Thursday, October 10, 2024
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निफ्टी घोटाला: CMIE के निदेशक अजय शाह पर 2 साल का बैन, कॉन्ग्रेस घोषणापत्र से भी जुड़े हैं तार

अजय शाह जिस CMIE कंपनी के निदेशक मंडल में हैं, उसी कंपनी के सीईओ कॉन्ग्रेस को घोषणापत्र पर सलाह दे रहे थे। इसके अलावा CMIE के द्वारा इकट्ठा किए हुए रोजगार आँकड़ों के हवाले से कॉन्ग्रेस ने मोदी सरकार को घेरने की कोशिश भी की थी।

2011-14 के दौरान हुए निफ्टी घोटाले मामले में सेबी ने आज सजा सुनाते हुए वित्त मंत्रालय के पूर्व अधिकारी और अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अजय शाह पर दो साल तक शेयर बाजार में सूचित कम्पनियों से किसी भी प्रकार से सम्बद्ध होने पर रोक लगाई है। अजय शाह जिस कंपनी CMIE में निदेशक के तौर पर सूचीबद्ध हैं, उसी के सीईओ महेश व्यास टाइम्स ऑफ़ इंडिया की खबर के मुताबिक कॉन्ग्रेस की घोषणापत्र समिति के सलाहकार थे।

क्या था निफ्टी घोटाला?

सेबी ने पाया कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (निफ्टी) ने तीन शेयर दलालों- OPG Securities, GKN Securities और Way2Wealth Securities- को बाकियों के मुकाबले अनुचित तरजीह दी थी। मामले के आपराधिक आपराधिक पहलुओं की जाँच कर रही सीबीआई ने पाया कि अजय शाह ने वर्ष 2005-06 के दौरान ‘शोध’ के नाम पर निफ्टी का गुप्त डाटा इकठ्ठा किया था। बाद में उस डाटा की मदद से उन्होंने ‘चाणक्य’ नामक एक एल्गोरिदम-सॉफ्टवेयर विकसित किया जिसे उन्होंने OPG Securities समेत कई शेयर दलालों को बेचा। द हिन्दू बिज़नेस लाइन में सेबी के हवाले से छपी खबर के अनुसार अजय शाह के साढू-भाई सुप्रभात लाला 2010-13 के दौरान निफ्टी के नियमन प्रमुख और ट्रेडिंग डिवीजन के प्रमुख थे, और निफ्टी के सर्वरों के उपयोग में OPG Securities समेत शाह का सॉफ्टवेयर खरीदने वाले कई दलालों को अनुचित रूप से तरजीह दी गई।

इन्हीं सब के चलते सेबी ने अजय शाह और सुप्रभात लाला समेत कई आरोपियों पर विभिन्न प्रकार के प्रतिबन्ध लगाए हैं। इसके अलावा अपनी संस्था के अंदर हो रहे कदाचार को रोक पाने में असफल रहने और कुछ दलालों को दूसरे शेयर दलालों के ऊपर तरजीह दिए जाने के आरोप में सेबी ने निफ्टी पर भी ₹1,100 करोड़ का भारी-भरकम जुर्माना लगाया है।

कॉन्ग्रेस कनेक्शन

जैसा कि ऑपइंडिया ने पहले ही अपनी खबर में प्रकशित किया था, अजय शाह जिस CMIE कंपनी के निदेशक मंडल में हैं, टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार उसी कंपनी के सीईओ कॉन्ग्रेस को घोषणापत्र पर सलाह दे रहे थे। इसके अलावा CMIE के द्वारा इकट्ठा किए हुए रोजगार आँकड़ों के हवाले से कॉन्ग्रेस ने भाजपा की केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश भी की थी।

ऐसे में कॉन्ग्रेस को आगे बढ़कर दो बातें साफ़ करनी चाहिए:

  1. अब जबकि CMIE के कॉन्ग्रेस से रिश्ते जगजाहिर हो चुके हैं तो उसके द्वारा इकट्ठे किए गए ‘निराशाजनक’ रोजगार आँकड़ों पर आधारित कॉन्ग्रेस के मोदी सरकार पर हमले की विश्वसनीयता क्या है?

  2. अजय शाह को सेबी द्वारा दी गई सजा और सीबीआई से लेकर आयकर विभाग तक की उनके खिलाफ बैठी जाँच के आलोक में, उनकी कंपनी के सीईओ महेश व्यास ने कॉन्ग्रेस को घोषणापत्र में क्या सलाह दी, यह सवाल लाजिमी है। इसे भी कॉन्ग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए, और यह भी साफ़ करना चाहिए कि यदि कॉन्ग्रेस ने महेश व्यास की सलाह से कोई बात अपने घोषणापत्र में शामिल की, तो क्या वह उस पर अब भी कायम रहेगी?
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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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