Thursday, April 25, 2024
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GST में 150 करोड़ का घोटाला, श्रीनगर की दो कंपनियाँ सिर्फ कागजों पर: UP से लेकर जम्मू-कश्मीर तक छापेमारी

श्रीनगर में इन कंपनियों के ठिकानों पर दबिश देकर आवश्यक दस्तावेज जब्त किए गए हैं। फिलहाल इस मामले की जाँच में पुलिस जुट गई है। फर्जी बिलों के जरिए जीएसटी घोटाला करने वालों पर सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।

जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) में इनपुट टैक्स के नाम पर 150 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ है। बताया जा रहा है कि कुछ लोगों ने फर्जी कंपनियाँ बनाकर लोगों के साथ जीएसटी टैक्स के नाम पर अवैध वसूली की है।

इस मामले की जानकारी जैसे ही जीएसटी के अधिकारियों को हुई, वैसे ही विभाग की टीमों ने शुक्रवार को दिल्ली, उत्तर प्रदेश के अलावा जम्मू-कश्मीर में भी कई जगह छापेमारी की। जानकारी के मुताबिक कुछ लोगों द्वारा बनाई गई फर्जी कंपनियाँ पिछले करीब दो सालों से अवैध रूप से टैक्स वसूल कर रही थीं। इन कंपनियों ने 1500 करोड़ रुपए की बिक्री करने के नाम पर 150 करोड़ रुपए का इनपुट टैक्स वसूल किया है। बताया जा रहा है कि इनमें से दो कंपनियाँ श्रीनगर की थीं, जो केवल कागजों पर थीं और उन्होंने जीएसटी के नाम पर इनपुट टैक्स वसूल किए थे।

विभागीय टीमों ने शुक्रवार को श्रीनगर में इन कंपनियों के ठिकानों पर दबिश देकर आवश्यक दस्तावेज जब्त किए। फिलहाल इस मामले की जाँच में पुलिस जुट गई है। दरअसल फर्जी बिलों के जरिए जीएसटी घोटाला करने वालों पर सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।

इससे पहले बीते बुधवार को रीमा पॉलीकैम के एक निदेशक को गिरफ्तार किया गया था। वहीं तीन कंपनियों पर 4198 करोड़ रुपए से ज्यादा के फर्जी चालान जारी करते हुए 660 करोड़ रुपए के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की धोखाधड़ी करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के मुताबिक, जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) मुख्यालय ने 3 मार्च को फॉर्च्यून ग्राफिक्स प्राइवेट लिमिटेड, रीमा पॉलीकैम प्राइवेट लिमिटेड और गणपति एंटरप्राइजेज के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। जाँच के दौरान सामने आया कि इन तीनों कंपनियों ने 4198 करोड़ रुपए के फर्जी चालान जारी किए थे।

आपको बता दें कि जीएसटी को 1 जुलाई 2017 को मोदी सरकार ने भारत में पेश किया था और इसी के साथ इसे पूरे भारत में लागू किया गया था। जीएसटी लागू होने के बाद इसे सरकार व कई अर्थशास्त्रियों ने स्वतंत्रता के बाद का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया था। हालाँकि इसका राजनीति कारणों से कई पार्टियों ने विरोध भी किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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