Tuesday, April 23, 2024
Homeविविध विषयभारत की बातइतिहास का वह दौर जब होली ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी हो गई थी

इतिहास का वह दौर जब होली ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी हो गई थी

अकबर का अपने रानियों के साथ तथा जहाँगीर का नूरजहाँ के साथ होली खेलने का वर्णन मिलता है। अलवर संग्रहालय के एक चित्र में जहाँगीर को होली खेलते हुए दिखाया गया है। शाहजहाँ के समय तक होली खेलने का मुग़लिया अंदाज़ ही बदल गया था।


होली – इसका मतलब यह पहचानना है कि जीवन दरअसल बहुत उल्लासमय प्रक्रिया है। इस दिन देश भर में लोग एक-दूसरे को रंगों से सराबोर कर देते हैं। इस दिन लोग सिर से पाँव तक अलग-अलग रंगों में रंगे होते हैं, जो यह दर्शाता है कि जीवन का मूल तत्व है, उल्लास।

इस पर्व का वर्णन अनेक पुरातन धार्मिक पुस्तकों में मिलता है। इनमें प्रमुख हैं, जैमिनी के पूर्व मीमांसा-सूत्र और कथा गार्ह्य-सूत्र। नारद पुराण और भविष्य पुराण जैसे पुराणों की प्राचीन हस्तलिपियों और ग्रंथों में भी इस पर्व का उल्लेख मिलता है। विंध्य क्षेत्र के रामगढ़ स्थान पर स्थित ईसा से 300 वर्ष पुराने एक अभिलेख में भी इसका उल्लेख किया गया है। संस्कृत साहित्य में वसन्त ऋतु और वसन्तोत्सव अनेक कवियों के प्रिय विषय रहे हैं।

इसके अतिरिक्त प्राचीन चित्रों, भित्तिचित्रों और मंदिरों की दीवारों पर इस उत्सव के चित्र मिलते हैं। विजयनगर की राजधानी हंपी के 16वीं  शताब्दी के एक चित्रफलक पर होली का आनंददायक चित्र उकेरा गया है। इस चित्र में राजकुमारों और राजकुमारियों को दासियों सहित रंग और पिचकारी के साथ राज दम्पत्ति को होली के रंग में रंगते हुए दिखाया गया है। 16वीं शताब्दी की अहमदनगर की एक चित्र आकृति का विषय वसंत रागिनी ही है। इस चित्र में राजपरिवार के एक दंपत्ति को बगीचे में झूला झूलते हुए दिखाया गया है। साथ में अनेक सेविकाएँ नृत्य-गीत व रंग खेलने में व्यस्त हैं। वे एक दूसरे पर पिचकारियों से रंग डाल रहे हैं।

मध्यकालीन भारतीय मंदिरों के भित्तिचित्रों और आकृतियों में होली के सजीव चित्र देखे जा सकते हैं। उदाहरण के लिए इसमें 17वीं शताब्दी की मेवाड़ की एक कलाकृति में महाराणा को अपने दरबारियों के साथ चित्रित किया गया है। शासक कुछ लोगों को उपहार दे रहे हैं, नर्तकियाँ नृत्य कर रही हैं और इस सबके मध्य रंग का एक कुंड रखा हुआ है। बूंदी से प्राप्त एक लघुचित्र में राजा को हाथी दाँत के सिंहासन पर बैठा दिखाया गया है जिसके गालों पर महिलाएँ गुलाल मल रही हैं।

आज भले ही कुछ लोग विभेद करने की कोशिश करें लेकिन प्राचीन काल से ही भारत भूमि का ये प्रसिद्ध त्यौहार हर धर्म-वर्ग के लोगों को लुभाता रहा है। सुप्रसिद्ध पर्यटक अलबरूनी ने भी अपने ऐतिहासिक यात्रा संस्मरण में होलिकोत्सव का वर्णन किया है। भारत के अनेक इस्लामी कवियों ने अपनी रचनाओं में इस बात का उल्लेख किया है कि होलिकोत्सव केवल हिंदू ही नहीं दूसरे मजहब वाले भी मनाते हैं। सबसे प्रामाणिक इतिहास की तस्वीरें हैं मुगल काल की और इस काल में होली के किस्से उत्सुकता जगाने वाले हैं।

अकबर का अपने रानियों के साथ तथा जहाँगीर का नूरजहाँ के साथ होली खेलने का वर्णन मिलता है। अलवर संग्रहालय के एक चित्र में जहाँगीर को होली खेलते हुए दिखाया गया है। शाहजहाँ के समय तक होली खेलने का मुग़लिया अंदाज़ ही बदल गया था।

इतिहास में वर्णन है कि शाहजहाँ के ज़माने में होली को ईद-ए-गुलाबी  या आब-ए-पाशी (रंगों की बौछार) कहा जाता था। अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के बारे में प्रसिद्ध है कि होली पर उनके मंत्री उन्हें रंग लगाने जाया करते थे। मध्ययुगीन हिन्दी साहित्य में दर्शित कृष्ण की लीलाओं में भी होली का विस्तृत वर्णन मिलता है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

रवि अग्रहरि
रवि अग्रहरि
अपने बारे में का बताएँ गुरु, बस बनारसी हूँ, इसी में महादेव की कृपा है! बाकी राजनीति, कला, इतिहास, संस्कृति, फ़िल्म, मनोविज्ञान से लेकर ज्ञान-विज्ञान की किसी भी नामचीन परम्परा का विशेषज्ञ नहीं हूँ!

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘PM मोदी CCTV से 24 घंटे देखते रहते हैं अरविंद केजरीवाल को’: संजय सिंह का आरोप – यातना-गृह बन गया है तिहाड़ जेल

"ये देखना चाहते हैं कि अरविंद केजरीवाल को दवा, खाना मिला या नहीं? वो कितना पढ़-लिख रहे हैं? वो कितना सो और जग रहे हैं? प्रधानमंत्री जी, आपको क्या देखना है?"

‘कॉन्ग्रेस सरकार में हनुमान चालीसा अपराध, दुश्मन काट कर ले जाते थे हमारे जवानों के सिर’: राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर में बोले PM मोदी...

पीएम मोदी ने कहा कि आरक्षण का जो हक बाबासाहेब ने दलित, पिछड़ों और जनजातीय समाज को दिया, कॉन्ग्रेस और I.N.D.I. अलायंस वाले उसे मजहब के आधार पर मुस्लिमों को देना चाहते थे।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe