‘पार्ले जी’ बिस्किट बनाने वाली कम्पनी पार्ले के वार्षिक लाभांश में 15.2% की वृद्धि दर्ज की गई है। यह आँकड़ा वित्तीय वर्ष 2018-19 का है। अर्थात, फाइनेंसियल ईयर 2018-19 में ‘पार्ले बिस्किट्स’ कम्पनी ने पिछले वित्तीय वर्ष के मुक़ाबले 15.2% ज्यादा लाभ कमाया है। पार्ले सहित कई बिस्किट कंपनियों ने सरकार से जीएसटी दर घटाने की भी माँग की थी। पार्ले बिस्किट ने इस वर्ष 410 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ प्राप्त किया है, जबकि पिछले वर्ष यह आँकड़ा 355 करोड़ रुपए था। इसके आल्वा पार्ले के कुल राजस्व में भी वृद्धि दर्ज की गई है। यह सब मंदी की चर्चाओं के बावजूद हुआ।
अगर पार्ले बिस्किट्स के कुल राजस्व की बात करें तो इस वर्ष यह 6.4%की वृद्धि के साथ 9030 करोड़ रुपए रहा, इसमें केवल ऑपरेशन से आने वाले राजस्व की हिस्सेदारी 8780 करोड़ रुपए रही। अगर कम्पनी की अन्य आमदनी की बात करें तो यह भी 26% की बड़ी उछाल के साथ इस वर्ष 250 करोड़ रुपए रहा। इससे पहले काफ़ी ख़बरों में कहा गया था कि पार्ले जीएसटी रेट को 18% किए जाने से निराश है और इसके कारण हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल सकती है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने बिस्किट्स पर जीएसटी की दरें बढ़ा दी थीं। इसके बाद कई कथित बुद्धिजीवियों और मीडिया रिपोर्ट्स ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि गलत आर्थिक नीतियों से आई मंदी के कारण पार्ले ‘काफी बुरी स्थिति’ में है। इससे नौकरियाँ जा सकती है और मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। पार्ले की ख़बर को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर भी निशाना साधा गया था। अब पार्ले के राजस्व और शुद्ध लाभ में उछाल के साथ इन चर्चाओं पर विराम लग गया है।
Remember just a few days ago, ‘enlightened Economists’ were telling us how people were not able to afford even small packs of Parle G? Well, Parle Biscuits net profit has risen by 15% in FY19; revenue is up 6.4% to Rs 9,030 crore. https://t.co/OpGGaMU0mw
— Amit Malviya (@amitmalviya) October 16, 2019
पार्ले के सीनियर केटेगरी हेड मयंक शाह ने इन रिपोर्ट्स को आधारहीन बताते हुए जानकारी दी कि पार्ले में कर्मचारियों की किसी भी प्रकार की छँटनी नहीं की गई है। उन्होंने बताया था कि चीजों को ग़लत तरीके से पेश कर नकारात्मकता फैलाई गई। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा था कि यह इंडस्ट्री के विकास दर और बिस्किट्स की बिक्री में बढ़ोतरी पर तय होता है कि कर्मचारियों की छँटनी की जाएगी या नहीं।