताओं की थीं। कुछ में थोड़ा नुकसान विभिन्न कारणों से पहुँचा था। पहाड़ पर उकेरी कई मूर्तियों के ऊपर से झरना बहता है, जो प्राकृतिक है। झरने में लोग हाथ धोकर सामने रखे शिवलिंग की पूजा करते हैं।

भगवान शिव के अलावा उनाकोटी में माँ दुर्गा की और उनके शेर की भी आकृति है। त्रिशूल और नंदी बैल भी पहाड़ पर चित्रित किए गए हैं। इन मूर्तियों पर यहाँ मौजूद सुरक्षा गार्डों की सख्त नजर होती है। उनाकोटी के लगभग 10 किलोमीटर परिधि में कोई भी होटल आदि नहीं है। सरकार द्वारा शुरू किए जा रहे प्रयासों के बाद अब माना जा रहा है कि इस जगह के आस-पास पर्यटकों के रहने योग्य निर्माण होंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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