Saturday, April 27, 2024
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गैंडे असमी संस्कृति का हिस्सा, जलाए गए 2479 सींग: CM हिमंत बिस्वा सरमा ने मृत गैंडों का किया प्रतीकात्मक दाह संस्कार

वन विभाग के मुताबिक, पारंपरिक दवाओं में गैंडे की सींगों का उपयोग किए जाने के कारण काला बाजार में इसकी काफी कीमत है। पिछले सप्ताह ही राज्य मंत्रिमंडल ने गैंडों की सीगों का री-वेरिफिकेशन करने का आदेश दिया था।

विश्व गैंडा दिवस के मौके पर आज (22 सितंबर 2021) को असम में प्राकृतिक आपदाओं अथवा शिकार के कारण अपनी जान गंवाने वाले करीब 2,500 एक सींग वाले गैंडों का अंतिम संस्कार किया गया है। गैंडों की सीगों को जलाने से पहले असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक प्रतीकात्मक अनुष्ठान किया। हिंदू धर्म की रीति-रिवाजों के अनुसार अनुष्ठान के बाद इसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

इस कार्यक्रम को राइनो संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर बताया जा रहा है। इसका उद्देश्य गैंडे को लेकर फैले मिथकों को समाप्त करना था। असम के वन्यजीव वार्डन एमके यादव ने कहा, “शिकारियों और तस्करों के लिए यह एक स्पष्ट संदेश है कि इन चीजों का कोई मूल्य नहीं है।”

कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बताया कि हिंदू-परंपराओं के अनुसार अनुष्ठान किया गया है। ऐसा करके हमने शिकारियों का सख्त संदेश दिया है कि गैंडे की सीगों का कोई औषधीय महत्व नहीं है। इस दाह संस्कार के जरिए हम ये संदेश देना चाहते हैं कि गैंडे असमी संस्कृति का हिस्सा हैं औऱ ये बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।

इन सीगों को एकत्र करने की कवायद दशकों पहले शुरू हुई थी, इकट्ठा करने के बाद कोषागार में सुरक्षित रखा गया था। वन विभाग के मुताबिक, पारंपरिक दवाओं में गैंडे की सींगों का उपयोग किए जाने के कारण काला बाजार में इसकी काफी कीमत है। पिछले सप्ताह ही राज्य मंत्रिमंडल ने गैंडों की सीगों का री-वेरिफिकेशन करने का आदेश दिया था।

गौरतलब है कि 22 सितंबर को दुनिया भर में गैंडों की सभी पाँच प्रजातियों के लिए जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। विश्व गैंडा दिवस पहली बार 2011 में मनाया गया था।

कानून देता है अनुमति

कार्यक्रम में सरकार द्वारा गैंडों की सीगों को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 39(3) (C) के तहत जलाया गया है। पिछले महीने, गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने समारोह को लेकर एक जन सुनवाई की थी, लेकिन जनता से कोई आपत्ति नहीं मिली।

मृत गैंडों का अंतिम संस्कार कर असम सरकार शिकारियों को कड़ा संदेश देने की कोशिश कर रही है कि असम गैंडों को परिवार का सदस्य मानता है औऱ जो भी उन्हें नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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