Friday, April 26, 2024
Homeदेश-समाजमुस्लिम या इससे बनने वाले दलितों को आरक्षण का लाभ मिले या नहीं, सुप्रीम...

मुस्लिम या इससे बनने वाले दलितों को आरक्षण का लाभ मिले या नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से माँगा जवाब: प्रशांत भूषण ने की ‘दलित ईसाइयों’ की पैरवी

पिछले साल भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने आरक्षण को लेकर राज्यसभा में एक अहम बयान दिया था। उस वक्त वह कानून मंत्री थे।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (30 अगस्त, 2022) को हिंदू धर्म से ईसाई और इस्लाम मजहब में धर्मांतरित हुए दलितों को आरक्षण का फायदा मिलने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा। अदालत ने धर्मांतरित हुए दलितों के आरक्षण दिया जाए या नहीं, इस मुद्दे पर केंद्र से तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने का अनुरोध किया और दूसरे पक्ष को उसके बाद जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।।

सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह कहते हुए स्थगन की माँग की कि मामले को लंबे समय के बाद सूचीबद्ध किया गया है। इस बीच, याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने शीर्ष न्यायालय के समक्ष कहा कि अगर केवल दलित हिंदुओं को आरक्षण प्रदान किया जाता है, तो दलित ईसाई जो आमतौर पर ‘काफी शिक्षित’ होते हैं, वे इसका विरोध करेंगे।

मुस्लिम और ईसाई बन चुके दलितों को आरक्षण का लाभ नहीं

गौरतलब है कि पिछले साल भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने आरक्षण को लेकर राज्यसभा में एक अहम बयान दिया था। उस वक्त वह कानून मंत्री थे। उन्होंने कहा था कि ईसाई या इस्लाम मजहब अपना चुके दलित सरकारी नौकरियों में आरक्षण लेने का दावा नहीं कर सकते हैं। ये लोग आरक्षण से जुड़े अन्य लाभ भी नहीं ले पाएँगे। उन्होंने ये भी कहा था कि धर्म परिवर्तन करने वाले दलित संसद और विधानसभा के लिए आरक्षित सीटों पर भी चुनाव लड़ने के योग्य नहीं माने जाएँगे।

सिर्फ हिन्दू, सिख या बौद्ध धर्म स्वीकार करने वाले अनुसूचित जाति के लोग आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के योग्य होंगे।। इसके साथ ही पूर्व कानून मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया था कि संसदीय या लोकसभा चुनाव लड़ने वाले इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित होने वाले अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति को निषेध करने के लिए संशोधन का प्रस्ताव मौजूद नहीं।

बता दें कि 1950 में जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने केवल हिंदू धर्म के दलितों के लिए आरक्षण का आदेश पारित किया था। 1956 में इसमें सिखों और 1990 में बौद्ध को भी जोड़ दिया गया था। यानी, अनुसूचित जाति के लोग ईसाई और इस्लाम के अलावा अन्य किसी भी धर्म में कन्वर्ट हो रहे हैं, तो उन्हें पहले की तरह सारे फायदे मिलते रहेंगे।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

लोकसभा चुनाव 2024: दूसरे चरण की 89 सीटों पर मतदान, 1198 उम्मीदवारों का फैसला करेंगे मतदाता, मैदान में 5 केंद्रीय मंत्री और 3 राजघरानों...

दूसरे चरण में 5 केंद्रीय मंत्री चुनाव मैदान में हैं, जिसमें वी. मुरलीधरन, राजीव चंद्रशेखर, गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी और शोभा करंदलाजे चुनाव मैदान में हैं।

हिंदुओं से घृणा और इस्लामी कट्टरपंथ से मोहब्बत: प्रिंसिपल परवीन शेख पर ऑपइंडिया की रिपोर्ट से जागा मशहूर सोमैया स्कूल, बोला- करेंगे कार्रवाई

सोमैया ट्रस्ट ने ऑपइंडिया की रिपोर्ट के जवाब में कहा कि हमें परवीन शेख के इस पहलू के बारे में पता नहीं था, ये पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe