Friday, April 26, 2024
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स्टेशन पर संतरे बेचे, ऑटो चलाया… आज है 125 ट्रक का मालिक – IIM में जीता फर्स्ट प्राइज

जिस बैंक मैनेजर ने दिया था पहला लोन, उसी को 12 साल बाद नौकरी देकर बनाया अपनी कंपनी का हेड ऑफ़ फाइनेंस। ₹400 करोड़ के सालाना कारोबार के लिए...

नागपुर के ट्रक ड्राइवर प्यारे खान की कहानी किसी को परीकथा लग सकती है, तो किसी को दिवास्वप्न। लेकिन यह पूरी तरह सच है। 2004 में ऑटो-रिक्शा चालक से ट्रक-चालक बनने के लिए ₹11 लाख के लोन की जद्दोजहद करने वाले खान को इसी 20 जून को दुबई के इन्वेस्टमेंट बैंक ने ₹80 करोड़ के लोन का ऑफर दिया है। सफलताएँ ऐसी ही बनती हैं।

एक ट्रक से शुरू हुई ₹400 करोड़ की कम्पनी

2004 में आईएनजी वैश्य बैंक से प्यारे खान को ₹11 लाख का लोन बहुत मुश्किल से मिला, क्योंकि उनके पास गिरवी रखने को कुछ खास नहीं था- लोन देने वाले मैनेजर ने एक तरह से अपनी ‘गट फीलिंग’ के आधार पर खान के ईमानदार होने की उम्मीद में जोखिम लिया था। मैनेजर भूषण बैस की उम्मीद को खान ने जाया नहीं जाने दिया, और 4 साल का लोन दो साल में ही चुका दिया। 2007 आते-आते खान 8 ट्रकों के मालिक बन चुके थे और 2013 में अश्मी रोड ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड को उन्होंने रजिस्टर करा लिया था।

उसके बाद उनका बिज़नेस धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हुआ और इतना बढ़ा कि 41-वर्षीय खान की अश्मी रोड ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड आज ₹400 करोड़ का सालाना कारोबार करती है। उनके पास खुद के 125 ट्रक हैं, और स्टील व ऊर्जा के आधाभूत ढाँचे की ढुलाई जैसे असाइनमेंट पूरा करने के लिए इनकी कंपनी रोज़ाना 3,000 ट्रक किराए पर लेती है। कम्पनी का ट्रांसपोर्टेशन केवल देश में ही नहीं, विदेशों में भी होता है। इसके 10 ब्रांच-ऑफिस हैं, जिसमें लगभग 500 कमर्चारी काम करते हैं।

माँ ने चार बच्चों को पालने के लिए संघर्ष किया

प्यारे खान बताते हैं कि उनकी माँ राईसा खातून ने उन्हें और उनके दो भाईयों-एक बहन को पालने के लिए बहुत संघर्ष किया था। उनके भाई-बहन भी नागपुर रेलवे स्टेशन पर संतरे बेचकर घर की सहायता करते थे। अपनी माँ की सहायता के लिए शुरुआती दिनों में उन्होंने लाइसेंस बनवाकर कुरियर कम्पनी में ड्राइवर की नौकरी की, लेकिन एक सड़क हादसे के बाद उन्हें वह छोड़ना पड़ा। इसके बाद उन्होंने पहले ऑटो-रिक्शा चलाया, फिर बस-चालक बने, और उसके बाद ट्रक। इतने संघर्ष के बादल जब वो यह बताते हैं कि नागपुर शहर के पास ही तीन एकड़ में फैले ₹7 करोड़ के कॉर्पोरेट ऑफिस में जल्द ही अश्मी रोड ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड का कार्यालय स्थानांतरित करने का उनका इरादा है, तो उनकी आँखों की चमक देखते बनती है। इस समय उनकी कम्पनी का पूरा ध्यान कारोबार को अधिकाधिक फैलाने की ओर है।

उनके सभी क्लाइंट्स उनकी ईमानदारी और मेहनत के कायल हैं। 2016 में भूटान में एक माल-ढुलाई के सिलसिले में उन्हें एक सड़क के नीचे की ज़मीन खोदकर अपने ऊँचे कन्साइनमेंट को निकालना पड़ा और उसके बाद उन्होंने वापस सड़क को समतल बनाया। यह उदाहरण सिर्फ इसलिए कि प्यारे खान समय पर माल पहुँचाने को तवज्जो देते हैं, नफा-नुकसान बाद में देखते हैं। इसके लिए उन्हें भूटान सरकार की ओर से प्रशस्ति-पत्र भी मिला था।

आज जब प्यारे खान की कम्पनी दुबई के इन्वेस्टमेंट बैंक इम्पीरियल कैपिटल एलएलसी के ₹80 करोड़ के लोन के प्रस्ताव पर बात करने जा रही है, तो खान के प्रतिनिधि वही भूषण बैस हैं, जिन्होंने प्यारे खान को उनका पहला लोन मंजूर किया था। आईएनजी वैश्य बैंक 2016 में छोड़ने वाले बैस अश्मी रोड ट्रांसपोर्ट के वित्त-प्रमुख (हेड ऑफ़ फाइनेंस) हैं। उन्होंने खान की सफलता और निष्ठापूर्ण बिज़नेस की इमेज से प्रभावित होकर ही उनकी कम्पनी में नौकरी मंज़ूर की।

IIM ने भी भेजा निमंत्रण

IIM-अहमदाबाद ने खान को अपनी एक केस-स्टडी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए निमंत्रण भेजा, जो वह महिंद्रा ट्रक एवं बस के साथ संयुक्त रूप से करा रहा था। लैपटॉप, अंग्रेजी और पावरपॉइंट प्रेज़ेंटेशनों के दबदबे वाली इस प्रतियोगिता तो दूर, खान को तो IIM क्या होता है, यह भी पता नहीं था- उन्होंने खाली स्टेज पर जाकर अपनी कम्पनी की कहानी सुना दी, वह भी हिंदी में – और प्रथम पुरस्कार जीता

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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