Friday, April 26, 2024
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नक्सलियों ने बनाया था ‘U व्यूह’, 15 दिन किया इंतजार: हत्या से पहले काटे इंस्पेक्टर के हाथ, टीम लीडर पर जवानों से अधिक हमले

'U शेप' व्यूह 15 दिन पहले बना ली गई थी। 3 गाँव खाली करा लिए गए थे। जब सुरक्षाबल इस जाल में फँसे तो टीम का नेतृत्व कर रहे जवानों पर अधिक हमले किए गए। ऐसा करके नक्सलियों ने...

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सली हमले में 22 जवानों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। सशस्त्र बलों को गुप्त सूचना मिली थी कि एक बड़ा माओवादी कमांडर वहाँ छिपा हुआ है, जिसके बाद वो इलाके में पहुँचे थे। बीजापुर में हुए इस हमले में नक्सलियों ने ‘U’ शेप का व्यूह बनाया हुआ था। यहाँ तक कि सशस्त्र बलों तक वो ‘गुप्त सूचना’ भी उन्होंने ही पहुँचवाई थी। इसके बाद वो जैसे ही इलाके में पहुँचे, माओवादियों ने अपना जाल बिछा कर हमला बोल दिया।

इस माओवादी हमले का नेतृत्व प्रतिबंधित संगठन के ‘बटालियन नंबर 1’ का कुख्यात कमांडर माडवी हिडमा कर रहा था, जिसकी तलाश पुलिस को कई वर्षों से है। उसने अपने साथ 300 की संख्या में नक्सलियों को जुटाया और आसपास के 3 गाँवों को खाली करा लिया। जानबूझ कर जवानों को जंगल वाले इलाके में ले जाया गया। जब तक जवानों को इसका पता चलता, वो फँस चुके थे और भौगोलिक रूप से भी सही स्थिति में नहीं थे।

वो जगह ऐसी थी, जहाँ दोनों तरफ से पहाड़ियाँ थीं और माओवादियों की फायरिंग चालू थी। जवान न भाग सकते थे और न उनके पलटवार का ज्यादा असर होता। जब जवानों ने वहाँ से लौटने की कोशिश की तो उन्हें घेर लिया गया। ‘U शेप व्यूह’ के बारे में बता दें कि इसमें भागने के लिए एक ही जगह होती है – वो रास्ता, जहाँ से आपने एंट्री ली हो। जीरागाँव 3 ओर से पहाड़ियों से घिरा है और लौटते हुए जवानों पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई।

जब वो वापस उसी रास्ते से लौटने लगे, तब माओवादियों ने उन्हें घेर लिया। बता दें कि महाभारत युद्ध के तीसरे दिन जब भीष्म पितामह ने दुर्योधन के साथ मिल कर ‘गरुड़’ के आकार की व्यूह रचना की थी, तब पांडवों ने ‘U शेप’ का व्यूह बना कर ही उसे ध्वस्त करने में सफलता पाई थी। इसी ‘U शेप’ एनकाउंटर का सामना जवानों को बीजापुर में करना पड़ा। माडवी हिडमा ने बस्तर के विभिन्न इलाकों से नक्सलियों को बुलाया था।

उसकी साजिश काफी पुरानी थी, लेकिन सशस्त्र बलों ने 15 दिनों तक क्षेत्र में जाना उचित नहीं समझा। वो बौखलाता जा रहा था क्योंकि इतने दिनों तक इतनी बड़ी संख्या में नक्सलियों के रहने और राशन-पानी की व्यवस्था में खासा खर्च आ रहा था। शुक्रवार (अप्रैल 2, 2021) को 1700 जवानों ने सुकमा और बीजापुर में तलाशी अभियान शुरू किया था। 11 बजे अभियान शुरू हुआ और 45 मिनट बाद 450 जवानों का एक दल जोनगुडा, जीरागाँव और टेकलगुड़ुम से अपने कैम्प लौट रहा था।

तीनों गाँव पहले ही नक्सलियों द्वारा खाली करा लिए गए थे। जंगलों और पत्थरों के कारण ये नक्सलियों का गढ़ है और वो उसी का फायदा उठा कर छिपे हुए थे। ये भी माना जा रहा है कि पुलिस-प्रशासन ने माओवादियों की क्षमता को कम कर के आँका। माओवादियों की संख्या के बारे में उन्हें पता था लेकिन रणनीतिक योजना नहीं बनाई गई। नक्सलियों ने पहले ही सारी प्रैक्टिस कर ली थी। टीम का नेतृत्व कर रहे जवानों पर अधिक हमले किए गए।

फील्ड कमांडरों को निशाना बनाया गया। CRPF कोबरा और ‘डिस्ट्रिक्ट रिज़र्व गार्ड (DRG)’ के फील्ड कमांडरों को निशाना बनाया गया। सिल्गेर गाँव में छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा कैम्प स्थापित करने के फैसले से माओवादी भड़के हुए थे। इस कैम्प के बनने से बीजापुर और सुकमा के बीच माओवादियों का ‘सेफ रूट’ ख़त्म हो जाता। मार्च से जुलाई के बीच हर साल नक्सलियों के खिलाफ वार्षिक ऑपरेशन चलाया जाता है।

इस हमले में 31 जवान घायल हुए हैं और कई अभी भी गायब बताए जा रहे हैं। माओवादियों की एक टुकड़ी ने एक इंस्पेक्टर की हत्या से पहले उनका हाथ काट डाला और फिर हथियार लूट कर फरार हो गए। उन्होंने बुलेटप्रूफ जैकेट्स और बंदूकें भी लूट ली। कुछ जवान डिहाइड्रेशन की वजह से बलिदान हो गए। डेढ़ दर्जन के करीब नक्सलियों की लाशें भी मिली हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह असम में चुनावी अभियान बीच में छोड़ कर दिल्ली लौटे और बैठकें की।

माडवी हिडमा की उम्र लगभग 40 वर्ष है। वह सुकमा जिले के पुवर्ती गाँव का रहने वाला है। 90 के दशक में वह नक्सली बना था। नक्सल कमांडर माडवी हिडमा कई नामों से जाना जाता है। मसलन, संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोडियाम भीमा। बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ पुलिस समेत कई नक्सल प्रभावित राज्यों की पुलिस इस मोस्टवांटेड नक्सली की तलाश में है। हिडमा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGa) बटालियन नंबर 1 का प्रमुख है और ऐसे घातक हमले करने के लिए जाना जाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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