Friday, May 16, 2025
Homeदेश-समाज'पीड़ित को सुने बिना SC/ST केस में नहीं दी जा सकती है बेल': दिल्ली...

‘पीड़ित को सुने बिना SC/ST केस में नहीं दी जा सकती है बेल’: दिल्ली हाईकोर्ट ने रद्द किया निचली अदालत का फैसला

अदालत ने कहा कि जज को पहले उक्त महिला को सुनना चाहिए, उसके बाद जमानत को लेकर कोई फैसला सुनना चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपित की जमानत रद्द किया।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने SC/ST एक्ट को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत पीड़ित को सुने बिना आरोपित को जमानत नहीं दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता को नोटिस दिए बिना आरोपित को बेल नहीं दी जा सकती। जस्टिस नवीन चावला ने बुधवार (14 फरवरी, 2024) को एक मामले की सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया।

असल में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार), 354B (सार्वजनिक रूप से किसी महिला को नग्न करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत एक शख्स के ऊपर मामला दर्ज किया गया था। साथ ही इसमें SC/ST एक्ट की धारा 3(1)(w)(i) (किसी दलित/जनजातीय समाज की महिला को गलत तरीके से छूना) और 3(2)(v) (दलित/जनजातीय समाज की महिला का अपमान करना) भी लगाई गई थी। शिकायतकर्ता महिला का कहना था कि उसे नोटिस दिए बिना निचली अदालत ने आदेश पारित कर दिया।

अदालत ने कहा कि जज को पहले उक्त महिला को सुनना चाहिए, उसके बाद जमानत को लेकर कोई फैसला सुनना चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपित की जमानत रद्द करते हुए वापस निचली अदालत में मामले को भेज दिया। हालाँकि, ये भी कहा गया कि आरोपित को अगले 15 दिनों में हिरासत में न लिया जाए, या फिर जब तक स्पेशल जज कोई अगला आदेश नहीं दे देते। पीड़िता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पैस, मिहिर सैमसन, असवारी सोढ़ी और गार्गी सेठी पेश हुईं।

वहीं सरकार की तरफ से इस मामले में एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर (APP) शोएब हैदर ने प्रतिनिधित्व किया। वहीं आरोपित की तरफ से अदालत में सीनियर एडवोकेट कर्मण्य सिंह चौधरी, ऋतिक और लविश ने पैरवी की। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट को खत्म कर दिया था, लेकिन भारी विरोध के बाद इसे केंद्र सरकार को वापस लाना पड़ा था। कई बार एससी-एसटी एक्ट के दुरूपयोग की खबरें भी आती रही हैं। कई संगठन इसके खिलाफ अब भी मुखर हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

5 दिन में ही डोनाल्ड ट्रंप ने लिया U टर्न, भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने के दावे से पीछे हटे: अमेरिका का ‘जीरो टैरिफ’...

एस जयशंकर ने कहा, "व्यापार वार्ता चल रही है, लेकिन अभी कुछ तय नहीं हुआ। कोई भी सौदा दोनों देशों के लिए फायदेमंद होना चाहिए।"

भाड़ में जाओ ट्रंप… बीत गए वे दिन जब दुनिया को नचाता था अमेरिका, ‘नया भारत’ किसी के दबाव में नहीं करता समझौते: अपने...

भारत अपने फैसले खुद लेता है। बात चाहे पाकिस्तान से लड़ाई की हो या संघर्ष विराम की। मिस्टर ट्रंप - दिल्ली आपके इशारे पर नहीं चलता।
- विज्ञापन -