Friday, November 15, 2024
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इंडियन प्लेयर के जबरदस्त छक्के से टूट गई थी फाइव स्टार होटल की खिड़की और IPL में अब…

अगर आप सबसे कम छक्के लगाते हैं तो आईपीएल में आपकी कोई गुंजाईश नहीं है। अभी तक संपन्न हुए 11 सीजनों में 7 बार ऐसा हुआ है, जब सबसे कम छक्के लगाने वाली टीम सबसे निचले पायदान पर रही हो।

आईपीएल शुरू हो चुका है और उसके साथ ही क्रिकेट के सबसे रंगीन मौसम का आग़ाज़ भी हो चुका है। पहले क्रिकेट का नाम लेते ही रन, शतक और अर्धशतक की बातें होती थी लेकिन आईपीएल के उद्भव के बाद ये अब छक्कों-चौकों का त्यौहार बन चुका है। हर बाल पर बाउंड्रीज की चाहत लिए दर्शक भी इसी उम्मीद से टीवी और इंटरनेट से बँधे रहते हैं। और अगर हर बॉल पर छक्के लग रहें हों तो कहना ही क्या! बल्लेबाज भी आज हर बॉल को छक्के के लिए ऊपर उठाना चाहता है। अज़ीबोग़रीब शॉट्स के इस दौर में अगर छक्के लगाने से ही रन बन रहे हैं तो वही सही। दर्शकों का मनोरंजन बॉलर्स द्वारा विकेट लेने से नहीं होता बल्कि 6 बॉल पर 6 छक्के लगने से, यह अब एक जानी हुई बात है। कृष गेल, एबी डिविलियर्स और एमएस धोनी जैसे बल्लेबाज़ आज छक्के लगाने के लिए मशहूर हो चुके हैं और उनके क्रीज पर उतरते ही दर्शक मनोरंजन की उम्मीद में तालियाँ पीटता है, जो उसे मिलता भी है।

लेकिन, क्या आपको पता है कि पहले छक्के लगाना इतना आम नहीं था? जिस तरह से आज एक नया बल्लेबाज़ भी आकर समाँ बाँध देता है और बड़े से बड़े गेंदबाज़ों की भी धुलाई कर देता है, पहले ऐसा नहीं होता था। पहले छक्के क्रिकेट की दुनिया में सरप्राइज पैकेज होते थे। पहले के दिनों में छक्कों की वही अहमियत थी जो आज कमोबेश फुटबॉल में गोल की है। इसके लिए आपको एक वाकये से रूबरू कराने की ज़रूरत है। टेस्ट क्रिकेट की दुनिया के महानतम बल्लेबाज़ डोनाल्ड ब्रैडमैन ने जब अपने करियर का पहला छक्का मारा था, तब एडिलेड में त्यौहार जैसा माहौल बन गया था। ऐसी ही ख़ुशियाँ मनाई गई थीं, जैसी आज किसी देश द्वारा विश्व कप जीतने के बाद मनाई जाती है। ग्राउंड के बारटेंडर ने सारे दर्शकों को मुफ़्त में कोल्डड्रिंक और चिप्स बाँटे थे।

छक्कों का क्रिकेट की दुनिया में ऐसा महत्व हुआ करता था! इसी तरह जब भारतीय बल्लेबाज़ के श्रीकांत ने वेस्टइंडीज के ख़तरनाक गेंदबाज़ पैट्रिक पैटरसन की बॉल पर गगनचुम्बी छक्का मारा था, तब उस छक्के से तिरुवनंतपुरम के एक पाँच सितारा होटल की खिड़की का काँच टूट गया था। आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि उस छक्के के कारण टूटी हुई काँच को होटल मैनेजर ने सँजो कर रखा। उसने उसकी मरम्मत कराने से इनकार कर दिया। छक्कों की दुर्लभता के कारण लोगों की इनके प्रति दीवानगी भी ऐसी ही थी। ब्रैडमैन ने अपने पूरे टेस्ट व फर्स्ट क्लास करियर में सिर्फ़ 6 छक्के मारे। इसमें से एक भारत के ख़िलाफ़ था और बाकी इंग्लैंड के ख़िलाफ़। अब आईपीएल पर वापस आते हैं।

अगर आँकड़ों की बात करें तो मुंबई इंडियंस ऐसी टीम है जिसने जब भी कप जीता, उस सीजन में सबसे ज्यादा छक्के लगाए। मुंबई ने आईपीएल के छठे सीजन में 117, आठवें सीजन में 120 और दसवें सीजन में 117 छक्के लगा कर ट्रॉफी अपने नाम किया। अर्थात यह कि मुंबई ने जिस भी सीजन में सबसे ज्यादा छक्के लगाए, उसने ट्रॉफी हासिल की। कई टीमों के मामले में छक्के लगाना कप की गारंटी नहीं है। आईपीएल के पहले सीजन में सबसे ज्यादा छक्के लगाने वाली पंजाब रनर-अप भी नहीं रही। हाँ, चेन्नई सुपर किंग्स ने तीसरे सीजन में सर्वाधिक 95 छक्के लगा कर पहली बार ट्रॉफी अपने नाम की। अव्वल तो यह कि आईपीएल के पाँचवे सीजन में सर्वाधिक छक्के लगाने वाली आरसीबी (बेंगलुरु) सर्वाधिक 118 छक्के लगाने के बावजूद शीर्ष 4 में भी जगह नहीं बना पाई। यह दिखाता है कि छक्के हमेशा जीत की गारंटी नहीं होते।

आईपीएल में अबतक सबसे ज्यादा छक्के मारने वाले बल्लेबाज़ (साभार: IPLT20)

पूरे आईपीएल की बात करें तो क्रिस गेल छक्कों के मामले में बाकी के बल्लेबाज़ों से काफ़ी दूर खड़े नज़र आते हैं। आईपीएल में 292 छक्के लगा चुके गेल के आसपास भी कोई नहीं है। अब तक 292 छक्के लगा चुके गेल के बाद दूसरे नंबर पर आने वाले डिविलियर्स और उनके बीच 100 छक्कों से भी ज्यादा का अन्तर है, वो भी तब, जब डिविलियर्स ने गेल से ज्यादा मैच खेल रखे हैं। छक्कों के मामले में यह गेल के प्रभुत्व की कहानी कहता है। भारतीय बल्लेबाज़ों में एमएस धोनी के सबसे ज्यादा छक्के हैं, जो डिविलियर्स के बराबर ही है। इसके बाद रैना और रोहित शर्मा आते हैं, जो उनसे ज्यादा दूर नहीं हैं। कुल मिलकर देखें तो छक्कों के कारण ही गेल और डिविलियर्स जैसे बल्लेबाजों को देखने के लिए दर्शक उमड़ पड़ते हैं, भले ही वे उनकी फेवरिट टीम से न खेल रहें हों।

अतीत में छक्के लगाना इतना आम नहीं हुआ करता था। अब छक्के सरप्राइज़ पैकेज नहीं रहे। अब छक्के लगाना महान बनने की निशानी नहीं होती। भारत के सबसे विस्फोटक बल्लेबाज़ माने जाने वाले वीरेंद्र सहवाग ख़ुद छक्कों के मामले में आईपीएल में कभी अव्वल नहीं रहे। आईपीएल के तीसरे सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाकर ऑरेंज कैप हासिल करने वाले पहले भारतीय सचिन तेंदुलकर भी आईपीएल के किसी सीजन में छक्कों के मामले में अव्वल नहीं रहे। आईपीएल में छक्कों की पहली बरसात ब्रैंडन मैकुलम ने की थी। अगर पूरे सीजन की बात करें तो उस समय दुनिया के सबसे ख़तरनाक सलामी बल्लेबाज़ों में से एक माने जाने वाले सनथ जयसूर्या ने पहले सीजन में सर्वाधिक 31 छक्के लगाए थे। इसके बाद के सीजनों में हैडेन, गेल, मैक्सवेल, कोहली और पंत जैसे बल्लेबाज़ रहे। लेकिन, ये भी इस बात की गारंटी नहीं कि सबसे ज्यादा छक्के लगाने वाले बल्लेबाज़ की टीम ही फाइनल में जीत दर्ज करेगी।

लेकिन हाँ, अगर आप सबसे कम छक्के लगाते हैं तो आईपीएल में आपकी कोई गुंजाईश नहीं है। अभी तक संपन्न हुए 11 सीजनों में 7 बार ऐसा हुआ है जब सबसे कम छक्के लगाने वाली टीम सबसे निचले पायदान पर रही हो। अर्थात यह कि अगर किसी टीम या प्लेयर को आज की क्रिकेट में फिट बैठना है तो उसके पास छक्के लगाने की क्षमता होनी चाहिए। अगर फुल टॉस बॉल आ रही हो तो आपके पास उसे सीधे स्ट्रैट या एक्स्ट्रा कवर पर उठाने की क्षमता होनी चाहिए। ऑफ में आ रही शार्ट बॉल को पॉइंट पर उठाने की कला जाने बगैर आपको आईपीएल में वाहवाही नहीं मिल सकती। आजकल अंतिम समय तक इन्तजार करने के बाद गेंद को छक्के के लिए उठा कर विपक्षी टीम को चौंका देने का चलन भी बढ़ा है।

अब वो ज़माना गया जब डॉन ब्रैडमैन के एक छक्के पर दर्शकों को मुफ़्त में कोल्डड्रिंक और चिप्स नसीब होती थी। अब वो ज़माना भी गया जब श्रीकांत के छक्के से टूटी काँच को सहेज कर रख दिया जाता था। अब यह आम है। छक्के मनोरंजन की गारंटी है और मनोरंजन से आईपीएल का पूरा टूर्नामेंट चल रहा है। 12वाँ सीजन शुरू हो चुका है, लुत्फ़ उठाइए।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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