Friday, April 19, 2024
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‘कल सब आएँ और साथ में पत्थर, डंडे, रॉड लाएँ’: सफूरा जरगर और उसके साथियों के गुप्त बैठकों की डिटेल

यह बात साफ़ है कि जो भीड़ रतन लाल की हत्या के लिए ज़िम्मेदार थी उसे भड़काने में सफूरा जैसे लोगों की भूमिका सबसे ज्यादा रही है। इसके अलावा 24 फरवरी के दिन चाँद बाग़ में हुए दंगों की योजना तैयार करने में सफूरा का नाम शुरूआती तौर पर ही आता है। फिलहाल जाँच भले जारी है, लेकिन इतने तथ्य घटना की तस्वीर काफी हद तक साफ़ कर देते हैं।

दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों के षड्यंत्र की जड़ें अलग-अलग स्तर पर तैयार की गई थीं। चाँद बाग़ स्थित मुख्य वज़ीराबाद मार्ग के पास हुए दंगों की वजह से पुलिसकर्मी रतन लाल की हत्या हुई थी।

इस्लामी भीड़ ने पहले तो उन्हें ख़ूब पीटा, इसके बाद रॉड से भी मारा और अंत में गोली भी मारी। वज़ीराबाद मुख्य मार्ग में हुए दंगों के मामले में तैयार की गई रतन लाल चार्जशीट में सफूरा ज़रगर का भी नाम शामिल है। यह भी उसी तरह बड़ी साजिश का इशारा करती है जैसा चाँद बाग़ दंगों की चार्जशीट में दिखता है।

ऑपइंडिया पहले ही बता चुका है कि सीएम विरोधी दंगों के दौरान लंगर लगाने के कारण जिस व्यक्ति को ‘मसीहा’ बताया जा रहा था उसने कैसे दंगे भड़काने में अहम भूमिका निभाई थी। चार्जशीट में इस बात का उल्लेख भी है कि डीएस बिंद्रा ने दंगे भड़काने में सक्रिय भूमिका निभाई जिसके चलते रतन लाल की हत्या हुई। चार्जशीट में यह भी लिखा था कि प्रदर्शन करने वालों और षड्यंत्रकारियों को इस बात का अनुमान था कि दंगे कभी भी शुरू हो सकते हैं और उन्होंने हालात के मुताबिक़ हथियारबंद रहने के आदेश दिए।   

इसके बाद चार्जशीट में लिखा है कि 23.02.2020 को आरोपित समेत दंगों के आयोजक, साज़िशकर्ता और दंगे भड़काने वालों ने चाँद बाग़ इलाके में एक बैठक रखी थी। बैठक में उन्होंने स्थानीय लोगों को अगले दिन डंडा, लोहे की रॉड और पेट्रोल बम लेकर हथियारबंद रहने की बात कही। 24.02.2020 को दिन के लगभग 1 बजे तय योजना के मुताबिक़ दंगाई आक्रामक हुए और उन्होंने पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया। इस्लामी भीड़ के इस सुनियोजित हमले में कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे और हेड कोंस्टेबल रतन लाल मार दिए गए थे। 

चार्जशीट में इस बात का भी उल्लेख है कि इलाकों में दंगा भड़काने के लिए डीएस बिंद्रा, सफूरा ज़रगर और दूसरे मजहब के तमाम स्थानीय लोगों ने मिल कर गहरी साज़िश रची थी। चार्जशीट के अनुसार 23 और 24 तारीख़ को दंगा भड़काने वालों और दंगे की साज़िश रचने वालों के बीच एक खुफ़िया बैठक हुई थी। इस बैठक में बनाई गई योजना के बाद इस्लामी भीड़ ने दंगा भड़काया और उसकी वजह से ही रतन लाल की हत्या हुई।

चार्जशीट में मौजूद जानकारी के अनुसार भीम आर्मी के आह्वान पर चाँद बाग़ से राजघाट तक के लिए गैर क़ानूनी मार्च की शुरुआत हो चुकी थी, जिसकी योजना भी पहले ही तैयार कर ली गई थी। इस मार्च का लक्ष्य महज़ भीड़ को भड़काना था, जबकि इस मार्च के लिए इजाज़त नहीं दी गई थी।   

रतन लाल मामले की चार्जशीट

इस ग़ैरक़ानूनी मार्च में सफूरा ज़रगर, जेसीसी (जामिया कोओर्डिनेशन कमेटी) के सदस्य समेत तमाम स्थानीय षड्यंत्रकर्ता शामिल थे। इनके नाम अतहर, सुलेमान, शादाब, रवीश, सलीम खान और सलीम मुन्ना हैं। इसके अलावा भी दंगों में तमाम लोग शामिल थे। लेकिन मार्च को रोक कर उसके मूल स्थान चाँद बाग़ मज़ार तक ही सीमित कर दिया गया था।

चार्जशीट के मुताबिक़ इतना होने के बाद 23 और 24 फरवरी की देर रात चाँद बाग़ मज़ार पर दंगे भड़काने वालों और दंगे की योजना बनाने वालों के बीच गुप्त बैठक हुई थी। चार्जशीट में दी जानकारी के मुताबिक़ ‘मौके पर हुए दंगों में डीएस बिंद्रा, सलमान सिद्दीकी, सलीम खान और सलीम मुन्ना समेत कई स्थानीय दंगाई भी शामिल थे।     

मौके पर मौजूद एक गवाह जिसके बयान पर भरोसा किया गया था, वह पुलिस द्वारा दायर की गई चार्जशीट से बराबर मिलता है। दूसरे मजहब के गवाह (पहचान सुरक्षित रखी गई है) ने घटना से जुड़े कई अहम खुलासे किए हैं। दंगे भड़कने के ठीक एक दो दिन पहले जिस गुप्त बैठक का आयोजन किया गया था, उसके दो हफ्ते पहले इसी मुद्दे पर एक बैठक हो चुकी थी। रात के 12 बजे हुई इस बैठक में यमुना नदी के आस-पास हर उस स्थान से 2-2 लोग बुलाए गए थे जहां दंगा हो रहा था।   

रतन लाल चार्जशीट में चश्मदीद का बयान

23 फरवरी के दिन भीम आर्मी के बंद के ऐलान को समर्थन देने की प्रस्ताव भी उस दिन ही स्वीकार लिया गया था। जब कुछ लोगों ने इस बात पर आपत्ति जताई कि शांति से बैठ कर आन्दोलन करने से कोई नतीजे हासिल नहीं हो रहे हैं। ‘उपासना, अतहर और शादाब ने उन्हें अनसुना कर दिया था। ’यह उल्लेखनीय है कि पुलिस की जाँच में यह बात सामने आई कि अतहर और शादाब जिनके नामों का ज़िक्र चश्मदीद ने किया था, शुरू से ही सफूरा के साथ घटनाक्रम में शामिल थे।   

एक और चश्मदीद ने कई हैरान कर देने वाली बातों का खुलासा किया। चश्मदीद (नाम सुरक्षित रखा गया है) के मुताबिक़ दूसरे समुदाय के तमाम लोग और दलित छात्र भीम आर्मी द्वारा बुलाई गई मार्च के लिए एकत्रित हुए थे जिसे बाद में पुलिस ने रोक दिया था। इसके बाद पुलिस ने वज़ीराबाद रोड भी पूरी तरह बंद कर दी थी। जिसके बाद वहाँ अफ़वाह फैली थी कि जाफराबाद इलाके में विरोध-प्रदर्शन के स्थान पर हिंसा हुई है।   

चश्मदीद का बयान

यह ठीक वही जगह थी जहाँ समुदाय विशेष की औरतें, जेसीसी के सदस्य, अन्य लोग और खास कर पिंजरा तोड़ समूह के सदस्यों ने मेट्रो रोड बंद की जिसके बाद वहाँ हिंसा शुरू हो गई। चार्जशीट में यह भी बेहद स्पष्ट तौर पर लिखा है कि वह सीएए का विरोध करने वाले दूसरे समुदाय के ही थे, जिन्होंने पहले पत्थर चलाना शुरू किया। इतना ही नहीं अलग-अलग जगहों पर हिंसा भड़काने में भी उनका पूरा हाथ था। इस पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट ऑपइंडिया में प्रकाशित भी हो चुकी है।   

यह 23 फरवरी की जाफराबाद की कुछ तस्वीरें हैं, 

23 फरवरी 2020 को मजहबी भीड़ द्वारा की गई पत्थरबाजी
23 फरवरी 2020 को मजहबी भीड़ द्वारा की गई पत्थरबाजी
23 फरवरी 2020 को भीड़ द्वारा की गई पत्थरबाजी

चश्मदीद ने इसके बाद यह भी बताया कि जाफराबाद में हिंसा की घटना होने के बाद चाँद बाग़ की चौथी लेन में फिर गुप्त बैठक बुलाई गई थी। बैठक के बाद कुछ लोग मंच पर गए और उन्होंने कहा ‘यही समय है उन लोगों को अपनी ताकत दिखाने का’ और डोनाल्ड ट्रंप के दौरे की वजह से पूरी दुनिया की निगाहें हम पर होंगी। 24 तारीख़ के दिन उन्हें अधिक से अधिक संख्या में आने के लिए कहा गया। फिर चश्मदीद ने कहा 24 तारीख़ को जैसे ही वह अपने घर से निकला, उसने देखा सामने सैकड़ों लोगों की भीड़ है और सभी के हाथ में रॉड, तलवार, पत्थर और डंडे जैसे हथियार थे और सब के सब हिंदुओं पर हमले के लिए तैयार थे।   

दूसरे चश्मदीद ने बताया कि गुप्त बैठक के बाद मौके पर इकट्ठा हुए लोगों से अतहर और उसके साथियों ने कहा सभी को हथियार लेकर आना है। क्योंकि यही समय है सरकार और देश को दिखाने का कि यह प्रदर्शन जारी ही रहेगा।   

रतन लाल की चार्जशीट में चश्मदीद का एक और बयान

रतन लाल की चार्जशीट में सफूरा का किरदार 

इस चार्जशीट में सफूरा का नाम कई बार सामने आया है, उस पर सबसे पहला आरोप यह है कि वह 23 फरवरी को चाँद बाग़ से राजघाट के बीच हुई गैर क़ानूनी मार्च की आयोजकों में से एक थी। साथ ही 24 फरवरी के दिन हुई बैठक में तैयार किए गए षड्यंत्रों में भी सफूरा की भूमिका अहम थी।   

आरोपित शादाब कवलप्रीत कौर (आइसा), देवांगना कलिता (पिंजरा तोड़), सफूरा, योगेन्द्र यादव सहित अन्य को अच्छे से जानता था। शादाब के बारे में चार्जशीट में लिखा है, 23 फरवरी की बैठक में इसकी योजना तैयार हुई थी कि 24 फरवरी के दिन क्या-क्या होगा। इस हरकत को अंजाम देने के लिए शादाब अपने साथियों के साथ उस दिन चाँद बाग़ में ही रुका। उसने विरोध-प्रदर्शन करने वालों को हिंसा के लिए प्रेरित किया। साथ ही ऐसी योजना तैयार कि उसके पास आन्दोलन को हिंसक बनाने के लिए हर हथियार मौजूद हो।

चार्जशीट में इस बात का भी ज़िक्र है कि पुलिस पर हमला करने के लिए और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने के लिए सही मात्रा में हथियार और अन्य चीज़ें अचानक ही इकट्ठा नहीं की जा सकती हैं। 24 फरवरी 2020 के दिन चाँद बाग़ के आस-पास दंगे भड़काने की योजना पहले ही तैयार कर ली गई थी जिसके चलते जान और माल की हानि हुई। जिस तरह से डीएस बिंद्रा (एआईएमआईएम), कवलप्रीत कौर (आइसा), देवांगना कलिता (पिंजरा तोड़) के एक-दूसरे से संपर्क मिले हैं, उससे यह साफ़ हो जाता है कि इनका असल एजेंडा क्या था। जानकारी आने बाद यह भी पता चला था कि इस दौरान यह सभी लोग लगातार संपर्क में थे। इतना ही नहीं इन सभी ने अपने-अपने मोबाइल फोन में 23 से 24 फरवरी के बीच का लगभग हर डाटा हटा दिया था।   

सलमान सिद्दीकी नाम का युवक भी दंगा भड़काने वाले कुछ मुख्य लोगों में से एक था जिसकी वजह से रतन लाल की हत्या हुई थी। चार्जशीट में मौजूद कॉल रिकोर्ड्स के अनुसार सलमान इस दंगे की योजना तैयार करने वाले लोगों डीएस बिंद्रा, अतहर, रवीश, सलीम मुन्ना, सलीम खान, अयूब, इब्राहिम, सफूरा और अन्य से लगातार संपर्क में था। सफूरा का नाम चार्जशीट के कई अन्य हिस्सों में भी मौजूद है। जाँच के दौरान यह बात भी सामने आई कि दिसंबर के दौरान हुए दंगों में और फरवरी के दौरान चाँद बाग़ सहित दिल्ली के अन्य इलाकों में हुए दंगों में बराबर संबंध था। कहना गलत नहीं होगा कि जेसीसी ने शुरुआत में जिस तरह की योजना तैयार की वह उस पर ही चले और काफी हद तक कामयाब भी हुए।   

जाँच में यह बात भी सामने आई कि जेसीसी की प्रतिनिधि, सफूरा शुरू से चाँद बाग़ मज़ार के पास मौजूद थी और दंगे भडकाने में उसका अहम किरदार था। इसके बाद सफूरा को स्पेशल सेल के जाँच अधिकारी ने एफआईआर 59/20 के तहत गिरफ्तार किया था। इन तथ्यों के आधार पर यह बात साफ़ है कि जो भीड़ रतन लाल की हत्या के लिए ज़िम्मेदार थी उसे भड़काने में सफूरा जैसे लोगों की भूमिका सबसे ज्यादा रही है। इसके अलावा 24 फरवरी के दिन चाँद बाग़ में हुए दंगों की योजना तैयार करने में सफूरा का नाम शुरूआती तौर पर ही आता है। फिलहाल जाँच भले जारी है, लेकिन इतने तथ्य घटना की तस्वीर काफी हद तक साफ़ कर देते हैं।   

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Nupur J Sharma
Nupur J Sharma
Editor-in-Chief, OpIndia.

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