दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाओं पर न्यायालय द्वारा विचार किए जाने से पहले ही संबंधित दस्तावेज, हलफनामे आदि मीडिया को जारी करने पर चिंता जताई है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की खंडपीठ ने इसको लेकर कहा कि इससे पक्षकारों के बीच पूर्वाग्रह पैदा हो सकता है और संबंधित अदालत द्वारा स्वतंत्र निर्णय लेने पर भी असर पड़ सकता है।
खंडपीठ ने कहा कि अदालतों को विचार करने का अवसर मिलने से पहले ही हलफनामों और दस्तावेजों को मीडिया में जारी करने की आदत स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि नोटिस को सार्वजनिक करने से पहले आरोपों की पुष्टि करना पत्रकार का कर्तव्य था। इसके बाद कोर्ट ने भविष्य में सावधानी बरतने और पत्रकारिता की जिम्मेदारी समझने की हिदायत देते हुए बरी कर दिया।
दरअसल, कोर्ट ब्रेन लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी द्वारा हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड को जारी किए गए बिना तारीख और हस्ताक्षर वाले कानूनी नोटिस से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था। इस नोटिस को एक पत्रकार ने पहले ही सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया था। कोर्ट ने नोटिस के मामले में आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू की है।
कोर्ट ने पाया कि कानूनी नोटिस में हाई कोर्ट की रजिस्ट्री की कार्यप्रणाली, फोरम शॉपिंग के आरोपों और न्यायालय के समक्ष मामलों का उल्लेख करने में गड़बड़ी के बारे में झूठी, निंदनीय और अपमानजनक टिप्पणियाँ की गई थीं। इसे ब्रेन लॉजिस्टिक्स के निदेशक रूप दर्शन पांडे ने हीरो मोटोकॉर्प की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने के लिए जानबूझकर इस कानूनी नोटिस को मीडिया में लीक किया था।
पांडे ने दो वकीलों के नाम बताए, जिनके परामर्श पर कानूनी नोटिस में आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी। इन वकीलों ने कोर्ट से बिना शर्त माफी माँगी और स्वीकार किया कि उन्होंने कानूनी नोटिस में गलत आरोप लगाए थे। इस पर कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ताओं ने न्यायालय और मुवक्किल के प्रति बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के निर्देशों का पालन नहीं किया।
इसके बाद न्यायालय ने दिल्ली बार काउंसिल को दोनों अधिवक्ताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया। वहीं, कोर्ट ने ब्रेन लॉजिस्टिक्स के निदेशक रूप दर्शन पांडे को आदतन अपराधी बताया और कहा कि वह माफी माँगकर नहीं बच सकता। इसके बाद कोर्ट ने उसे 2 सप्ताह के साधारण कारावास की सजा सुनाई।
कोर्ट ने कहा, “पांडे को न्यायालयों, न्यायाधीशों और वकीलों के विरुद्ध आरोप लगाने की आदत है। इसलिए यह अपमानजनक आचरण अनजाने में हुई गलती या गलत सलाह नहीं है। यह जानबूझकर और गुप्त उद्देश्यों से किया गया है। पांडे को 2,000 रुपए के जुर्माने के साथ दो सप्ताह के साधारण कारावास की सजा सुनाई जाती है। जुर्माना नहीं देने पर 7 दिन का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना पड़ेगा।।”