Tuesday, October 15, 2024
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43 साल पहले 3500 शेयर खरीद भूले, अब कीमत ₹1448 करोड़: केरल के बाबू जॉर्ज की किस्मत पलटी, पर पैसे दूर की कौड़ी

2015 में बाबू जॉर्ज कुछ पुराने दस्तावेज़ देख रहे थे। तब उन्हें याद आया कि उन्होंने उदयपुर की एक कंपनी में निवेश किया था। लेकिन जब उन्होंने कंपनी से संपर्क किया तो भुगतान से इनकार कर दिया गया।

कहते हैं की जब किस्मत मेहरबान होती है तो एक पल में सब कुछ बदल जाता है। ऐसा ही कुछ केरल के बाबू जॉर्ज वालावी के साथ हुआ। 43 साल पहले शेयर में किया निवेश जब जॉर्ज को याद आया तो पता चला कि वे सैकड़ों करोड़ के मालिक बन चुके हैं। हालाँकि कंपनी उन्हें भुगतान करने में आनकानी कर रही है और मामला भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास है।

बाबू जॉर्ज ने 1978 में 3500 शेयर्स खरीदे थे। आज इनकी कीमत 1448 करोड़ हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अब 74 वर्षीय बाबू जॉर्ज और उनका परिवार यह साबित करने में लगे हुए हैं कि कंपनी के शेयर्स के असली मालिक वे ही हैं। बताया जा रहा है कि बाबू जॉर्ज ने अपने चार रिश्तेदारों के साथ मेवाड़ ऑयल ऐंड जनरल मिल्स लिमिटेड (Mewar Oil and General Mills Ltd) के 3500 शेयर्स खरीदे थे। उस वक्त यह कंपनी उदयपुर की एक अनलिस्टेड कंपनी हुआ करती थी।

बाबू जॉर्ज ने ये शेयर तब खरीदे थे जब वे एक कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर हुआ करते थे। उस समय 3500 शेयर ख़रीद वे इस कंपनी में 2.8% के हिस्सेदार बन गए थे। कंपनी के फ़ाउंडर-चेयरमैन पीपी सिंघल और बाबू जॉर्ज दोस्त भी थे। उस वक्त कंपनी अनलिस्टेड थी और कोई Dividend नहीं दे रही थी, जिसके चलते बाबू जॉर्ज और उनका परिवार अपने निवेश को भूल गया।

2015 में बाबू जॉर्ज कुछ पुराने दस्तावेज़ देख रहे थे। तब उन्हें याद आया कि उन्होंने उदयपुर की एक कंपनी में निवेश किया था। बाबू के पास ऑरिजिनल शेयर डॉक्यूमेंट थे और उन्होंने शेयर्स के बारे में और जानकारी जुटाने की कोशिश शुरू की। उन्हें जानकारी मिली कि Mewar Oil and General Mills Ltd अब PI Industries बन गई है और यह कंपनी लिस्टेड भी हो चुकी है। पता चला कि यह कंपनी मुनाफा भी कमा रही है।

अपने शेयर्स को लेकर बाबू जॉर्ज ने कंपनी से संपर्क किया तो उन्हें बताया गया कि वे कंपनी के हिस्सेदार नहीं हैं और उनके शेयर्स किसी और को 1989 में ही बेच दिए गए थे। उन्होंने कंपनी पर आरोप लगाया है कि गैरकानूनी ढंग से डुप्लीकेट शेयर्स का उपयोग कर उनके शेयर किसी और को बेच दिए गए हैं।

कंपनी ने भी उनके दावों की जाँच की। इसके बाद साल 2016 में पीआई इंडस्ट्रीज ने मध्यस्थता के लिए उन्हें दिल्ली बुलाया। उन्होंने इससे इनकार कर दिया। तब कंपनी ने उनके डॉक्यूमेंट्स की जाँच करने के लिए दो बड़े अफसर केरल भेजे। कंपनी ने माना कि उनके पास मौजूद डॉक्यूमेंट्स ऑरिजिनल हैं। बावजूद इसके कंपनी उन्हें पैसे देने में आनाकानी कर रही है।

इसे देखते हुए बाबू जॉर्ज ने SEBI का दरवाज़ा खटखटाया। लगभग छह साल पहले सेबी में शिकायत दर्ज कराने के बाद भी उन्हें अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। वहीं एक अन्य मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि पीआई इंडस्ट्रीज ने SEBI की जाँच के जवाब में दावा किया कि 1989 में शेयर अन्य लोगों को ट्रांसफर कर दिया गया था।

बाबू ने कहा, “निवेशकों की आखिरी उम्मीद माने जाने वाला SEBI यदि समय पर कार्रवाई नहीं कर रहा है तो इसका क्या फायदा? इससे कई निवेशकों को गलत संदेश जाएगा कि SEBI और भारत सरकार मामले में ठीक से काम नहीं कर रहा। मुझे न्याय चाहिए और न्याय में देरी नहीं हो सकती।” वालावी चाहते हैं कि SEBI मामले की तत्परता से जाँच कर और उन्हें उनका पैसा दिलाए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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