भारत में पशुओं के अधिकारों की आवाज उठाने वाले संस्थान पेटा इंडिया (PETA India) ने बकरीद पर मुस्लिमों को नाराज न करने का फैसला किया है। बकरीद में बकरियों और अन्य जानवरों की कुर्बानी दी जाती है और मुस्लिम लोग उसे खाते भी हैं। पशुओं के अधिकारों की बात पर आज पेटा इंडिया मौन धारण कर चुका है।
पेटा इंडिया ने ईद उल अज़हा (Eid Al Adha, बकरीद, Bakrid or Bakra Eid) पर ‘दर्द रहित कुर्बानी’ की भी अपील नहीं की है। संदेश के नाम पर हालाँकि पेटा ने ये ज्ञान जरूर दिया कि ‘सभी धर्म दया का संदेश देते हैं’।
All religions call for compassion. ❤️️#EidMubarak to everyone!#EidAlAdha #EidAlAdha2022 pic.twitter.com/q8W9dhUMXP
— PETA India (@PetaIndia) July 9, 2022
पेटा ने मज़हब के नाम पर पशुओं की कुर्बानी की अपील भी नहीं की। इसको आप पिछले कुछ दिनों की घटनाओं से जोड़ कर देख सकते हैं। पिछले कुछ समय से भारत में चरमपंथी मुस्लिमों द्वारा सिर कलम करने और हिंसा की घटनाएँ की गईं हैं। ऐसा उन्होंने अपने पैगंबर के अपमान का आरोप लगा कर किया।
बकरीद इब्राहिम द्वारा कथित तौर पर अपने बेटे इस्माईल की अल्लाह के लिए कुर्बानी का माद्दा दिखाने की याद में मनाया जाता है। इस दिन बकरियों व अन्य कई पशुओं को हलाल कर के उनका गोश्त रिश्तेदारों और गरीबों में बाँटा जाता है… खुद भी खाया जाता है।
पेटा इंडिया (PETA India) लगातार लोगों से शाकाहारी होने की अपील करता है। इसके लिए वो प्रदर्शनी और याचिकाएँ भी लगाता रहता है। इसके बाद भी उसने बकरीद पर भारत के 20 करोड़ से अधिक मुस्लिमों से बकरे या अन्य जानवरों को न काटने की अपील नहीं की।
हलाल का तरीका
जानवरों को हलाल करने की प्रर्किया को ज़िबह करना भी कहते हैं। इसमें जानवरों का अधिक खून निकलता है। इस्लामी मान्यताओं के मुताबिक रक्त अशुद्ध होता है। जानवरों का अधिक से अधिक खून निकलना ही हलाल का पहला उसूल होता है। ‘शरिया’ कहे जाने वाले इस्लामी कानून के मुताबिक हलाल के लिए तेज धार की चाकू होना जरूरी है और उस पर कोई खरोंच या रगड़ के निशान न हों। इसी के साथ उसी कानून में कहा गया है कि गर्दन काटने वाला हथियार गर्दन की चौड़ाई से 2 से 4 गुना बड़ा हो। उसी कानून में ये भी कहा गया है कि कुर्बानी से पहले जानवरों को अच्छी तरह से खिलाया-पिलाया गया हो।
जानवरों को हलाल करने के लिए किसी समझदार और वयस्क मुस्लिम का होना जरूरी बताया गया है। किसी गैर मुस्लिम द्वारा काटा गया जानवर हलाल नहीं बल्कि हराम माना जाएगा। यूरोपीय यूनियन के हलाल सर्टिफिकेशन विभाग के मुताबिक हलाल करते समय ‘अल्लाह के नाम पर कुर्बानी’ कहना जरूरी होता है। इसी के साथ ‘बिस्मिल्लाह’ और ‘अल्लाह हु अकबर’ भी बोला जाता है। इसी के साथ पशुओं को बाईं करवट लिटाया जाता है। कुर्बानी के दौरान उनका मुँह क़िबले (मक्का) की तरफ रखा जाता है।
पेटा इंडिया हिन्दू त्योहारों पर अक्सर उठाता है ऊँगली
मुस्लिमों को जानवरों की कुर्बानी पर एक भी शब्द न बोलने वाला पेटा इंडिया अक्सर हिन्दू त्योहारों पर आपत्ति दर्ज करवाता रहता है। साल 2020 की होली में पेटा इंडिया ने जानवरों पर रंग न डालने की अपील की थी।
This #Holi, be compassionate towards animals. Please DO NOT throw colours on them.
— PETA India (@PetaIndia) March 5, 2020
MORE TIPS: https://t.co/rtL9qHukaH pic.twitter.com/cNUCcCDbHk
साल 2019 में होली पर ये था पेटा इंडिया का ट्वीट। इस ट्वीट में पेटा इंडिया ने विगन ठंडाई (vegan thandai) पीने की अपील की थी।
Celebrate Holi with vegan thandai! #Recipe #HappyHoli https://t.co/9EjbjW0ToM pic.twitter.com/wYxTqUIWD7
— PETA India (@PetaIndia) March 19, 2019
इसी प्रकार की भावना दीपावली पर भी व्यक्त की गई थी। 2015 में पेटा ने आवाज रहित दीपावली मनाने की अपील करते हुए पटाखे आदि न फोड़ने की अपील की थी।
PETA celebrated Diwali in a noiseless, animal-friendly way, with our animal friends. #SayNoToPatakhas pic.twitter.com/og5nIzQxRN
— PETA India (@PetaIndia) November 12, 2015
साल 2020 में पेटा ने एक नियामवली बना कर पशुओं के वध का सही तरीका बताने का प्रयास किया था। उसी समय हिन्दू त्यौहार पर वो हर किसी से डेयरी प्रोडक्ट तक छोड़ने और विगन बनने की अपील करता है। पिछले कुछ सालों में पेटा ने जानवरों के अधिकारियों को लेकर धर्म के आधार पर कई बार अपना दोहरा रवैया दिखाया है। इस बकरीद पर पेटा द्वारा किसी प्रकार की अपील न करने के पीछे धार्मिक भावनाओं के आहत होने पर ‘सिर तन से जुदा’ का डर माना जा रहा है।