Wednesday, October 16, 2024
Homeदेश-समाजमेरी झोरा-बोरा की औकात, मौका मिले तो चुनाव लड़ने का निर्णय लूँगा, लोगों की...

मेरी झोरा-बोरा की औकात, मौका मिले तो चुनाव लड़ने का निर्णय लूँगा, लोगों की सेवा के लिए राजनीति में आऊँगा: पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय

“मेरे घर के दरवाजे हमेशा गरीबों, हर वर्ग के लोगों के लिए खोल के रखा। जिस दिन मैंने वीआरएस लिया उस दिन तक मैंने एक-एक आदमी से उनकी बात सुनी। इसमें कोई राजनीति है क्या? गरीब का बेटा हूँ ना, यही मेरे काम करने का तरीका है।”

स्वेच्छा से रिटायरमेंट (VRS) के एक दिन बाद बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने फेसबुक के जरिए अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने पढ़ाई की, कैसे आईपीएस अधिकारी बने। पांडेय ने कहा कि उन्होंने सिविल सर्विस में कभी कोई कोचिंग नहीं की। पटना यूनिवर्सिटी में 100 रुपए में कोचिंग मिलती थी लेकिन उन्होंने कोई कोचिंग नहीं की। उन्होंने कहा, “मैं जिद्दी बहुत था, हौसला था, यही दृढ़ इच्छा थी जिसकी वजह से मैं यहाँ तक पहुँचा। मेरा कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं रहा। मैं इस जगह तक पहुँचा तो इसमें मेरे माता-पिता का आशीर्वाद है।”

गुप्तेश्वर पांडेय ने फेसबुक लाइव में बताया, “मेरे माता-पिता बेहद सहज-सरल स्वभाव के थे। आईपीएस बनने के बाद चतरा में मेरी पोस्टिंग हुई। वह नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था। इसके बाद मेरी पोस्टिंग बेगूसराय में हुई। 90 के दशक में वहाँ काफी अपराध था, मेरे जाने के बाद 40 दुर्दांत अपराधियों का एनकाउंटर हुआ। मेरे वहाँ पोस्टिंग के बाद हालात बिल्कुल बदल गए, आपराधिक वारदातों पर लगाम लग गई। जाने के बाद 500 नौजवानों को संगठित किया, आम लोगों की शांति के लिए उन्होंने सहयोग किया। जिसके बाद 40 अपराधी मारे गए, कई अपराधियों ने सरेंडर किया।”

गुप्तेश्वर पांडेय ने बताया कि जब भी उनकी कहीं पोस्टिंग हुई तो उन्होंने अपनी जिम्मेदारी संभाली। कम्यूनिटी पोलिसिंग के जरिए उन्होंने अपराध को खत्म करने की कोशिश की। जहाँ-जहाँ वो एसपी रहे, चाहे नालंदा, बेगूसराय कहीं भी पोस्टिंग हुई हो, जनता से जुड़े रहना उनके स्वभाव में शामिल है। उन्होंने कहा, “मेरे घर के दरवाजे हमेशा गरीबों, हर वर्ग के लोगों के लिए खोल के रखा। जिस दिन मैंने वीआरएस लिया उस दिन तक मैंने एक-एक आदमी से उनकी बात सुनी। इसमें कोई राजनीति है क्या? गरीब का बेटा हूँ ना, यही मेरे काम करने का तरीका है।”

चुनाव लड़ने वाली बात को लेकर हो रही अटकलों पर बात करते हुए गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा, “मैं जो भी बोलता हूँ बिल्कुल दिल से बोलता हूँ। मेरा भाव गलत नहीं होता है। मैंने अभी कोई पार्टी ज्वाइन करने का ऐलान तो नहीं किया। मैं चुनाव लड़ूँगा, यह भी कहीं नहीं कहा। इस्तीफा तो दे दिया। चुनाव लड़ना कोई पाप है? मैं पहली बार ऐसा कर रहा हूँ क्या? या करूँगा क्या? ये कोई पाप है? ये गैरकानूनी है? यह असंवैधानिक है? यह अनैतिक है क्या? हत्या करने वाले, अपराध करने वाले, जिनके ऊपर 50 FIR हैं, वो अगर चुनाव लड़ सकते हैं, तो मैंने कौन सा ऐसा अपराध कर दिया? एक गरीब किसान का बेटा चुनाव नहीं लड़ सकता क्या? जिसकी 34 साल की सेवा बेदाग रही है।”

पूर्व डीजीपी ने आगे कहा कि कई लोग उन्हें सुशांत सिंह राजपूत के केस से जोड़ रहे हैं। उनके वीआरएस को सुशांत केस से क्यों जोड़ रहे हैं। सुशांत बिहार का बेटा था वो, पूरे देश की शान था वो, जिस तरह से उसकी मौत हुई, उनके पिता के एफआईआर के बाद उन्होंने सिर्फ वही किया जो पुलिस अधिकारी होने के नाते उनका दायित्व था। कोई कुछ भी बोल सकता है। सुशांत मामले से उनके वीआरएस का कुछ भी लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, “कोई कुछ भी कहे लेकिन मैं कहता हूँ कि अगर जरूरत पड़ी तो मैं राजनीति में जरूर आऊँगा। मेरा मनोबल गिराने की कोशिश हो रही है। सुशांत के केस से जोड़ा जा रहा लेकिन मेरी कोशिश यही है कि सुशांत को जस्टिस मिले।”

इस दौरान उन्होंने उन लोगों पर जमकर हमला बोला, जो उनके वीआरएस लेने के फैसले को राजनीति से जोड़ रहे हैं। फेसबुक लाइव के दौरान पांडे ने एक पुरानी घटना का जिक्र किया और बताया कि उन्होंने 8 साल पहले एक महादलित की बेटी का कन्यादान किया था। उनके घर में मंडप लगा था। ब्राह्मण के घर में दलित की बेटी का कन्यादान किया। बिहार के पूर्व डीजीपी ने इस घटना का जिक्र करते हुए पूछा क्या मैं उस समय चुनाव लड़ने के लिए यह काम किया था?

वो आगे कहते हैं, अगर मौका मिले, तो मैं चुनाव लड़ने का भी निर्णय लूँगा। मैं एक स्वतंत्र नागरिक हूँ। राजनीति में आने पर लोगों को बता दूँगा कि सेवा क्या होता है। मैं लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति में आऊँगा। किसी भी पर्व के दौरान किसी तरह का सांप्रदायिक विवाद उत्पन्न नहीं हुआ। ये सब जनता, अधिकारी और मुख्यमंत्री के सहयोग से संभव हुआ। राजनीति में आने पर किसी पर भी व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करूँगा। सकारात्मक टिप्पणी करूँगा। मेरी झोरा-बोरा की औकात है और उसी औकात से अपने बक्सर जा रहा हूँ।”

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

बच्चे के सामने सेक्स करना POCSO का अपराध, नंगा होना माना जाएगा यौन उत्पीड़न के बराबर: केरल हाई कोर्ट का फैसला, जानिए क्या है...

केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी नाबालिग के सामने नग्न होकर सेक्स करना POCSO के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।

कार में बैठ गरबा सुन रहे थे RSS कार्यकर्ता, इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ ने घेर कर किया हमला: पीड़ित ने ऑपइंडिया को सुनाई आपबीती

गुजरात के द्वारका जिले में आरएसएस स्वयंसेवक पर हमला हुआ, जिसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि वह अपनी कार में गरबा सुन रहा था।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -