Thursday, May 2, 2024
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दिल्ली की मस्जिदों से नहीं हटेगा अतिक्रमण, हाई कोर्ट ने लगाई रोक: रेलवे ने 15 दिन में जमीन खाली करने का दिया था नोटिस

वक्फ बोर्ड ने अपनी याचिका में कहा है कि बंगाली मार्केट मस्जिद करीब 250 साल और तिलक मार्ग मस्जिद 400 साल पुरानी है। ऐसे में इन नोटिसों को रद्द कर दिया जाना चाहिए। इन मस्जिदों को 1945 में कानूनी तौर पर एग्रीमेंट के जरिए जमीन ट्रांसफर किए जाने का हवाला भी याचिका में दिया गया है।

दिल्ली की दो बड़ी मस्जिदों से अतिक्रमण नहीं हटेगा। बाबर रोड के बच्चू शाह मस्जिद जिसे बंगाली मार्केट मस्जिद भी कहते हैं और आईटीओ के तिलक मार्ग रेलवे ब्रिज के पास स्थित तकिया बब्बर शाह मस्जिद के खिलाफ कार्रवाई पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। उत्तर रेलवे प्रशासन ने नोटिस जारी कर इन मस्जिदों से अपनी जमीन से अवैध कब्जा हटाने को कहा था। इसके लिए 15 दिन का समय दिया था। ऐसा नहीं होने पर एक्शन लेने की चेतावनी दी थी।

इसे चुनौती देते हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने 26 जुलाई 2023 को इस पर सुनवाई करते हुए नोटिस पर स्टे लगा दिया। जस्टिस प्रतीक जालान की पीठ ने कहा कि रेलवे अपनी भूमि से अनधिकृत ढाँचों और अतिक्रमण को हटाने के लिए मस्जिदों पर चिपकाए गए नोटिस पर आगे कोई कार्रवाई ना करे

वक्फ बोर्ड के वकील वजीह शफीक ने कहा कि जाँच करने पर पता चला है कि मस्जिदों पर चिपकाए गए नोटिस मंडल रेलवे प्रबंधक के कार्यालय से जारी किए गए थे। इस नोटिस में कोई फाइल नंबर, तारीख, हस्ताक्षर, जारी करने वाले व्यक्ति का नाम या पद नहीं है। उन्होंने रेलवे द्वारा कार्रवाई की आशंका जताते हुए अदालत से इस पर रोक की गुहार लगाई।

वक्फ बोर्ड ने अपनी याचिका में कहा है कि बंगाली मार्केट मस्जिद करीब 250 साल और तिलक मार्ग मस्जिद 400 साल पुरानी है। ऐसे में इन नोटिसों को रद्द कर दिया जाना चाहिए। इन मस्जिदों को 1945 में कानूनी तौर पर एग्रीमेंट के जरिए जमीन ट्रांसफर किए जाने का हवाला भी याचिका में दिया गया है। कहा गया है कि ये मस्जिद अनधिकृत नहीं हैं और जमीन रेलवे की नहीं है।

सुनवाई के दौरान अदालत ने भी नोटिस की प्रकृति पर सवाल उठाए। कहा कि नोटिस पर हस्ताक्षर नहीं किए गए थे। उस प्राधिकरण का उल्लेख नहीं किया गया था, जिसके तहत उन्हें जारी किया गया। अदालत ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि नोटिस कथित तौर पर रेलवे प्रशासन, उत्तर रेलवे, दिल्ली द्वारा जारी किया गया एक सामान्य नोटिस है, जो 15 दिनों के भीतर रेलवे भूमि से मंदिरों/मस्जिदों/मजारों को स्वेच्छा से हटाने का आह्वान करता है, अन्यथा उन्हें रेलवे प्रशासन द्वारा हटा दिया जाएगा। यह नोटिस अहस्ताक्षरित, अदिनांकित हैं और उस प्राधिकार का उल्लेख नहीं करते जिसके तहत उन्हें जारी किया गया है। फिलहाल इन नोटिसों के अनुसार कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।” इस दौरान केंद्र सरकार के वकील ने इस मुद्दे पर ‘स्पष्ट निर्देश’ लेने के लिए अदालत से समय देने की अपील की थी।

उत्तर रेलवे प्रशासन की तरफ जारी नोटिस में कहा गया था, “सर्व साधारण को सूचित किया जाता है कि रेलवे भूमि को अनाधिकृत रूप से अतिक्रमित किया गया है। आप लोग अनाधिकृत रूप से रेलवे की जमीन पर बने अनाधिकृत भवन/मंदिर/ मस्जिद/मजार को इस सूचना के 15 दिन के अंदर स्वेच्छा से हटा दें। अन्यथा रेलवे प्रशासन एक्शन लेगा। रेलवे अधिनियम के प्रावधान के तहत अनाधिकृत कब्जे को हटा दिया जाएगा। इस प्रक्रिया में होने वाले नुकसान के लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे। रेलवे प्रशासन जिम्मेदार नहीं होगा।” आज तक की रिपोर्ट के अनुसार तकिया बब्बर शाह मस्जिद के बगल में स्थित एमसीडी के मलेरिया दफ्तर को भी खाली करने का नोटिस दिया गया था।

इससे पहले इसी साल अप्रैल में भूमि और विकास कार्यालय (L&DO), नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) ने एक संयुक्त अभियान में बंगाली मार्केट की मस्जिद के एक हिस्से को ध्वस्त कर दिया था। इस कार्रवाई के दौरान एक दीवार हटाई गई थी। अधिकारियों ने बताया था कि कुछ महीने पहले अतिक्रमण कर कंक्रीट की यह दीवार खड़ी की गई थी। वहीं मस्जिद के अधिकारियों का कहना था कि कार्रवाई से पहले उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई थी।

वहीं 2 जुलाई 2023 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के भजनपुरा में एक सड़क को चौड़ा करने के लिए फुटपाथ पर बने दो धार्मिक स्थलों को हटाया गया था। लोक निर्माण विभाग (PWD) ने इस दौरान एक हनुमान मंदिर और एक दरगाह को हटाया था। अभियान के दौरान भारी संख्या में बलों की तैनाती की गई थी। साथ ही ड्रोन से पूरे इलाके की निगरानी हो रही थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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