यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia-Ukraine War) के बाद रूस पर तरह-तरह प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, लेकिन इन सबमें महत्वपूर्ण आर्थिक प्रतिबंध है। अमेरिका और पश्चिमी देश (America and European Countries) रूस की अर्थव्यवस्था को नुकसान करने की दिशा में काम कर रहे हैं, ताकि रूस को घुटने पर लाया जा सके। इन प्रतिबंधों में वित्त कंपनियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई हैं। जो कंपनियाँ कल तक प्रतिस्पर्धा के नाम व्यवसाय कर रही थीं, वे अब युद्ध का हिस्सा बन गई हैं। हालाँकि, समय रहते मोदी सरकार ने कदम उठाया लिया और स्वदेशी RuPay को प्रमोट कर भारत के लिए एक वित्तीय कवच तैयार किया है।
रूस को रोकने के लिए अमेरिका से यूक्रेन के राष्ट्रपति वलादोमिर जेलेंस्की की फरियाद के बाद अमेरिका की दो दिग्गज वित्त कंपनियों- वीजा कार्ड (VISA) और मास्टरकार्ड (MasterCard) ने रूस में अपने ऑपरेशन को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। इन दोनों कंपनियों ने घोषणा की है कि रूस में जारी किए गए ये कार्ड विदेशों में और विदेशों में जारी किए गए कार्ड रूस में काम नहीं करेंगे। सीधे शब्दों में कहें तो रूसी बैंकों द्वारा लोगों को वीजा और मास्टरकार्ड के जारी किए गए डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड अब काम नहीं करेंगे।
पेमेंट कंपनियों (Payment Companies) की इस घोषणा के बाद रूस की अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। इससे ना सिर्फ खुदरा लेनदेन, बल्कि रूसी कंपनियों के व्यवासायिक कामकाज पर भी प्रभाव पड़ेगा। मास्टरकार्ड रूस में पिछले 25 सालों से ऑपरेट कर रहा है, जबकि वीसा भी लगभग इतने समय से वहाँ प्रमुख पेमेंट गेटवे है। इस समय रूस में 30 करोड़ से अधिक क्रेडिट और डेबिट कार्ड प्रयोग में हैं, जिनमें लगभग 21 करोड़ 60 लाख कार्ड इन्हीं दोनों कंपनियों के हैं। ये दोनों कंपनियाँ रूस में होने वाले खुदरा लेनदेन का 30 से 60% नियंत्रित करती हैं। दोनों ही कंपनियों को अपने नेट रेवेन्यू का करीब 4% रूस से जुड़े व्यवसाय से हासिल होता है।
इन दोनों कंपनियों की वैश्विक अर्थव्यवस्था में दखल और किसी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2020 में वीजा द्वारा विश्व भर में 188 अरब लेनदेन किया गया, जबकि मास्टरकार्ड द्वारा 113 अरब बार। इस तरह ये दोनों कंपनियाँ बड़ी से बड़ी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं।
जब पीएम मोदी ने भाँप ली थी वर्तमान स्थिति
आज के उदारीकरण और खुले बाजार में वित्त को नियंत्रित करने की शक्ति और उसके प्रभाव को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने स्वदेशी पेमेंट सिस्टम रुपे (RuPay) को बढ़ावा देने का निर्णय लिया था। रूस में इन दोनों कंपनियों द्वारा अपनाई गई नीति को पीएम मोदी ने बहुत पहले ही भाँप लिया था। उन्होंने 2018 में RuPay के इस्तेमाल को राष्ट्रवाद से जोड़ते हुए कहा था, “हर व्यक्ति देश की रखवाली करने के लिए सीमा पर नहीं जा सकता, लेकिन हम देश की सेवा के लिए RuPay का प्रयोग कर सकते हैं।”
इसके बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि भारतीय बैंकों को सिर्फ RuPay कार्ड को ही प्रमोट करना चाहिए। उन्होंने कहा था, “जब रुपे वैश्विक हो रहा है तो मुझे नहीं लगता कि इसके अलावा आपको (बैंकों को) किसी अन्य कार्ड को जारी करने की जरूरत है।” उन्होंने कहा था कि सरकार ने भी इसे प्रमोट करने के लिए सार्वजनिक लेनदेनों में इसका प्रयोग कर शुरू कर दी है। दरअसल, RuPay को प्रमोट करना मोदी सरकार की फाइनेंशियल इन्क्लूशन का हिस्सा था।
पिछले साल दिसंबर में मोदी सरकार ने घरेलू RuPay डेबिट कार्ड और कम मूल्य वाले डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए 13 अरब रुपए की योजना को मंजूरी दी थी। इसके तहत छोटे-छोटे लेनदेन को बढ़ावा देने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना शामिल था। इसमें प्रधानमंत्री द्वारा साल 2014 में शुरू की गई महत्वाकांक्षी परियोजना जनधन योजना के लाभार्थियों को भी डिजिटल पेमेंट का फायदा पहुँचाना शामिल था। इसके साथ ही इस योजना के लाभार्थियों को RuPay कार्ड ही जारी किए गए। इसके तहत अकेले 31.74 करोड़ डेबिट कार्ड जारी किए गए।
पीएम मोदी के प्रमोशन के बाद वीजा और मास्टरकार्ड के लिए चुनौती खड़ी हो गई। नवंबर 2020 तक भारत के 95.2 करोड़ डेबिट और क्रेडिट कार्ड में RuPay की हिस्सेदारी बढ़कर 63% पहुँचकर लगभग 60 करोड़ हो गई। यह 2017 से 15% की बढ़ोत्तरी थी। अब सरकार का RuPay को प्रमोट करने का प्रयास सफल होता दिख रहा है और वीजा और मास्टरकार्ड पीछे होते दिख रहे हैं। हालाँकि, डेबिट कार्ड सिगमेंट में RuPay कार्ड की हिस्सेदारी बढ़ी है, लेकिन क्रेडिट कार्ड सिगमेंट में इसकी हिस्सेदारी अभी भी बेहद कम सिर्फ 20 प्रतिशत यानी 9.7 लाख (नवंबर 2020 तक) है। आज RuPay को 200 से अधिक देशों में स्वीकार किया जाता है।
जब भारत के स्वदेशी पेमेंट गेटवे RuPay का दोनों ने किया था विरोध
भारत सरकार के इस प्रमोशन के बाद वीजा और मास्टरकार्ड ने विरोध किया था और कहा था कि इससे भारत में उनके हित प्रभावित होंगे। दोनों कंपनियों ने US Trade Representatives (USTR) के समक्ष यह मुद्दा उठाया। इनका कहना था कि पीएम मोदी स्वदेशी पेमेंट सिस्टम को प्रमोट करने के लिए राष्ट्रवाद का सहारा ले रहे हैं।
भारतीय बाजार पर अपना दबदबा कायम रखने रखने के लिए दोनों कंपनियों के कई तर्क दिए थे। यहाँ तक बाजार और प्रतिस्पर्धा का हवाला दिया था। वीजा ने कहा कि RuPay उसके लिए समस्या बन रहा है। उसने कहा था कि बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाए होनी चाहिए। मास्टरकार्ड कुछ साल पहले कहा था, “यह बहुत अच्छा है कि सरकार बाजार खोल रही है, लेकिन बाजार को प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होना चाहिए, न कि जनादेश से प्रेरित प्रतिस्पर्धा से। अगर प्रतियोगी नियामक बन जाता है तो यह चिंता की बात है।”
क्या है RuPay
भारत ने महसूस किया कि वैश्विक पेमेंट कंपनियाँ ना सिर्फ भारत से मुनाफा कमा रही हैं, बल्कि भारतीय यूजर का संवेदनशील डेटा भी चुरा रही हैं। वे इन डेटा का इस्तेमाल किसी भी रूप कर सकती हैं। इसलिए साल 2012 में National Payment Corporation of India (NPCI) ने भारत का स्वनिर्मित पेमेंट गेटवे RuPay कार्ड को लॉन्च किया। NPCI एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने प्रमोट किया था और अब कई वित्तीय संस्थाओं के स्वामित्व के अधीन है।