Thursday, April 25, 2024
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बिजली की समस्या से सिर्फ बीमारी ही नहीं मौत भी झेल रहे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी: आदर्श नगर कैंप का आँखों देखा हाल

"और कहाँ जाते? मुस्लिमों के सताए हुए हैं कौन सा मुस्लिम देश हमें अपना लेगा। हम हिन्दुओं का एक ही देश है भारत, अगर हम यहाँ भी आराम से न रह सके तो मौत ही अच्छी। अब तो बस यहाँ इस उम्मीद में दिन काट रहे हैं कि एक दिन सब अच्छा होगा। हमें भी CAA के तहत नागरिकता मिलेगी, बच्चों का भविष्य आगे बढ़ेगा। अभी भी उम्मीद है लेकिन…"

उत्तरी दिल्ली के आदर्श नगर इलाके में मजलिस पार्क में रह रहे 200 पाकिस्तानी हिन्दू परिवारों का हाल जानने जब ऑपइंडिया की टीम पहुँची तो चारो तरफ फैले कीचड़, नाले का पानी, कूड़े का ढेर, गन्दगी, मच्छर और आस-पास दूसरी बस्तियों के टहलते मैले से सने सूअरों को देखकर थोड़ी देर के लिए एक सिहरन सी हुई कि यहाँ कितने बद्तर हालात में रह रहे हैं लोग। जहाँ न बिजली है, न पीने को स्वच्छ जल। कुछ कम्युनिटी शौचालय नजर तो आए लेकिन पीने के लिए पानी ही जब बड़ी मुश्किल से टैंकरों के जरिए लाइन लगाकर मिलता हो तो वहाँ के शौचालय की हालत देखने की हिम्मत नहीं हुई।

ऐसी विपरीत परिस्थियों में रहने को मजबूर यहाँ के 800 से अधिक लोगों की पिछले 8 सालों से चली आ रही बिजली की माँग भी सरकारी नियमों के मकड़जाल में फँसकर हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा ठुकरा दी गई थी। दयनीय हाल देखकर लगा कि देश की राजधानी दिल्ली में भी जब पाकिस्तान में बहुसंख्यक मुस्लिमों द्वारा सताए गए इन हिन्दुओं को राहत मिलता नजर नहीं आ रहा है तो और कहाँ किससे उम्मीद की जाए। ऐसे में हमने अपनी पत्रकारिता की जिम्मेदारियों को समझते हुए कैंप के लोगों से ही मुलाकात कर उनकी अब तक झेली गई ज़िंदगी को आपके सामने रखने का फैसला किया।

पाकिस्तानी हिन्दुओं के आदर्श नगर कैंप में वहाँ के प्रधान नेहरू लाल से मिलने से पहले, हमने कुछ महिलाओं, बच्चों से उनका हाल और उनके भारत आने की वजह जाननी चाही। कैंप में ज्यादातर पाकिस्तान के सिंध सूबे के हैदराबाद से हरिद्वार तीर्थयात्रा के बहाने एक बेहतर ज़िन्दगी की उम्मीद में भारत आए हैं। उनका साफ कहना है, “और कहाँ जाते? मुस्लिमों के सताए हुए हैं कौन सा मुस्लिम देश हमें अपना लेगा। हम हिन्दुओं का एक ही देश है भारत, अगर हम यहाँ भी आराम से न रह सके तो मौत ही अच्छी। अब तो बस यहाँ इस उम्मीद में दिन काट रहे हैं कि एक दिन सब अच्छा होगा। हमें भी CAA के तहत नागरिकता मिलेगी, बच्चों का भविष्य आगे बढ़ेगा। अभी भी उम्मीद है लेकिन…” कहकर जब वो महिला रुकी तो उसके मौन ने भी उस नाउम्मीदी की तरफ इशारा किया जिसे वहाँ साफ देखा जा सकता था।

आदर्श नगर पाकिस्तानी हिन्दू कैंप के नाउम्मीद शरणार्थी

कोई नाउम्मीद हो भी क्यों न? जब पिछले 8-10 सालों से कैंप में जीवन के लिए मिनिमम जरुरी सुविधाएँ भी न हों। चाहे वो पीने के लिए साफ पानी की समस्या हो, उचित शौचालय की या फिर बिजली की, बिजली की इसलिए भी क्योंकि इससे न सिर्फ गर्मियों-बरसातों में उन्हें साँप-बिच्छू का प्रकोप झेलना पड़ता है बल्कि मच्छरों से घिरे होने के कारण डेंगू-मलेरिया के साथ-साथ कुछ दूसरी पानी जनित बिमारियों का भी शिकार होकर मौत का सामना करना पड़ा।

वहाँ कैंप के मास्टर मूलचंद ने पूरे कैंप की बदहाली, कच्चे मकानों के निर्माण की लागत, उनके ढहने और असुरक्षित होने की कई समस्याओं के साथ वहाँ अक्सर घुटने तक लगने वाली नाले की पानी की समस्या के बारे में भी उन्होंने हमें विस्तार से बताया खासतौर से बारिश में झेले जाने वाले अपने उस दौर के बारे में जब बस्ती में घुटने से ज़्यादा पानी भर जाता है और ये लोग सड़क पर होते हैं। वहाँ से भी इन्हें वापस खदेड़ दिया दिया जाता है क्योंकि उनके पास कोई लिखित परमीशन नहीं होता। अक्सर बस्ती में रुके पानी और आस-पास की गंदगी की वजह से वहाँ रहने वाले लोग मच्छरों के प्रकोप के कारण डेंगू और मलेरिया के शिकार होते हैं।

आदर्श नगर कैंप में अभी कीचड़ पसरा था

इन सब पर आगे हमने वहाँ के प्रधान से नेहरू लाल से बात की जो उस समय बारिशों में टूट गई मंदिर को फिर से खड़ा करने और बनाने-सजाने में लगे थे। कैंप के काली मंदिर को दिवाली से पहले ठीक करने में वो अपने कुछ साथियों के साथ खुद जुटे हुए थे। हमने जब उनसे बात करनी चाही तो एक निराशा उनकी आँखों में दिखी, छूटते ही उन्होंने कहा, “पिछले 8 सालों से (2013 से) हम यहाँ रह रहे हैं बहुत लोगों से बात कर ली, कई नेताओं से मिले हर्षवर्धन जी भी यहाँ आए थे, यहाँ के केजरीवाल सरकार के विधायक के पास भी गए थे, मनोज तिवारी के पास भी गए लेकिन कुछ नहीं हुआ। हमारी गलती क्या है? यह भी कोई नहीं बताता अब तो हमें यहाँ से निकालने की भी तैयारी हो रही है। उधर पाकिस्तान में हमारा सब कुछ ख़त्म हो गया है और अब यहाँ से भी निकाल दिए गए तो कहाँ जाएँगे?”

ऑपइंडिया की टीम ने जब उनसे कहा कि हम आपकी बात एक नए सिरे से लोगों के सामने रखेंगे, क्या पता लोगों के दबाव और समर्थन के कारण आपकी उम्मीदों को रोशनी मिल जाए, कोई समाधान निकल आए। पिछले कई सालों से आपकी दिवाली में अँधेरा है शायद इस बार रोशनी की कोई किरण हाथ लग जाए। ऐसी बातें कहना आसान नहीं होता वो भी उनसे जो पिछले कई सालों से सरकारी नियमों, वैध-अवैध प्रमाण पत्रों और कागजों के जंजाल में उलझकर निराशा के एक अलग ही स्तर पर चले गए हैं। पूछते हैं कि कोई तो बताए हमारी गलती क्या है? हम क्या करें?

हमने उनसे निवेदन किया कि एक बार फिर आप अपनी पूरी समस्या हमें बताइए हम उसे वैसे ही देश के सामने रखेंगे। पहले आप उन्हें ही सुनिए—

आपने वीडियो में देखा होगा कैसे पाकिस्तान में बहुसंख्यक मुस्लिमों द्वारा सताए इन पाकिस्तानी हिन्दू परिवारों की मुश्किलें यहाँ बिलकुल भी कम नहीं हुई हैं। क्या राज्य की केजरीवाल सरकार, क्या केंद्र… दोनों मिलकर भी देश की राजधानी दिल्ली के उत्तर में पाकिस्तान से 2011 के बाद से ही अलग-अलग समय पर आए हिन्दू शरणार्थियों के तीन कैम्पों- मजलिस पार्क आदर्श नगर, मजनू का टीला और सिग्नेचर ब्रिज के करीब 450 परिवारों के कुल 1800-1900 हिन्दुओं के जीवन के लिए जरूरी मूलभूत सुविधाओं को भी उपलब्ध नहीं करा पाईं हैं।

बिजली, पानी, शौचालय जैसी कई बेसिक सुविधाओं के लिए यह लोग 2013 से ही प्रयासरत हैं। हालाँकि इन कैम्पों में प्रधानमंत्री स्वच्छता मिशन के तहत कुछ शौचालयों का निर्माण हुआ है लेकिन बिजली की समस्या अभी भी बनी हुई है। ऐसे में टैंकर के भरोसे रहने वाले इन लोगों के शौचालयों का हाल आप समझ सकते हैं जो इनकी कई दूसरी समस्याओं की वजह भी है-फिर चाहे वह स्वास्थ्य से जुड़ी हो, शिक्षा से या साँप-बिच्छुओं से सुरक्षा से। ये लोग जो बड़ी मुश्किल से मोबाइल कवर-टेम्पर बेचकर, दिहाड़ी मजदूरी करके अपनी आजीविका चला रहे हैं फिर भी दिल्ली में मुफ्त की नहीं बल्कि बिजली का बिल चुका कर, बिजली की माँग कर रहे हैं।

कैंप के प्रधान नेहरू लाल का साफ कहना है, “हमें बताया गया कि यह दिल्ली जल बोर्ड की जमीन है। हमें पता नहीं कोई नोटिस नहीं आया हमें, होगी किसी न किसी की, सरकार की जमीन है, पाकिस्तान से सर पर उठाकर तो हम लाए नहीं है। हम यहाँ कब्जा तो नहीं कर रहे हैं लेकिन जब तक हम यहाँ हैं तब तक तो हमें बिजली-पानी की सुविधा दे दो। जिससे इलाज का हमारा खर्चा भी बचेगा। आगे आप जब भी हमें जहाँ भेजना हो भेज देना हम वहाँ ख़ुशी-खुशी रहने चले जाएँगे।”

हमने थोड़ी पड़ताल की और कैंप के प्रधान से पूछा तो उन्होंने बताया कि तीन-चार साल पहले किसी तरह पैसे देकर जहाँगीरपुरी से इन्हें दो-तीन महीने बिजली मिली थी लेकिन वो भी केजरीवाल सरकार ने कटवा दी थी। यह बात 2018 की है। तभी यह बात भी आई थी कि दिल्ली जल बोर्ड की यह जमीन दिल्ली सरकार ने डिफेंस को दे दी है। जिसे उन्हें खाली कराकर देना था। और यही जमीन की मालकियत ही दिल्ली हाईकोर्ट के हालिया फैसले में उनकी संवैधानिक तरीके से बिजली की माँग को ख़ारिज करने की वजह भी बनी।

तब जब आदर्श नगर कैंप में रहने वाले हिन्दू शरणार्थियों की चंद दिनों के लिए आई बिजली दिल्ली सरकार ने काटी थी तो उस समय भी सोशल मीडिया पर एक आक्रोश उठा था। बात 2018 की ही है तब कई लोगों ने ट्वीट करते हुए केजरीवाल सरकार को लताड़ा था। लेकिन उसके बाद भी इस समस्या का कोई समाधान हमारी सरकारी मशीनरी ने निकालने की कोई जहमत नहीं उठाई।

गौरतलब है कि बिजली के सपने को साकार करने के लिए आदर्श नगर कैंप के लोगों ने कुछ एक्टिविस्टों की मदद से दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका डाली थी। जिस पर इसी महीने के 22 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने ही 200 पाकिस्तानी हिंदू प्रवासी परिवारों के लिए बिजली कनेक्शन की माँग वाली याचिका का दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध किया है।

सरकारी नियमों के चंगुल में फँसे यह शरणार्थी पिछले महीने से इस उम्मीद में थे कि शायद उनकी यह दिवाली रौशन हो, लेकिन अब दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल जवाब में बताया गया है कि यह शरणार्थी कैंप दिल्ली जल बोर्ड की जमीन पर अवैध अतिक्रमण है। जो वर्तमान में डिफेन्स की जमीन है। जिससे इन्हें बिजली कनेक्शन की मंजूरी नहीं मिल सकती।

बता दें कि अदालत ने पिछले महीने ही दिल्ली सरकार और केंद्र को पाकिस्तान से पलायन करने वाले हिन्दू परिवारों के लिए राहत की माँग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया था। जिस पर 22 अक्टूबर, 2021 को हुई सुनवाई में केंद्र ने अदालत को बताया है कि अगस्त 2018 में 70.253 एकड़ भूमि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन को हस्तांतरित की गई थी और वह संबंधित जिला प्रशासन और पुलिस के साथ रक्षा भूमि पर अनधिकृत कब्जे और अतिक्रमण को हटाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।

ऐसी अनगिनत समस्याओं के बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS), सेवा भारती, बजरंग दल, हिन्दू सेवा संघ जापान (HSS Japan) के साथ ही कुछ छिट-पुट NGO भी समय-समय पर पाकिस्तान से आए इन हिन्दुओं के लिए उम्मीद की किरण हैं। इसमें से खासतौर से HSS जापान अर्थात हिन्दू सेवा संघ जापान की जो आदर्श नगर के कैंप में एक तय मॉडल के तहत बच्चों-महिलाओं को क्रिएटिव एक्टिविटी, नृत्य, संगीत और भजन की शिक्षा के साथ ही स्किल डेवलॅपमेन्ट के तहत सिलाई और ब्यूटीपार्लर की बुनियादी जानकारी और प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें आजीविका के लिए सक्षम बना रही है।

चलते-चलते बस यही कहना है कि जो भी सक्षम अधिकारी हों, सरकार में बैठे लोग हों वो इनकी सुध लें क्योंकि आज भी और आगे भी हिन्दुओं की एक मात्र शरणस्थली भारत ही होगी जिनसे किसी भी देश में सताया जा रहा हिन्दू अंतिम रूप से भारत की ओर ही आशा की नजरों से देखेगा। और अगर अपने इस गौरवशाली देश में भी उसे निराश होना पड़ा तो इस निराशा की कीमत कई पीढ़ियों को चुकानी होगी।

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रवि अग्रहरि
रवि अग्रहरि
अपने बारे में का बताएँ गुरु, बस बनारसी हूँ, इसी में महादेव की कृपा है! बाकी राजनीति, कला, इतिहास, संस्कृति, फ़िल्म, मनोविज्ञान से लेकर ज्ञान-विज्ञान की किसी भी नामचीन परम्परा का विशेषज्ञ नहीं हूँ!

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