ईवीएम-वीवीपैट को लेकर 21 विपक्षी दलों की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दी है। इससे बीच लोकसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों को तगड़ा झटका लगा है। इन दलों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। इसमें टीडीपी, कॉन्ग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस सहित कई अहम दल शामिल थे। इन सभी दलों ने अदालत से चुनाव आयोग को 50% वीवीपैट पर्चियों की ईवीएम से मिलान करने का आदेश देने की माँग की थी, जिसे नकार दिया गया। सुनवाई के दौरान आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला मौजूद रहे। याचिका को ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने पूछा कि अदालत इस मामले को बार-बार क्यों सुने?
BREAKING: सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट पर 21 विपक्षी दलों की पुनर्विचार याचिका खारिज की, विपक्ष ने 50% ईवीएम मशीनों की वीवीपैट पर्चियों से मिलान की मांग की थी pic.twitter.com/jkVcIlnOum
— दूरदर्शन न्यूज़ (@DDNewsHindi) May 7, 2019
सीजेआई गोगोई ने कहा कि वो इस मामले में दखलअंदाज़ी नहीं करना चाहते हैं। विपक्षी दलों की तरफ से कॉन्ग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने ज़िरह की। जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने विपक्षी दलों द्वारा दायर की गई समीक्षा याचिका को ख़ारिज कर दिया। 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि हर विधानसभा क्षेत्र (असेंबली सेगमेंट) में 1 के बदले 5 ईवीएम-वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाएगा। विपक्षी दलों द्वारा 50% ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों के मिलान की माँग पर अदालत ने यह निर्णय लिया था।
सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला — EVM-VVPAT मामले में विपक्षी पार्टियों की पुनर्विचार याचिका खारिज की, सर्वोच्च अदालत ने कहा कि पुराने फैसले में बदलाव की जरुरत नहीं है! यानी 5 VVPAT मशीनों के वोटों का ही मिलान होगा ना कि 50 फीसदी … जिसकी कि मांग विपक्षी पार्टियां कर रही थी!
— Sumit Awasthi (@awasthis) May 7, 2019
वहीं अभिषेक मनु सिंघवी ने बाद में कहा कि मुख्य याचिका में 50% ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों के मिलान की बात कही गई है, लेकिन अदालत इसे 33% भी कर दे तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। जब अदालत ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया तो सिंघवी ने 25% ईवीएम व वीवीपैट पर्चियों के मिलान की माँग रखी, जिसे नकार दिया गया। विपक्षी दलों का कहना था कि इस प्रक्रिया को वास्तविक, असरदार और अर्थपूर्ण बनाने के लिए ज़रूरी है कि आधे ईवीएम व वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाए। अदालत ने समीक्षा याचिका में दिए गए तर्कों को योग्य नहीं समझा।
Supreme Court rejects review plea filed by twenty-one Opposition parties seeking a direction to increase VVPAT verification from five to at least 50% of EVMs during counting of votes in the general elections 2019-ANI
— Live Law (@LiveLawIndia) May 7, 2019
अदालत के फ़ैसले के बाद नाराज़ टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि वह फिर से चुनाव आयोग जाएँगे। उन्होंने कहा कि तीसरा व चौथा फ्रंट, सब विपक्ष का ही हिस्सा है और वे सभी मिलकर चुनाव बाद प्रधानमंत्री का नाम तय करेंगे। बता दें कि 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग को 20625 ईवीएम की वीवीपैट पर्चियाँ गिननी हैं, अर्थात प्रति विधानसभा क्षेत्र में पाँच ईवीएम की जाँच होगी। लेकिन, 21 राजनीतिक दलों के नेताओं ने लगभग 6.75 लाख ईवीएम की वीवीपीएटी पेपर स्लिप के मिलान की माँग की थी, जो कि एक कठिन, उबाऊ और विवाद पैदा करने वाली प्रक्रिया हो सकती थी।
चंद्रबाबू नायडू का सवाल है कि ईवीएम को 190 से भी अधिक देशों में से मात्र 18 देशों ने ही क्यों अपनाया है? इनमें से शीर्ष के 3 देश 10 सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश हैं। आंध्र के मुख्यमंत्री ने भाजपा पर ईवीएम को प्रोग्राम करने का आरोप मढ़ते हुए पूछा कि नए वीवीपैट में वोट स्लिप सिर्फ़ 3 सेकंड ही क्यों दिखाई देता है, जबकि इसे 7 सेकंड दिखाई देना चाहिए था? उन्होंने ईवीएम में छेड़छाड़ व गड़बड़ी किए जाने की बात कही। सुनवाई के समय वामपंथी नेता डी राजा भी अदालत में मौजूद थे।